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जिन्ना ने भी डायरेक्ट एक्शन डे रमजान के 18वें दिन शुरू किया था-जेटली

केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने आजतक के विशेष मंच 'सुरक्षा सभा' में शामिल हुए और उन्होंने रमजान के दौरान होने वाले चुनाव को लेकर अपनी बात रखी और कहा कि हर चीज का कम्युनलाइजेशन नहीं करना चाहिए. जेटली ने कहा कि जिन्ना ने भी डायरेक्ट एक्शन डे रमजान के 18वें दिन शुरू किया था.

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केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली (फोटो-india today)
केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली (फोटो-india today)

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लोकसभा चुनाव 2019 के सात चरण में से तीन चरण के मतदान रमजान के महीने होंगे. इसे लेकर कुछ राजनीतिक दलों ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि एक साजिश के तहत रमजान में वोटिंग रखी गई ताकि मुस्लिम मतदाता बड़ी तादाद में वोट न डाल सके. केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने आजतक के विशेष मंच 'सुरक्षा सभा' में शामिल हुए और उन्होंने रमजान के दौरान होने वाले चुनाव को लेकर अपनी बात रखी और कहा कि हर चीज का कम्युनलाइजेशन नहीं करना चाहिए. जेटली ने कहा कि जिन्ना ने भी डायरेक्ट एक्शन डे रमजान के 18वें दिन शुरू किया था.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जैसे को नेता सवाल उठा रहे हैं कि रमजान के दौरान चुनाव हो रहे हैं. जबकि उन्हें एक बार भी ये लगा कि इस दौरान होली भी है, बैसाखी भी है, नवरात्री भी है, गुड फ्राइडे भी है, सिखों के पर्व भी हो सकते हैं. लेकिन किसी ने सवाल नहीं उठाया. विपक्ष के कुछ नेता एक समुदाय का नाम लेकर इसे भी सांप्रदायिक करने की कोशिश की गई.

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उन्होंने कहा कि किसी ने कहा कि पिछले रमजान के दौरान उत्तर प्रदेश के कैराना लोकसभा सीट पर चुनाव हुए थे. इस चुनाव को सपा के समर्थन से आरएलडी जीती थी. ममता जैसे नेता हर चीज के सियासी रंग में देने और सांप्रदायीकरण करने का काम कर रहे हैं. जेटली ने कहा कि भारत एक एस्पिरेशन सोसाइटी है, इसमें नहीं फंसेगी.

जेटली ने साथ ही कहा कि आपको बता दूं कि मोहम्मद अली जिन्ना और मुस्लिम लीग ने जब 16 अगस्त, 1946 में 'डायरेक्ट एक्शन डे' का ऐलान किया था. वो भी रमजान की 18 वां दिन था. उन्होंने कहा कि मुस्लिम कट्टरपंथी भी रमजान में अपने काम किया करते थे किसी ने भी कुछ नहीं कहा. लेकिन कुछ राजनीतिक दल कम्युनलाइजेशन के लिए इस तरह की बात को उठा रहे हैं.

बता दें कि जिन्ना ने 16 अगस्त, 1946 में 'डायरेक्ट एक्शन डे' शुरू किया था. इसके जरिए जिन्ना औैर मुस्लिम लीग ब्रिटिश सरकार को दिखाना चाहते थे कि भारत के 10 करोड़ मुस्लिम किसी भी कीमत पर पाकिस्तान चाहते हैं. इसके बाद कोलकाता में दंगा हुआ, जिसमें काफी नुकसान हुआ. कांग्रेस और हिंदू महासभा के नेताओं ने 'डायरेक्ट एक्शन डे' का विरोध किया था.

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