चुनाव आयोग ने देश के अलग-अलग राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान किया है. उन्हीं में से एक केरल विधानसभा के चुनावों की तारीखों का आज ऐलान किया गया. केरल में 6 अप्रैल को विधानसभा चुनाव होने हैं. केरल में कुल 140 विधानसभा सीटें हैं, केरल में कुल 140 विधानसभा सीटें हैं.
साल 2016 में हुए केरल विधानसभा चुनावों में CPIM के नेतृत्व वाले गठबंधन LDF ने 91 सीटों पर जीत दर्ज की थी और सरकार बनाई. इसी प्रकार कांग्रेस के नेतृत्व में UDF गठबंधन को केरल विधानसभा 2016 के चुनावों में 47 सीटें मिलीं थीं.
साल 2016 के केरल विधानसभा चुनाव के परिणामों को पार्टी-वाइज देखें तो लेफ्ट गठबंधन (LDF) वाली सीपीआई (एम) को 56 सीटें मिलीं थीं, सीपीआई को 19 सीटें मिलीं थीं, जनता दल (सेक्युलर) पार्टी को 3 सीटें मिली थीं और एनसीपी को 2 सीटें मिलीं थीं. वहीं UDF गठबंधन वाली कांग्रेस को 22 सीटें मिलीं थीं, IUML (Indian Union Muslim League) को 18 सीटें मिलीं थीं, केरल कांग्रेस (एम) को 6 सीटें मिलीं थीं. इनके इतर तीसरा गठबंधन भाजपा का भी था लेकिन उसमें से किसी भी पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली थी, बस भाजपा को ही वहां एक सीट मिल सकी थी.
भाजपा के लिए केरल में मुश्किल होने के कई कारण हैं, एक ये कि केरल में 45 प्रतिशत जनसंख्या मुस्लिम और ईसाईयों की है, करीब 55 प्रतिशत जनसंख्या हिन्दुओं की है. हिन्दुओं के बल पर केंद्र में सरकार बना लेने वाली भाजपा को केरल के हिन्दुओं से वोट नहीं मिल पाता. केरल का हिन्दू वर्ग सीपीआई, सीपीआई(एम), कांग्रेस के खाते में चला जाता है. दूसरी तरफ मुस्लिम भाजपा को लेकर अच्छी राय नहीं रखते हैं, यही हाल कमोबेश ईसाईयों का है. यही कारण है कि भाजपा के लिए केरल में बहुमत ला पाना असंभव सा लगता है.