scorecardresearch
 

J-K में लोकसभा चुनाव के लिए सुरक्षा ठीक है तो विधानसभा के लिए क्यों नहीं: सीताराम येचुरी

आजतक सुरक्षा समिट के 'हम कितने सुरक्षित' सत्र में पहुंचे सीताराम येचुरी ने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराए जा सकते हैं.  

Advertisement
X
सीताराम येचुरी [फोटो-इंडिया टुडे]
सीताराम येचुरी [फोटो-इंडिया टुडे]

Advertisement

जम्मू कश्मीर की लोकसभा सीटों पर चुनाव कराए जा रहे हैं लेकिन विधानसभा चुनाव नहीं कराए जा रहे हैं. सुरक्षा का जो मसला लोकसभा चुनाव में है वही विधानसभा चुनाव के लिए भी रहेगा. फिर वहां पर विधानसभा चुनाव वहां क्यों नहीं कराए जा रहे हैं, ये  सवाल उठाए आजतक की सुरक्षा सभा में पहुंचे सीपीआई एम के जनरल सेक्रेटरी सीताराम येचुरी ने. उनसे सवाल किए टीवीटीएन के कन्सल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई ने.

सीताराम येचुरी ने कहा कि 3 साल पहले गृहमंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल जम्मू कश्मीर गया था. सबने वहां के हालात का जायजा लिया. इसके बाद सरकार का लिखित बयान आया कि हम दो मोर्चों पर काम करेंगे. पहला जम्मू कश्मीर के लोगों में कॉन्फिडेंस बिल्डिंग, जिससे उनका आत्मविश्वास लौटे, उन्हें रोजगार मिले और दूसरा कश्मीर से जुड़े जितने भी पक्ष हैं उनके साथ बात की जाए.  

Advertisement

येचुरी ने सवाल उठाए कि सरकार की तरफ से यह बयान जारी किए गए थे लेकिन इस पर आगे कार्रवाई क्यों नहीं की गई. सरकार क्यों नहीं बताती कि उस पर क्या हुआ. उन्होंने मांग की कि आज भी वो इस बात पर कायम हैं कि सरकार ने उस समय जो कहा था उस पर आगे बढ़ना चाहिए.

हुरियत के लोगों को हिरासत में लिया जा रहा है जेलों में डाला जा रहा है ऐसे में उनसे बात कैसे हो सकती है. इस पर येचुरी ने कहा कि उनसे तो बात नहीं हो सकती लेकिन बाकी लोगों से तो हो सकती है.

येचुरी ने एक सवाल के जवाब में यह भी कहा कि डिप्लोमेसी के रास्ते कभी बंद नहीं होते. लेकिन इन 4 वर्षों में डिप्लोमेसी के प्रयास ही नहीं किए गए. येचुरी ने कहा कि राजनीतिक प्रक्रिया तो अपनानी ही होगी. उन्होंने कहा कि यह समझ के परे है कि लोकसभा चुनाव कराने के लिए स्थितियां बेहतर हैं और विधानसभा चुनाव के लिए हालात बेहतर नहीं हैं.

उन्होंने कहा कि जिस सुरक्षा की जरूरत लोकसभा चुनाव के लिए है उसी सुरक्षा व्यवस्था की जरूरत विधानसभा चुनाव कराने के लिए भी है लेकिन सरकार ने इसे क्यों रोक दिया यह समझ में नहीं आता.

Advertisement

पुलवामा का हमला क्या इंटेलिजेंस का फेल्योर है?  इस सवाल के जवाब में येचुरी ने कहा कि यह सवाल विपक्ष ने नहीं उठाया. पुलवामा हमले के बाद जम्मू कश्मीर के राज्यपाल ने यह सवाल उठाया. इस समय वहां राष्ट्रपति शासन है यानि सरकार की तरफ से ये सवाल उठाए गए. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा में कोई पक्ष या विपक्ष नहीं होता. सभी लोग सरकार के साथ होते हैं.

एयर स्ट्राइक के बाद विपक्ष सरकार के साथ खड़ा था. विपक्ष के सभी नेताओं ने इसका समर्थन किया था और कहा था कि आतंकियों पर कार्रवाई होनी चाहिए. लेकिन सरकार ने पहले इसका राजनीतिकरण करने का प्रयास किया. बीजेपी नेताओं और मंत्रियों के अलग-अलग बयान आने लगे जिससे सवाल खड़े हुए.

उन्होंने कहा कि आतंकी हमला करते हैं तो पूरे देश की जनता एक साथ विरोध करती है. लेकिन आतंकी चाहता है कि हम आपस लड़ें. येचुरी ने कहा कि सरकार और मीडिया फूट डालने की कोशिश करते हैं जो एकता चाहते हैं वह विरोध नहीं करते हैं. आतंकवाद और सुरक्षा की बात करें तो आज ही क्यों राष्ट्र की सुरक्षा हर समय मुद्दा है.

Advertisement
Advertisement