बिहार में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम महागठबंधन का गणित बिगाड़ सकती है. खासकर मुसलमानों के वोट बैंक पर अपना हक समझने वाली आरजेडी और कांग्रेस को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है. इसका अंदाजा लोकसभा चुनाव में पार्टी को वोट से पता चलता है. ओवैसी की पार्टी बिहार में केवल एक लोकसभा क्षेत्र किशनगंज से चुनाव लड़ी और जबरदस्त टक्कर दी. हालांकि किशनगंज में वो तीसरे नंबर पर रही लेकिन किशनगंज लोकसभा की 6 विधानसभा में से 2 पर उसकी अच्छी खासी बढ़त रही. माना जा रहा है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी बिहार में अपना खाता खोल सकती है.
ओवैसी की पार्टी बिहार में
एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन पार्टी इस प्रदर्शन से उत्साहित हैं और माना जा रहा है कि अगले साल बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी सीमांचल के सभी 24 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकती है. एआईएमआईएम की पहली धमक बिहार में 2015 के विधानसभा चुनाव में देखने को मिली थी तब ओवैसी ने सीमांचल की 7 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. हालांकि तब पार्टी का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा था. किशनगंज देश का वो जिला है जहां 70 फीसदी आबादी अल्पसंख्यकों की है और ओवैसी की काफी दिनों से इस इलाके में अपनी पैठ बनाने की मंशा रही है.
एआईएमआईएम ने देश में केवल तीन जगहों से चुनाव लड़ी और उसमें एक किशनगंज भी है जाहिर है ओवैसी इसे काफी गंभीरता से ले रहे हैं. बिहार की एकमात्र सीट पर चुनाव लड़कर एआईएमआईएम ने अपनी जबरदस्त उपस्थिति दर्ज कराई. किशनगंज बिहार का एक मात्र लोकसभा क्षेत्र था जहां जबरदस्त त्रिकोणीय मुकाबला हुआ. हालांकि इस मुकाबले को कांग्रेस ने लगभग 20 हजार मतों से जीत लिया, लेकिन शुरुआत में मुकाबला जेडीयू और एआईएमआईएम के बीच ही मुकाबला दिखा लेकिन बाद में कांग्रेस ने जेडीयू को मात देकर बाजी मार गई. ओवैसी की पार्टी तीसरे नम्बर पर रही.
आकड़ों की बात करें तो किशनगंज की 6 विधानसभा क्षेत्र में से दो पर ओवैसी की पार्टी की अच्छी लीड रही. कोचाधामन और बहादुरगंज विधानसभा में वो कांग्रेस और जेडीयू से आगे रही. कोचाधामन विधानसभा में कांग्रेस को 36984, जेडीयू को 38721 जबकि एआईएमआईएम को 68242 वोट मिले इसी तरह बहादुरगंज विधानसभा में कांग्रेस को 44350, जेडीयू को 51970 और एआईएमआईएम को 67545 मत प्राप्त हुए. यानी मोदी लहर में भी पार्टी ने किशनगंज में शानदार प्रदर्शन किया. पूरे बिहार में ये एक मात्र सीट थी जहां मुकाबला त्रिकोणीय रहा और कांग्रेस के मो. जावेद जेडीयू के सैयद महमूद अशरफ और एआईएमआईएम के अख्तरूल इमाम के बीच कड़ा मुकाबला रहा. लोकसभा चुनाव में जहां महागठबंधन का किला ध्वस्त हुआ वहीं ओवैसी की पार्टी के लिए अच्छी खबर रही.
पार्टी के प्रदेश कोषाध्यक्ष मजहरूल हसन का कहना है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष से बात हुई है और वह रमजान के बाद आएंगे और समीक्षा होगी, हार को काफी गंभीरता से ले रहे हैं. सीमांचल में जहां-जहां उपचुनाव होंगे अपना कैंडिडेट हम देंगे. बिहार के बाकी हिस्सों में भी राष्ट्रीय अध्यक्ष से विचार विमर्श चला रहा है और बाकी जगहों पर कैंडिडेट उतरने के लिए सोच रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम गठबंधन के विरोधी नहीं हैं, लेकिन आरजेडी ने मुसलमानों को सबसे ज्यादा मायूस किया. सीमांचल में 24 सीटें हैं जिस पर आने वाले विधानसभा चुनाव में हम जरूर लड़ेंगे, बिहार की रणनीति हम राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ मिलकर बैठकर तय करेंगे.