अलाथुर लोकसभा क्षेत्र केरल की 20 संसदीय सीटों में से एक है. यह सुरक्षित सीट परसीमन के बाद साल 2008 में ही अस्तित्व में आई है. यह क्षेत्र पहले ओट्टपलम लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा था. अलग चुनाव यहां पहली बार 2009 में हुए. यह सीट माकपा का गढ़ है.
अलाथुर लोकसभा क्षेत्र में सात विधानसभा क्षेत्र आते हैं-तरूर, चित्तूर, नेम्मारा, अलाथुर, चेलक्करा, कुन्नाकुलम और वडक्कनचेरी इनमें से तरूर, चित्तूर, नेम्मारा और अलाथुर राज्य के पलक्कड़ जिले के तहत आते हैं, जबकि चेलक्कारा, कुन्नाकुलम और वडक्कनचेरी क्षेत्र त्रिसूर जिले के तहत आते हैं.
वाम मोर्चा मजबूत
गौरतलब है कि केरल में चुनाव दो प्रमुख गठबंधनों एलडीएफ और यूडीएफ के बीच होते हैं. एलडीएफ यानी लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट में वाम दल और उनके सहयोगी होते हैं, जबकि यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट में कांग्रेस और उसके सहयोगी दल होते हैं. यूडीएफ केंद्र स्तर पर बने यूपीए का ही हिस्सा होता है. राज्य में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए को पिछले चुनावों में कुछ खास सफलता नहीं मिली है, लेकिन शबरीमाला जैसे आंदोलनों से वह लगातार अपना आधार बढ़ाने की कोशिश कर रहा है.
अलथुरा सीट माकपा का गढ़ है, हालांकि कांग्रेस से उसे अच्छी टक्कर मिलती रही है. साल 2009 और 2014 में लगातार दो बार से यहां कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया-माक्र्सवादी (माकपा) के पी.के. बीजू सांसद हैं.
गौरतलब है कि पिछली बार यहां से बीजेपी लड़ी थी और उसके कैंडिडेट ने ठीक-ठाक वोट हासिल किया था, लेकिन इस बार एनडीए में शामिल एक सहयोगी दल भारत धर्म जन सेना दल (BDJS)अपना कैंडिडेट उतारने का दबाव बना रहा है. हाल में कोच्चि में एनडीए के राज्य स्तरीय नेताओं की एक बैठक हुई थी. इसमें बीडीजेएस ने राज्य की आठ लोकसभा सीटों पर अपना दावा किया, जिसमें से अलाथुर भी शामिल है.
महिला मतदाता ज्यादा
अलाथुर में साल 2014 में कुल मतदाता 12,16,351 थे, जिनमें से 9,27,228 ने ही वोट डाले थे. इनमें से महिला मतदाताओं की संख्या 6,24,401 और पुरुष मतदाताओं की संख्या 5,91,950 थी. यानी इस संसदीय क्षेत्र में महिला मतदाताओं की संख्या ज्यादा है. पलक्कड़ जिले की करीब 28 लाख जनसंख्या में एससी-एसटी की जनसंख्या करीब 4.5 लाख है.
कृषि इस क्षेत्र का प्रमुख रोजगार है. पहाड़ी जमीन पर रबर और मैदानी इलाकों में धान उगाया जाता है. इनके अलावा नारियल, अदरक, केला, कद्दू आदि की खेती भी होती है. अगरबत्ती उत्पादन यहां के प्रमुख कुटीर उद्योगों में शामिल है.
पी.के. बीजू फिर बने सांसद
साल 2014 में CPI-M के पी.के. बीजू को 4,11,808 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस की के.ए. शीबा को 3,74,496 वोट मिले. बीजेपी कैंडिडेट शाजुमोन वट्टेकाड को 87,803 वोट मिले. इस तरह लगातार दूसरी बार बीजू यहां से सांसद बने. यहां नोटा को भी अच्छा-खासा 21,417 वोट पड़ गया . यह इस हिसाब से मायने रखता है कि बीजू के जीत का मार्जिन महज 37,312 वोटों का था. यहां से बहुजन समाज पार्टी के सिंबल से एक कैंडिडेट प्रेमा कुमारी खड़ी थीं, जिन्हें महज 4,436 वोट मिले थे. बीजू को करीब 44 फीसदी, जबकि रनर अप कांग्रेस कैंडिडेट को करीब 40 फीसदी वोट मिले.
उच्च शिक्षित युवा सांसद
44 वर्षीय युवा बीजू लोकप्रिय हैं, इसलिए लगातार दो बार से यहां से सांसद हैं. वे उच्च शिक्षित हैं, उन्होंने पाॅलिमर केमिस्ट्री में एमएससी किया है. संसद में उनके प्रदर्शन की बात करें तो उनकी उपस्थिति करीब 87 फीसदी रही है. उन्होंने करीब 563 सवाल पूछे और 301 बार बहसों में हिस्सा लिया.
16वीं लोकसभा 2014-19 के दौरान अगर सांसद निधि से खर्च की बात की जाए तो उनके लिए इस दौरान कुल 22 करोड़ रुपए की रकम मंजूर हुई, जिसमें से वह 17.46 करोड़ रुपए खर्च कर पाए. गौरतलब है कि सांसद निधि के रूप में सांसद पांच साल में अधिकतम 25 करोड़ रुपए की निधि का हकदार होता है.