कर्नाटक चुनाव में भ्रष्टाचार का मुद्दा छाया हुआ है. कांग्रेस और बीजेपी एक-दूसरे पर लगातार करप्शन के आरोप लगा रहे हैं. इंडिया टुडे राउंडटेबल कार्यक्रम में शिरकत करते हुए कर्नाटक के लोकायुक्त जस्टिस बी. एस. पाटिल ने इसी भ्रष्टाचार के मुद्दे पर खुलकर बात की. जस्टिस पाटिल ने कहा कि भ्रष्टाचार की वजह से विकास प्रभावित होता है. उन्होंने माना कि यहां भ्रष्टाचार होता, कोई शक नहीं है, कर्नाटक ही नहीं बल्कि देश में भी भ्रष्टाचार होता है. उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार एक कैंसर है.
करप्शन की चर्चा करते हुए जस्टिस पाटिल ने कहा, 'ऐसा नहीं है कि सब अधिकारी भ्रष्ट हैं, लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों की वजह से ईमानदार अफसरों का मॉरल डाउन होता है. जब भी भ्रष्टाचार होता है और जो करप्शन को बढ़ावा देता है उसके खिलाफ हमने एक्शन लिया है चाहे वो कोई भी हो. हमने कई बार एक्शन लिया है. चुने गए जनप्रतिनिधि के खिलाफ स्वतः संज्ञान लेने का अधिकार नहीं है. वहीं अधिकारियों के खिलाफ स्वतः संज्ञान लेने का प्रावधान है और हमने कईयों के खिलाफ एक्शन भी लिए हैं.'
जस्टिस पाटिल ने कहा, 'जब भी करप्शन को लेकर शिकायत आती है, या प्राथमिक तथ्य हमारे सामने आते हैं तो इस पर हमारे द्वारा एक्शन लिया जाता है. इसके बाद सर्च अभियान शुरू होता है. प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट में हम अरेस्ट कर सकते हैं लेकिन लोकायुक्त एक्ट में अरेस्ट नहीं कर सकते हैं.'
जब जस्टिस पाटिल से बीजेपी नेता विरुपक्षप्पा के भ्रष्टाचार और गिरफ्तारी को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'किसी भी केस के बारे में व्यक्तिगत टिप्पणी करना मेरे लिए ठीक नहीं हैं. लोगों का करप्ट नेताओं के प्रति जो व्यवहार होता है उससे हमें भी आश्चर्य होता है, यह सोचने वाली बात है. लोगों ऐसे लोगों का स्वागत करते हैं जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए और यह एक गलत ट्रेंड है. मैं लोगों को बताना चाहता हूं कि किसी भी तरह की शिकायत उनके पास होती है तो वो मुझसे शिकायत कर सकते हैं.'
खुद का उदाहरण देते हुए जस्टिस पाटिल ने कहा, 'किसी भी कार्य में बरती कोताही, नोपोटिज्म, फेवरेटिज्म, सब स्टैंडर्ड वर्क, या भ्रष्टाचार की शिकायत आती है तो हम यहां हैं. हमने कई अस्पतालों में रेड की. बेंगलुरु में 40 अस्पताल सरकारी हैं और कई अस्पतालों का निरीक्षण मैंने किया. वहां देखा गया कि जरूरी सुविधाएं ही नहीं हैं, कहीं डॉक्टर नहीं हैं तो कहीं दवाएं नहीं हैं. हमारे द्वारा एक जिले में दौरा करने के बाद कई अस्पतालों की हालत सुधर गई है.'
बेंगलुरु का उदाहरण देते हुए जस्टिस पाटिल ने कहा, 'बेंगलुरु में 40 से अधिक सब रजिस्ट्रार हैं, एक बार जब हम गए तो वहां कई अनियमिताएं पाईं गईं. बिचौलियों का जमावड़ा था और पैसे लेकर काम किया जा रहा था. हमने अधिकारियों को निर्देश दिया कि यहां कोई भी बाहर का बिचौलियां नहीं रहना चाहिए और इसमें फिर सुधार हुआ..... मैं हर रोज घर जाकर भी काम करता हूं. शिकायतों की संख्या बढ़ती जा रही है लेकिन स्टाफ कम है.... मैं कहूंगा कि किसी के पास अगर करप्शन को लेकर किसी तरह की शिकायत है तो वह हमारे पास विस्तार से भेजें एक्शन जरूर लिया जाएगा.'
जस्टिस पाटिल ने कहा कि कई मामलों में लोगों ने हमें शिकायत नहीं की, लेकिन हमने सुओ मोटो एक्शन लिया जिसमें ड्रेनेज, पेयजल और स्वच्छता जैसी समस्याएं शामिल थी. उन्होंने कहा, 'जरूरी नहीं है कि आप सबूतों के साथ शिकायत करें, अगर आप समस्या को विस्तार से हाईलाइट करेंगे, तो हम तब भी एक्शन लेंगे. कानून के हिसाब से सभी बराबर हैं, अगर किसी के खिलाफ भी शिकायत मिलेगी तो एक्शन लिया जाएगा. हम अपना काम कर रहे हैं और कोर्ट अपना काम करेगा.'
जस्टिस पाटिल ने बताया कि उन्हें अपने अधिकारियों के खिलाफ भी शिकायत मिलती है जिसमें से कुछ सही होती हैं, कुछ गलत होती हैं. उन्होंने कहा, 'ऐसी शिकायतों पर हम उस अधिकारी की हिस्ट्री देखते हैं और पुराना रिकॉर्ड चैक करते हैं. अगर कोई भी खामी नजर आती है तो एक्शन लिया जाता है. हमें भ्रष्टाचार रूपी इस कैंसर के खिलाफ एक्शन लेना ही होगा, नहीं तो प्रशासन इससे प्रभावित होगा.... मुझे कभी ऐसा कॉल नहीं आया कि ये मेरा आदमी है, इस पर एक्शन नहीं ले. मैं किसी धमकी से नहीं डरता हूं और ना ही मुझे कोई धमकी मिली. लोगों की भलाई के लिए काम करना चाहिए.' उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के मामलों में कई बार ऐसा हुआ कि शिकायत करने वाला ही कोर्ट में मुकर गया और आरोपी छूट गया.