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अमरिंदर ने सिद्धू पर फोड़ा हार का ठीकरा, कहा- बाजवा को गले लगाने से नुकसान

अमरिंदर सिंह ने प्रेस वार्ता करते हुए कहा कि सिद्धू का पाकिस्तान के आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा को गले लगाना किसी भी हिन्दुस्तानी को अच्छा नहीं लगा, यहां तक कि एक पूर्व सैनिक होने के नाते मुझे भी उनकी यह हरकत ठीक नहीं लगी.

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पाकिस्तानी सेना प्रमुख बाजवा से गले मिलते सिद्धू (फाइल फोटो)
पाकिस्तानी सेना प्रमुख बाजवा से गले मिलते सिद्धू (फाइल फोटो)

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देशभर में मोदी लहर के बीच पंजाब ही ऐसा राज्य है जहां कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन कर पाई है. 2014 के जनादेश को पछाड़ते हुए इस बार के रुझानों में बीजेपी अकेले ही 300 सीटों का आंकड़ा पार करती दिख रही है. बावजूद इसके मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह कांग्रेस पार्टी के प्रदर्शन से खुश नजर नहीं आए और उन्होंने अपने मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के 'पाकिस्तान प्रेम' को पार्टी की शिकस्त के लिए जिम्मेदार ठहरा दिया.

अमरिंदर सिंह ने प्रेस वार्ता करते हुए कहा कि सिद्धू का पाकिस्तान के आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा को गले लगाना किसी भी हिन्दुस्तानी को अच्छा नहीं लगा, यहां तक कि एक पूर्व सैनिक होने के नाते मुझे भी उनकी यह हरकत ठीक नहीं लगी. कैप्टन ने कहा कि कोई भारतीय ऐसी हरकत बर्दाश्त नहीं कर सकता.

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गुरदासपुर में कांग्रेस सांसद सुनील जाखड़ के रुझानों में पिछड़ने पर कैप्टन ने कहा कि जाखड़ अनुभवी राजनेता हैं और उन्होंने वहां खूब काम भी किया है, जनता एक मंझे हुए राजनेता के ऊपर किसी अभिनेता को तरजीह दे रही है, यह बात समझ से परे है.

गुरदासपुर सीट पर जाखड़ का मुकाबला हाल ही में बीजेपी में शामिल हुए अभिनेता सनी देओल से है जो रुझानों में आगे चल रहे हैं. पंजाब में कांग्रेस की सरकार है और पार्टी वहां अन्य राज्यों की अपेक्षा बेहतर करती दिख रही है. राज्य के पड़ोस में बसे दिल्ली, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में मोदी लहर के चलते कांग्रेस सूपड़ा साफ होती दिख रही है जबकि पंजाब में 13 में 10 सीटों पर कांग्रेस को बढ़त मिलती दिख रही है. 

गले लगाकर फंस गए सिद्धू

बता दें कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और पूर्व क्रिकेटर इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए पंजाब सरकार में मंत्री सिद्धू निजी हैसियत से पाकिस्तान गए थे. वहां समारोह में उनकी मुलाकात पाकिस्तानी सेना प्रमुख बाजवा से हुई और उन्होंने बाजवा को गले लगाया था.

सिद्धू का कहना था कि उन्होंने करतारपुर कॉरिडोर पर पाकिस्तान के प्रयासों से खुश होकर ऐसा किया लेकिन देशभर में सिद्धू के इस कदम का काफी विरोध हुआ था. विरोधी नेताओं के अलावा सिद्धू को अपनी ही पार्टी में इसके लिए आलोचना झेलनी पड़ी थी, उनपर निशाना साधने वालों में तब भी कैप्टन अमरिंदर सिंह की सबसे आगे थे. 

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