उद्योपति विजय माल्या और नीरव मोदी बैंकों को करोड़ों का चूना लगाकर फरार हैं. विपक्ष का आरोप है कि सरकार की वजह से ये दोनों देश से भागने में कामयाब रहे. एक तरह विपक्ष ने सरकार पर इन दोनों को भागने में मदद का आरोप लगाया है. लेकिन सरकार का साफ कहना है कि विजय माल्या को बैंक से लोन यूपीए सरकार के दौरान मिला था. जबकि मोदी सरकार में शिकंजा कसता देख घोटालेबाज उद्योगपित देश छोड़कर भागे.
मोदी सरकार का कहना है कि विजय माल्या और नीरव मोदी को जल्द देश वापस लाया जाएगा और दोनों से एक-एक पैसे वसूल किए जाएंगे. जो इन्होंने देश को चूना लगाया है. सरकार की दलील है कि इन दोनों पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाया जा रहा है और जल्द ही दोनों का प्रत्यर्पण संधि के तहत देश लाया जाएगा. लेकिन विपक्ष सरकार के इस दावे को केवल हवा-हवाई बता रहा है.
विपक्ष का कहना है कि मोदी सरकार की गलत नीतियों से वजह से दोनों आज देश को लूटकर फरार हैं, और सरकार केवल जनता को गुमराह कर रही है. विपक्ष इसे चुनावी मुद्दा भी बना सकता है. इसलिए 'आजतक' ने कार्वी इनसाइट्स के साथ मिलकर इस मुद्दे पर देश का मिजाज जानने की कोशिश की. सर्वे में लोगों से सवाल पूछा गया कि क्या एनडीए सरकार ने विजय माल्या और नीरव मोदी को गिरफ्तार कर देश लाने में पर्याप्त कोशिश की है?
सर्वे में 48 फीसदी लोगों ने माना कि इन घोटालेबाजों को वापस लाने के लिए मोदी सरकार पूरी ताकत लगा दी है. जबकि 34 फीसदी लोगों ने मोदी सरकार की कोशशि को नाकाफी बाताया. वहीं 18 फीसदी लोगों ने या तो कोई जवाब नहीं दिया या फिर उन्होंने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. आजतक ने यह सर्वे इसी महीने किया है. जबकि पिछले साल अगस्त महीने में किए गए सर्वे के आंकड़े थोड़े अलग हैं. उस समय सर्वे में 42 फीसदी लोगों ने मोदी सरकार की कोशिश को सही बताया था, जबकि 39 फीसदी लोगों ने सरकार की कोशिश पर्याप्त नहीं माना था.
गौरतलब है कि अगस्त 2018 के मुकाबले अभी मोदी सरकार की कोशिश को जनता का ज्यादा साथ मिला है. सर्वे के मुताबिक देश की करीब आधी आबादी आज की तारीख में मानती है कि मोदी सरकार ने विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे भगोड़े उद्योपतियों पर शिकंजा कसा है और स्वदेश लाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है.