तेलंगाना के आदिलाबाद जिले को दक्षिण और मध्य भारत का गेटवे कहा जाता है. यहां का पुराना नाम एदलाबाद भी रहा है. आदिलाबाद जिले को 2006 में भारत के 250 सबसे पिछड़े हुए जिलों में से एक घोषित किया गया था. तेलंगाना की आदिलाबाद लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित है. इस समय यहां से टीआरएस के के. केशव राव सांसद हैं.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
आदिलाबाद लोकसभा सीट में आजादी के बाद से कांग्रेस का ही दबदबा रहा है. यहां से पहला चुनाव सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर सी. माधव रेड्डी जीते थे. अब तक 16 लोकसभा में से आठ बार यहां पर कांग्रेस के ही सांसद जीते हैं. इसके बाद सबसे ज्यादा बार ये सीट टीडीपी के सांसदों को मिली है. टीडीपी के सांसदों ने छह बार ये सीट अपने नाम की है. इस समय यह सीट टीआरएस के पास है. टीआरएस के पास ये सीट दो बार रही है. 14वीं लोकसभा में टीआरएस सांसद टी. मधुसूदन रेड्डी के इस्तीफे के बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस के ए. इंद्रकरण रेड्डी को जीत मिली थी.
सामाजिक ताना-बाना
2011 की जनगणना के मुताबिक आदिलाबाद लोकसभा सीट की 79.6 फीसदी आबादी ग्रामीण है और 20.4 फीसदी आबादी शहरी इलाके में रहती है. यहां अनुसूचित जाति की आबादी का अनुपात 15.27 फीसदी है और अनुसूचित जनजाति की आबादी 22.48 फीसदी के अनुपात में है. आदिलाबाद लोकसभा सीट में पुरुषों के मुकाबले महिला मतदाताओं की संख्या ज्यादा है और मतदान में भी इनका प्रतिशत ज्यादा रहता है. यहां पर 6,87,389 पुरुष और 6,98,844 महिला यानी कुल 13,86,233 (2014 के लोकसभा के आंकड़ों के आधार पर) मतदाता हैं. आदिलाबाद लोकसभा क्षेत्र में सात विधानसभा सीटें हैं. इसमें से तीन सीटें- खानापुर, आसिफाबाद और बोथ अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित हैं और चार सीटें अनारक्षित हैं. 2018 में हुए विधानसभा चुनावों के बाद सिरपुर, खानापुर, आदिलाबाद, बोथ और निर्मल सीटें टीआरएस और मुढोले और आसिफाबाद सीटें कांग्रेस के पास हैं.
2014 का जनादेश
आदिलाबाद लोकसभा सीट पर 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में टीआरएस के गोडम नागेश को 41 फीसदी से ज्यादा वोट (4,30,847 वोट) मिले थे. यहां पर कांग्रेस के डॉ. नरेश जाधव 24.82 फीसदी वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहे थे और उन्हें 2,59,557 वोट मिले थे. टीडीपी उम्मीदवार रमेश राठौड़ 17.61 फीसदी (1,81,198) वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे थे. चौथे नंबर पर रहे बसपा के सदाशिव राठौड़ को 94,420 वोट मिले थे. 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां पर 75.44 फीसदी मतदान हुआ था, जिसमें 10,45,839 मतदाताओं ने हिस्सा लिया था.
सांसद का रिपोर्ट कार्ड
नागेश ने 16वीं लोकसभा में अपनी सांसद निधि से अपने निर्वाचन क्षेत्र में 18.36 करोड़ खर्च किए और करीब 1.96 करोड़ रुपये खर्च नहीं हो सके. गोडम नागेश की सदन में उपस्थिति (83 फीसदी) काफी अच्छी रही है. वह इस मामले में राष्ट्रीय औसत (80 फीसदी) और अपने राज्य तेलंगाना (69 फीसदी) से कहीं आगे हैं. हालांकि, बहस में हिस्सा लेने के मामले में वह कहीं नहीं ठहरते. उन्होंने केवल 4 बहसों में हिस्सा लिया है. इस मामले में राष्ट्रीय औसत 64.8 बहसों का है, उनके राज्य तेलंगाना का औसत 37.4 फीसदी है. गोडम नागेश का सवाल पूछने का औसत भी काफी खराब है. उन्होंने सदन में केवल 12 सवाल पूछे हैं, जबकि इस मामले में राष्ट्रीय औसत 283 सवालों का है, जबकि उनके ही राज्य के सांसदों का औसत 293 सवालों का है. वह सदन में एक भी प्राइवेट मेंबर बिल नहीं लाए.