कर्नाटक चुनाव में इस बार कई क्लाइमेक्स देखने को मिल रहे हैं. सूबे की सियासत में नाराजगी, बगावत, दलबदल और बिना सीएम चेहरे के चुनावी घमासान चरम पर है.. बीजेपी दक्षिण भारत के अपने एकलौते सियासी दुर्ग को बचाए रखने की जंग लड़ रहा है तो कांग्रेस सत्ता में वापसी की जद्दोजहद में जुटी है जबकि जेडीएस एक बार फिर से किंगमेकर बनने के लिए मशक्कत कर रही है. पिछले चुनाव की बात करें कांग्रेस-बीजेपी कर्नाटक के चार-चार जिलों में एक भी सीट नहीं जीत सकी थी जबकि जेडीएस 17 जिलों में जीरो पर रही थी.
2018 के कर्नाटक चुनाव में बीजेपी भले ही 104 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनने में सफल रही थी, लेकिन बहुमत के आंकड़े से दूर थी. चुनाव के बाद कांग्रेस-जेडीएस ने मिलकर सरकार बना ली थी, लेकिन एक साल के बाद ही दोनों पार्टियों के कुछ विधायकों के पाला बदलने के बाद बीजेपी सरकार बनाने में सफल रही थी. हालांकि, चुनावी नतीजे से देखें तो राज्य के कई जिलों में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी तो कुछ जगह पर कमजोर साबित हुई थी.
कांग्रेस-बीजेपी-जेडीएस
कर्नाटक में कुल 31 जिले हैं, जिसमें से आधे जिलों में बीजेपी को जीत मिली थी. 2018 के चुनाव में बीजेपी को 15 जिलों में सबसे ज्यादा सीटें जीती थी, लेकिन चार जिलों में उसे एक भी सीट नहीं मिल सकी थी. कांग्रेस 8 जिलों में सबसे ज्यादा सीटें जीती थी, लेकिन चार जिलों में उसे भी एक भी सीट नहीं मिली थी. वहीं, जेडीएस चार जिलों में सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, लेकिन 17 जिलों में पार्टी का खाता भी नहीं खुला था. चार जिलों में बराबर की लड़ाई रही थी.
बीजेपी कहां मजबूत और कहां कमजोर
बीजेपी कर्नाटक में अगर सबसे ज्यादा कहीं मजबूत रही है तो वह इलाका उत्तर और मुंबई कर्नाटक का रहा है. राज्य के 31 जिलों में से 15 जिलों में सबसे ज्यादा सीटें बीजेपी को मिली थीं. बागलकोट, बेलगाम, चिकमगलूर, धारवाड़, चित्रदुर्ग, दक्षिण कन्नड़, हावेरी, दावणगेरे, गदग, कोडागू, कोप्पल, उत्तर कन्नड, शिमोगा, उडुपी और यादगिर जिले में बीजेपी को सबसे ज्यादा सीटें मिली थी और कोदगु और उडुपी में पार्टी ने सभी सीटें अपने नाम की थी.
बीजेपी को कुल 104 सीटों पर जीत मिली थी, उनमें से 70 सीटें इन्हीं 15 जिलों से मिली थीं. वहीं, विजयपुर में तीन, बेल्लारी में तीन, तुमकुल में चार सीटें जीती थी जबकि विजयनगर, बिदर, चामराजनगर, रामनगर जिले में बीजेपी को सिर्फ एक-एक सीट मिली थी. चिकबल्लापुर, कोलार, मांड्या और हासन जिले में बीजेपी अपना खाता भी नहीं खोल सकी थी. इस तरह से बीजेपी पांच साल पहले जरूर 15 राज्यों में मजबूत रही थी, लेकिन आठ जिलों में कमजोर नजर आई थी.
कांग्रेस कहां कमजोर और कहां मजबूत
कांग्रेस को 2018 में भले ही हार का मूंह देखना पड़ा हो, लेकिन आठ जिलों में वह सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी जबकि चार जिलों में उसका खाता भी नहीं खुला था. कांग्रेस चिकबल्लापुर, गुलबर्गा, बिदर, रायचूर, कोलार, चामराजनगर, बेंगलुरु और बेंगलुरु ग्रामीण जिले में सबसे पार्टी बनकर उभरी थी. बेंगलुरु जिले की 28 सीटों में से कांग्रेस को सबसे ज्यादा 15 सीटें मिलीं थीं. विजयपुरा, बेल्लारी, तुमकुर जिले में कांग्रेस 3-3 सीटें जीतने में सफल रही थी.
कर्नाटक के आठ जिलों में कांग्रेस भले ही सब पर भारी पड़ी थी, लेकिन 12 जिलों में कमजोर स्थिति में रही थी. चिकमगलूर, चित्रदुर्ग, दक्षिण कन्नड़, गदग, हावेरी, शिमोगा, यादगिरी और रामनगर जिले में पार्टी को एक-एक सीट मिली थी. वहीं, कांग्रेस को मांड्या, हासन, कोडागू और उड्डपी जिले में एक भी सीट नहीं मिली थी. इस तरह से 12 जिलों में कांग्रेस कमजोर स्थिति में दिखी थी.
जेडीएस कहां कमजोर और कहां मजबूत
2018 के चुनाव में जेडीएस किंगमेकर बनकर उभरी थी, जिसका नतीजा था कि कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बनने में सफल रहे थे. जेडीएस हासन, मंड्या, मैसूर और रामनगर जिले में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. ये चारो जिले देवगौड़ा परिवार के गृह जिले हैं. मंड्या में जेडीएस क्लीन स्वीप किया था तो हासन जिले की 7 सीट में 6 से और रामनगर जिले की 4 सीट में से 3 सीटें जीती थी. यही इलाका जेडीएस का सबसे मजबूत माना जाता है. जेडीएस को जो 31 सीटें मिली थी, उनमें से 21 सीट इन्हीं चारों जिले की थी.
जेडीएस कर्नाटक के 17 जिलों में एक भी सीट 2018 में नहीं जीत सकी थी तो बिदर, चिकबल्लापुर, कोलार, यादगिर जिले में उसे एक-एक सीट मिली थी. बीजेपी जिन 15 जिलों में बढ़त बनाई थी, उनमें से 14 जिलों में जेडीएस का खाता भी नहीं खुला था. कांग्रेस के बढ़त वाले जिलों में से तीन जिलों में जेडीएस को एक भी सीट नहीं मिली थी.
कर्नाटक के हालत काफी बदले-बदले
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में इस बार सियासी हालत काफी बदल गए हैं. बीजेपी जिन राज्यों में सबसे ज्यादा सीटें जीतने में सफल रही थी, उन्हीं जिलों के तमाम दिग्गज नेता पार्टी छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया है. जगदीश शेट्टार और लक्ष्मण सावदी जैसे कद्दावर लिंगायत नेता कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे हैं. शेट्टार मुख्यमंत्री तो सावदी उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं. इसके अलावा एक दर्जन के करीब विधायक और एमएलसी भी कांग्रेस का हाथ थाम रखे हैं.
बीजेपी इस बार राज्य में कई मुद्दों से घिरी है. ऐसे में बीजेपी के लिए अपने वर्चस्व वाले जिलों में अपने दबदबे को बचाए रखने की चुनौती खड़ी हो गई है. जेडीएस को भी काफी सियासी चुनौतियों से गुजरना पड़ रहा है तो कांग्रेस के सामने भी कशमकश की स्थिति है. ऐसे में देखना है कि राज्य की चुनावी बाजी कौन जीतता है?