अमलापुरम आंध्र प्रदेश की एक अहम लोकसभा सीट है. 2014 में इस सुरक्षित सीट से टीडीपी के रवींद्र बाबू चुनाव जीते थे, लेकिन इस बार टीडीपी ने रवींद्र बाबू की उम्मीदवारी बदल दी है. इस बार पार्टी ने पूर्व लोकसभा स्पीकर जीएमसी बालयोगी के बेटे हरीश मधुर को टिकट दिया है. जीएमसी बालयोगी इस सीट से 1991, 1998 और 1999 में चुनाव जीत चुके हैं. पार्टी को उम्मीद है कि पिता की छवि का फायदा हरीश मधुर को मिलेगा.
टीडीपी का यहां मुकाबला जनसेना के उम्मीदवार डीएमआर शेखर और कांग्रेस कैंडिडेट जंगा गौतम से है. यहां से बीजेपी के वेमा मानेपल्ली मैदान में हैं. वाईएसआर कांग्रेस के चिंता अनुराधा भी इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. इस सीट से जन जागृति पार्टी की चेल्लै रजनी भी चुनाव लड़ रही हैं. अमलापुरम सीट पूर्वी गोदावरी जिले के तहत आने वाली तीन लोकसभा सीटों में से एक है. इस सीट पर 11 अप्रैल को मतदान है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
अमलापुरम लोकसभा सीट का इतिहास बेहद दिलचस्प है. इस सीट पर शुरुआती दो आम चुनावों (1952 और 1957 लोकसभा चुनाव) को जीतने वाली कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI) वर्तमान में अपने वजूद की लड़ाई लड़ रही है. वहीं, 1982 से पहले लगातार 5 बार आम चुनाव जीतने वाली कांग्रेस को टीडीपी के आने से बड़ा झटका लगा और उसके वोट में काफी गिरावट आई. टीडीपी का गठन 1982 में हुआ और इसके बाद हुए 9 आम चुनावों में कांग्रेस को 4 बार ही कामयाबी मिल सकी. वहीं, टीडीपी ने 5 बार जीत का परचम लहराया. इस सीट पर 1984 में टीडीपी, 1989 में कांग्रेस, 1991 में टीडीपी, 1996 में कांग्रेस, 1998 और 1999 में टीडीपी, 2004 और 2009 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की. वहीं, 2014 में मोदी लहर के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने वाली टीडीपी ने यहां जीत हासिल की.
सामाजिक ताना-बाना
आरक्षित लोकसभा सीट अमलापुरम की अधिकतर जनता गांवों में बसती है. यहां ज्यादातर लोग किसान हैं. 18 लाख 72 हजार से ज्यादा की जनसंख्या वाले इस लोकसभा क्षेत्र में 91 फीसदी लोग गांवों में रहते हैं और करीब 9 फीसदी लोगों ने ही शहर की ओर रुख किया है. बात जातिगत समिकरण की करें तो इस सीट पर कुल 24.58 फीसदी लोग अनुसूचित जाति (SC) के हैं. वहीं, 0.78 फीसदी की आबादी अनुसूचित जनजाति के लोगों की है.
अमलापुरम लोकसभा के तहत 7 विधानसभाएं आती हैं, जिसमें तीन अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. इन 7 विधानसभा सीटों में से 6 पर टीडीपी का कब्जा है वहीं कोथापेटा सीट पर वाईएसआर कांग्रेस विधायक हैं. अन्य 6 सीटें जिन पर टीडीपी के विधायक हैं वो हैं, रामाचंद्रपुरम, मुम्मिदिवाराम, अमलापुरम (एससी), रजोल (एससी), गन्नावरम (एससी) और मंडापेटा. चुनाव आयोग के मुताबिक इस सीट पर कुल 13,57,865 वोटर हैं. जिनमें 5,65,013 पुरुष और 5,48,900 महिला वोटर हैं. 2014 के आम चुनाव में इस सीट पर 82.63 फीसदी वोटिंग हुई थी.
2014 का जनादेश
2014 के आम चुनाव में अमलापुरम सीट पर टीडीपी उम्मीदवार पी. रवींद्र बाबू ने भारी मतों के अंतर से वाईएसआर कांग्रेस के उम्मीदवार को पटकनी दी. रवींद्र बाबू को 53.04 फीसदी वोट मिले, वहीं वाईएसआर कांग्रेस उम्मीदवार विश्वरुपु को 42.28 फीसदी वोट ही प्राप्त हुए, जिसके बाद रवींद्र बाबू ने 1,20,576 वोटों के भारी अंतर से जीत हासिल की. पहले टीडीपी और फिर 2011 में वाईएसआर कांग्रेस के गठन के बाद कांग्रेस की हालत प्रदेश में बेहद खराब है और वो अपने वजूद की लड़ाई लड़ रही है. आलम यह है कि 2009 में अमलापुरम सीट जीतने वाली कांग्रेस 2014 के आम चुनाव में खिसककर तीसरे नंबर पर चली गई. उसे महज 1.08 फीसदी वोट ही मिल सके.
सांसद का रिपोर्ट कार्ड
आईआरएस (इंडियन रिवेन्यू सर्विसेज) छोड़कर राजनीति के क्षेत्र में कदम रखने वाले पंडुला रवींद्र बाबू टीडीपी का दामन थामा और 2014 के आम चुनाव में जीत हासिल कर संसद पहुंचे. हालांकि, हाल ही में उन्होंने पाला बदलते हुए वाईएसआर कांग्रेस का दामन थाम लिया है. उस समय वह सुर्खियों आए थे जब उन्होंने विवादित बयान देते हुए कहा था कि लोग सेना में फ्री की शराब के लिए भर्ती होते हैं. संसद में उनकी मौजूदगी 95 फीसदी रही है. इसके अलावा उन्होंने संसद के 66 बहसों में हिस्सा लिया जिसमें उन्होंने 147 सवाल पूछे. विशाखापत्तनम स्थित आंध्र मैडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई कर चुके रवींद्र बाबू ने अपने क्षेत्र में विकास कार्यों पर सरकार द्वारा जारी की गई राशि में से 19.7 करोड़ रुपये खर्च किए हैं.
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