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केरल: चुनावी वैतरणी पार करने के लिए बीजेपी लगाएगी ईसाई वोटरों पर दांव?

बीजेपी के लिए केरल में मुश्किल यह है कि यहां पर उनके आधार माने जाने वाले हिंदू वोट सीपीआइएम के नेतृत्व वाले एलडीएफ, कांग्रेस नेतृत्व वाले यूडीएफ और बीजेपी तीनों को जाते हैं. ऐसे में बीजेपी के लिए केवल हिंदू वोटरों के सहारे चुनाव जीतना मुश्किल है.

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ईसाई समुदाय पर बीजेपी की नजर (फाइल फोटो)
ईसाई समुदाय पर बीजेपी की नजर (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • केरल में बीजेपी के लिए चुनावी राह आसान नहीं
  • बढ़ती मुस्लिम आबादी से चिंतित है ईसाई नेता
  • केरल में 18.4 फीसदी ईसाइयों की आबादी

पूरे देश में हिंदू वोटरों के सहारे जीत का परचम लहराने वाली भारतीय जनता पार्टी के लिए केरल में चुनावी राह बहुत आसान नहीं है, क्योंकि वहां पर आबादी का 45  प्रतिशत ईसाई और मुस्लिम समुदाय के लोग हैं. शायद इसीलिए बीजेपी यहां ईसाइयों को भी साधने की कोश‍िश में लगी है. 

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बीजेपी के लिए केरल में मुश्किल यह है कि यहां पर उनके आधार माने जाने वाले हिंदू वोट सीपीआईएम के नेतृत्व वाले एलडीएफ, कांग्रेस नेतृत्व वाले यूडीएफ और बीजेपी तीनों को जाते हैं. ऐसे में बीजेपी के लिए केवल हिंदू वोटरों के सहारे चुनाव जीतना मुश्किल है. इसलिए बीजेपी को मुस्लिम या ईसाई में से किसी समुदाय से करीबी बढ़ानी होगी.  

ईसाई नेता प्रदेश में कथ‍ित रूप से मुस्लिम आबादी के तेजी से बढ़ने को लेकर चिंतित हैं. ऐसे में ईसाई समुदाय के लोग बीजेपी की तरफ काफी उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं. इतना ही नहीं ईसाइयों के लिए केरल में 'लव जिहाद' का मुद्दा भी बड़ा है. केरल की एक कैथोलिक चर्च ने 'लव जिहाद' का मुद्दा उठाते हुए दावा किया था कि बड़ी तादाद में राज्‍य के ईसाई समुदाय की महिलाओं को लुभाकर इस्‍लामिक स्‍टेट और आतंकवादी गतिविधियों में धकेला जा रहा है. 

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कार्डिनल जॉर्ज ऐलनचैरी की अध्‍यक्षता वाली पादरियों की एक संस्‍था ने राज्‍य सरकार पर भी आरोप लगाया है कि वह 'लव जिहाद' के मामलों को गंभीरता से नहीं ले रही है. इस्‍लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) ने इन आरोपों से इनकार किया है, वहीं विश्‍व हिंदू परिषद ने बयान का स्‍वागत किया है. 

बीजेपी केरल में होने वाले इस विधानसभा चुनाव में कम से कम सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के रूप में उभर कर सामने आना चाहती है. इसके लिए उसने अभी से रणनीति बना ली है. संघ परिवार ने भी सीपीएम के गढ़ में सेंध लगाने के लिए अभियान तेज कर दिया है. 

केरल में 54.7 फीसदी आबादी हिंदुओं, 26.7 फीसदी मुस्लिमों और 18.4 फीसदी आबादी ईसाइयों की है. यहां हिंदुओं की संख्या काफी ज्यादा है, लेकिन इसके बावजूद CPM के गढ़ में बीजेपी के लिए अभी कई चुनौतियां हैं. लेफ्ट दल भी अपनी साख बचाने के लिए बीजेपी के खिलाफ जोरशोर से अभियान चला रहे हैं.

प्रधानमंत्री मोदी से पादरियों के संवाद

प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी ने जनवरी महीने में ईसाई संप्रदाय के तीन प्रमुख पादरियों से बातचीत की थी. इस दौरान उन्होंने ईसाई समुदाय से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा भी की. पीएम मोदी ने ट्वीट कर इस बात की पुष्टि करते हुए बताया था, 'सायरो-मालाबाद चर्च के प्रधान पादरी जार्ज एलेनचेर्री, बॉम्बे के पादरी और कैथोलिक बिशप्स कांफ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) के अध्यक्ष ओसवाल्ड ग्रेसियस और सायरो मालंकारा कैथोलिक चर्च के बेसेलियस क्लीमिस से संवाद किया.'  

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प्रधानमंत्री से उनके आवास पर मुलाकात के बाद पादरी बेहद खुश नजर आए. उन्होंने चर्चा को 'बहुत सकारात्मक और दोस्ताना' बताते हुए कहा कि 'ईसाई समुदाय और सरकार के बीच कोई दुर्भावना' नहीं है. पादरियों ने इस बातचीत को गैर राजनीतिक बताया था. उनसे पीएम मोदी ने कहा कि 'ये उनका घर है और जब चाहें चर्चा के लिए आ सकते हैं.'

 

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