जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का मुद्दा गरमाता जा रहा है. विश्व हिंदू परिषद, आरएसएस जैसे संगठनों के साथ-साथ साधु-संत भी राम मंदिर को लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर लगातार दबाव बना रहे हैं. सवाल ये है कि राम मंदिर का निर्माण क्या सरकार को कराना चाहिए? क्या इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार किया जाना चाहिए? क्या अध्यादेश इसका कोई रास्ता हो सकता है? इन सारे सवालों पर आजतक ने देश के लोगों का मिजाज जानने-समझने की कोशिश की.
आजतक के सर्वे में सवाल था कि अयोध्या की विवादित जगह पर सरकार को राम मंदिर बनाना चाहिए? इस पर देश के 69 फीसदी लोगों का कहना है कि अयोध्या के विवादित स्थल पर सरकार को राम मंदिर का निर्माण कराना चाहिए. 22 फीसदी ऐसे लोग हैं, जो विवादित स्थल पर सरकार के द्वारा मंदिर बनाए जाने के पक्ष में नहीं हैं. इसके अलावा 9 फीसदी ऐसे भी लोग हैं जिनकी कोई राय नहीं है. वे न तो सरकार के द्वारा राम मंदिर निर्माण के पक्ष में हैं और न विरोध में.
सर्वे में दूसरा सवाल लोगों से पूछा गया कि राम मंदिर पर सरकार को अध्यादेश लाना चाहिए? इस सवाल के जवाब में देश के 67 फीसदी लोगों ने कहा कि राम मंदिर पर सरकार को अध्यादेश लाना चाहिए. वहीं, 24 फीसदी लोग ऐसे हैं जो सरकार के अध्यादेश के खिलाफ हैं. 9 फीसदी लोगों ने इस मुद्दे पर कोई राय नहीं दी है.
हालांकि इसी सवाल को दूसरी तरह पूछने पर अलग ही तस्वीर सामने आई. देश के 58 फीसदी लोग मानते हैं कि राम मंदिर का निर्माण सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद होना चाहिए. जबकि 30 फीसदी लोगों का मानना है कि राम मंदिर के निर्माण के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार नहीं किया जाना चाहिए. 12 फीसदी लोग ऐसे भी थे जिनकी इस सवाल के जवाब में कोई राय नहीं थी. इस सर्वे में देश भर से 13 हजार लोगों की राय ली गई थी. ये सर्वे इंडिया टुडे ग्रुप्स और कार्वी इनसाइट्स ने किया था.