नेशनल कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) गुजरात गांधीनगर सीट पर अमित शाह के खिलाफ शंकर सिंह वाघेला को चुनावी समर में उतारना चाहती है. हालांकि गुजरात में एनसीपी और कांग्रेस के बीच सीटों का बंटवारा अभी तक नहीं हुआ है. लेकिन राजनीतिक गलियारों में खबर है कि अमित शाह के खिलाफ एनसीपी से शंकर सिंह वाघेला प्रत्याशी हो सकते हैं. शंकर सिंह वाघेला ने ही 1989 में भाजपा को गांधीनगर सीट दिलाई थी. यह बाद में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को मिल गई थी.
इस लोकसभा चुनाव में गांधीनगर सीट से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह मैदान में हैं. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यह भाजपा की जीती हुई सीट है. क्योंकि इससे पहले आडवाणी यहां से जब भी लड़े, उन्होंने जीत हासिल की. लोगों का मानना है कि इसी परंपरा को बरकरार रखते हुए अमित शाह भी यहां से जीत जाएंगे. ऐसे में एनसीपी शंकर सिंह वाघेला को उतारना चाहती है. क्योंकि वे गुजरात के कद्दावर नेता रहे हैं.
जब वाघेला गांधीनगर सीट भाजपा को दिला सकते हैं, तो एनसीपी को क्यों नहीं
गुजरात एनसीपी ने वाघेला को अमित शाह के सामने उतारने की मांग को पार्टी आलाकमान के सामने रखी है. एनसीपी यह मानती है कि जब 1989 में गांधीनगर सीट पर जब कोई भाजपा को जानता भी नहीं था, तब शंकर सिंह वाघेला ने यह सीट भाजपा की झोली में डाली थी. तो इस बार वह यह सीट एनसीपी को भी दिला सकते हैं. 1991 में आडवाणी के लिए वाघेला ने यह सीट छोड़ दी थी. इसके बाद से इस पर भाजपा का कब्जा रहा है.
गांधीनगर में ठाकोर समुदाय के वोट खीचेंगे शंकर सिंह वाघेला
गांधीनगर लोकसभा क्षेत्र में 7 विधानसभा सीटें हैं. इनमें से 3 सीटों पर ठाकोर समुदाय का दबदबा है. एनसीपी का मानना है कि इस समुदाय को वाघेला अपनी ओर खींच सकते हैं. अभी कांग्रेस के पास कोई इतना बड़ा नेता नहीं है जो अमित शाह के खिलाफ लड़ सके.
वाघेला ने पहले ही कह दिया था कि वे इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगे
शंकर सिंह वाघेला पहले ही यह घोषणा कर चुके हैं कि वे इस बार का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे. ऐसी खबर है कि एनसीपी प्रमुख शरद पवार अगर शंकर सिंह वाघेला को मनाएं तो वह चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो सकते हैं. हालांकि शंकर सिंह वाघेला के बेटे महेंद्र वाघेला भाजपा में शामिल हो चुके हैं.