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'कर्नाटक की राजनीति में बहुत अधिक भ्रष्टाचार', कैप्टन गोपीनाथ ने गिनाईं बेंगलुरु की समस्याएं

आज तक के 'कर्नाटक राउंडटेबल' कार्यक्रम में शामिल हुए एयर डेक्कन के संस्थापक और उद्यमी कैप्टन गोपीनाथ ने कई मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि बेंगलुरु में आज कई तरह की दिक्कतें और उनसे निजात दिलाना जरूरी है.

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कैप्टन गोपीनाथ ने गिनाईं बेंगलुरु की प्रमुख समस्याएं (फोटो- इंडिया टुडे)
कैप्टन गोपीनाथ ने गिनाईं बेंगलुरु की प्रमुख समस्याएं (फोटो- इंडिया टुडे)

एयर डेक्कन के संस्थापक और उद्यमी कैप्टन गोपीनाथ आज तक के 'कर्नाटक राउंडटेबल' कार्यक्रम में शामिल हुए. कैप्टन गोपीनाथ ने हर मुद्दे पर खुलकर अपनी राय रखी. उन्होंने कहा कि राज्य में कई तरह की समस्याएं हैं. राजनीतिक दलों की बात करते हुए उन्होंने कहा, 'बीजेपी हो या कांग्रेस या जेडीएस सबमें एक जैसे लोग हैं. बेंगलुरु में पिछले चुनाव के दौरान महज 50 फीसदी वोटिंग हुई थी, जबकि लोग राजनीतिक रूप से जागरूक हैं. मैंने जब बेंगलुरु दक्षिण से चुनाव लड़ा तो महज 48 फीसदी वोटिंग हुई थी. वोटिंग का कम होना चिंता की बात है.'

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राजनीति में बहुत है भ्रष्टाचार

राजनीति में भ्रष्टाचार के मुद्दे का जिक्र करते हुए कैप्टन गोपीनाथ ने कहा, 'मैं ये नहीं कह रहा हूं कि सारे राजनेता करप्ट हैं लेकिन राजनीति में भ्रष्टाचार बहुत है, विशेष रूप से कर्नाटक में. कांग्रेस सरकार करप्ट थी तभी तो बीजेपी जीती. लेकिन बीजेपी सरकार पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे. करप्ट और सांप्रदायिक नेता समाज के लिए अच्छे नहीं होते हैं. मैं ये नहीं कर सकता हूं कि कौन कम करप्ट है या कौन ज्यादा. यह काम लोगों को तय करना है.'

गिनाईं बेंगलुरु की समस्याएं

बेंगलुरु की समस्याओं का जिक्र करते हुए कैप्टन गोपीनाथ ने कहा, 'बेंगलुरु में काफी समस्याएं हैं. सीवेज, ड्रेनेज और पीने के पानी की समस्या आज बेंगलुरु की प्रमुख समस्या है. कई दिग्गज लोग बेंगलुरु में रहते हैं. यहां जो रहते हैं उनमें से अधिकतर वो लोग हैं जो माइग्रेंट हैं और अलग-अलग राज्यों से आते हैं. माइग्रेंट इसलिए आते हैं क्योंकि यहां टॉलरेंस हैं.' 

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एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, 'जरूरी नहीं है कि डबल इंजन की सरकार से राज्य को फायदा मिले. आज की सबसे बड़ी विडंबना है कि कोई संस्था फ्री होकर काम नहीं कर रही है. जब बीजेपी सत्ता में थी उन्होंने तीन सीएम बदले वो भी केवल समुदाय (लिंगायत) के आधार पर. ये नहीं देखा कि किसमें योग्यता है. यहीं हाल जनता दल और कांग्रेस का भी है. आज जो प्रीडिक्शन है वो किसी भी दल को बहुमत नहीं मिलने की है. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा शानदार यात्रा रही और उसका फायदा मिलने की बात कांग्रेस कर रही है.'

हमें तैयार करना होगा ढांचा

कैप्टन गोपीनाथ ने कहा कि कि नेहरू सरकार ने देश में कई शानदार संस्थाओं का निर्माण किया. मोदी सरकार ने डिजिटल इंडिया से लेकर नेशनल हाइवे तक में कई शानदार काम किए. उन्होंने कहा,'जातिवाद के कारण आज हिंसा हो रही है. नक्सली हिंसा कर रहे हैं.... चीन में आज क्या हो रहा है, आज सबसे ज्यादा इलेक्ट्रिक कार चीन में बनती है और वो विश्व को निर्यात करते हैं. इसके लिए हम ढांचा तैयार करना होगा तभी यह संभव हो सकता है. यहां आज कूड़े, सीवेज और पानी जमा होने की समस्या है. इससे हमें निजात पाना होगा.'

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कौन हैं कैप्टन गोपीनाथ

कैप्टन गोपीनाथ का जन्म 13 नवंबर, 1951 को कर्नाटक में मैसूर के गोरूर में हुआ था. अपने गांव में शुरुआती पढ़ाई के बाद गोपीनाथ ने सैनिक स्कूल का एंट्रेंस दिया और पास हो गए. इसके बाद उनकी आगे की पढ़ाई सैनिक स्कूल में हुई, जहां वो सेना के अफसर के रूप में तैयार हुए. स्कूलिंग के बाद उनका चयन NDA यानी नेशनल डिफेंस एकेडमी में हुआ. गोपीनाथ ने सेना में 8 साल नौकरी की. कुछ नया करने की चाहत में गोपीनाथ ने महज 28 साल की उम्र में नौकरी से इस्तीफा दे दिया. 

सेना की नौकरी छोड़ने के बाद गोपीनाथ ने कई कारोबार में हाथ आजमाए. गोपीनाथ ने दूध बेचने के लिए मवेशी पाले. मुर्गी पालन भी किया. इकोलॉजिकल सस्टेनेबल सेरीकल्चर फार्म चलाया. होटल के कारोबार में भी हाथ आजमाए. बाइक डीलर भी बने. पर जो वो करना चाहते थे, उसकी नींव साल 1997 में पड़ी, जब गोपीनाथ ने डेक्कन एविएशन नाम की एक कंपनी बनाई. विएशन सेक्टर में पहली सफलता मिलने के बाद वो हवाई यात्रा के किराए को उस स्तर पर लाने के प्रयास में जुट गए, जिससे मिडिल क्लास लोग भी हवाई जहाज में सफर कर सकें. क्योंकि तब एयर फेयर बहुत अधिक था. लो कॉस्ट एयर फेयर को ध्यान में रखते हुए कैप्टन गोपीनाथ ने साल 2003 में एयर डेक्कन एयरलाइन बनाई. 

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बाद में इस एयरलाइंस का किंगफिशर एयरलांस के साथ मर्जर हो गया. साल 2009 के लोकसभा चुनाव में गोपीनाथ ने बेंगलुरु साउथ सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा, लेकिन वो हार गए. फिर 2014 में भी उन्होंने इस सीट से अपनी किस्मत आजमाई, लेकिन सफलता फिर भी हाथ नहीं लगी.  

 

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