17वीं लोकसभा चुनाव के तहत उत्तर प्रदेश की आंवला सीट से मौजूदा सांसद भाजपा उम्मीदवार धर्मेंद्र कश्यप ने गठबंधन उम्मीदवार बसपा की रुचि वीरा को 113743 मतों से पराजित किया है. इस सीट पर सपा, बीजेपी और कांग्रेस के बीच त्रिकोणयी मुकाबला दिखा.
कब और कितनी हुई वोटिंग
आंवला सीट पर वोटिंग तीसरे चरण में 23 अप्रैल को हुई थी, इस सीट पर 58.80 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था. इस सीट पर कुल 1783792 मतदाता हैं, जिसमें से 1048914 मतदाताओं ने अपने वोट डाले हैं.
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कौन-कौन हैं प्रमुख उम्मीदवार
सामान्य वर्ग वाली इस सीट पर यूं तो सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी धर्मेंद्र कश्यप चुनाव लड़ रहे हैं, जिनका मुख्य मुकाबला बहुजन समाज पार्टी की रुचिवीरा और कांग्रेस के कुंवर सर्वराज सिंह चुनावी मैदान में हैं. इस सीट पर कुल 14 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं.
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2014 का चुनाव
2014 के लोकसभा चुनाव में आंवला सीट पर 60.21 फीसदी वोटिंग हुई थी, जिसमें बीजेपी प्रत्याशी धर्मेंद्र कश्यप को 41.16 फीसदी (4,09,907) वोट मिले थे और और उनके निकटतम सपा प्रत्याशी सर्वराज सिंह को 27.26 फीसदी (2,71,478) मिले थे. इसके अलावा बसपा की सुनीता शाक्य को महज 19.10 फीसदी (1,90,200) वोट मिले थे. इस सीट पर बीजेपी के धर्मेंद्र शाक्य ने 1,38,429 मतों से जीत दर्ज की थी.
आंवला सीट का इतिहास
आवंला लोकसभा सीट पर 1962 में पहली बार चुनाव हुए थे और सभी को चौंकाते हुए हिंदू महासभा ने जीत दर्ज की थी. हालांकि, उसके बाद 1967, 1971 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी बड़े अंतर के साथ यहां से विजयी रही. 1977 के चुनाव में चली सत्ता विरोधी लहर का असर यहां भी दिखा और भारतीय लोकदल ने जीत दर्ज की, 1980 में भी कांग्रेस को यहां से जीत नहीं मिल सकी और जनता पार्टी यहां से विजयी हुई. 1984 में कांग्रेस बड़े अंतर से यहां जीती.
1984 के बाद से ही यहां कांग्रेस वापसी को तरस रही है. 1989 और 1991 में भारतीय जनता पार्टी लगातार दो बार यहां से जीती. 1996 के चुनाव में बीजेपी को यहां झटका लगा और क्षेत्रीय दल समाजवादी पार्टी विजय होकर सामने आई. लेकिन दो साल बाद हुए 1998 के चुनाव में एक बार फिर बीजेपी यहां जीती. 1999 का चुनाव समाजवादी पार्टी के हक में गया, लेकिन 2004 में जनता दल यूनाइटेड के टिकट पर सर्वराज सिंह ने चुनाव जीता.
पिछले दो चुनाव में बीजेपी का इस सीट पर कब्जा है, 2009 का चुनाव मेनका गांधी ने यहां से बड़े अंतर से जीता था और 2014 में इस सीट पर बीजेपी को मोदी लहर का फायदा मिला और धर्मेंद्र कुमार कश्यप एकतरफा लड़ाई में जीत गए. कश्यप एक बार फिर चुनावी मैदान में हैं.
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