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अजेय आजम खान...मोदी सुनामी में भी रामपुर में जादू बरकरार

तमाम विवादों और यूपी में फिर मोदी सुनामी के बावजूद आजम खान अपनी सीट अच्छे मार्जिन से जीत गए. आजम खान को 5,59,177 वोट मिले, जबकि जया प्रदा की गिनती 4,49,180 मतों पर रुक गई. इस तरह आजम खान ने 1,09,997 मतों से जया प्रदा को हरा दिया.

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रामपुर सीट से आजम खान ने जया प्रदा को हराया
रामपुर सीट से आजम खान ने जया प्रदा को हराया

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उत्तर प्रदेश की राजनीति में मोहम्मद आजम खान वो नाम है, जिसका जादू हर मौसम में चलता है. उम्र के 70वें पड़ाव पर चल रहे आजम खान चार दशक से ज्यादा की चुनावी सियासत कर चुके हैं और इस अरसे में ऐसा एक ही मौका आया है जब अवाम ने आजम को नहीं चुना हो. यहां तक कि मोदी लहर, योगी लहर और मोदी सुनामी में भी रामपुर में आजम खान की मजबूत नींव को हिला नहीं सकी. मौजूदा लोकसभा चुनाव में आजम खान ने बीजेपी प्रत्याशी जया प्रदा को शिकस्त दी है.

चुनाव प्रचार के दौरान दोनों नेताओं के बीच पुरानी अदावत को लेकर जमकर तीखी बयानबाजी हुई. यहां तक कि जया प्रदा पर आजम खान की एक टिप्पणी के लिए उनके चुनाव प्रचार पर बैन भी लगा और जया प्रदा ने महिला सम्मान को आजम खान के खिलाफ अहम मुद्दा भी बनाया. लेकिन इन तमाम विवादों और यूपी में फिर मोदी सुनामी के बावजूद आजम खान अपनी सीट अच्छे मार्जिन से जीत गए. आजम खान को 5,59,177 वोट मिले, जबकि जया प्रदा की गिनती 4,49,180 मतों पर रुक गई. इस तरह आजम खान ने 1,09,997 मतों से जया प्रदा को हरा दिया.

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अच्छे अंतर वाली जीत आजम खान को उन हालातों में मिली है जब पूरे देश के साथ यूपी में बीजेपी ने एकतरफा जनसमर्थन हासिल किया है और तमाम विरोधी दल धराशाई हो गए हैं. यहां तक कि आजम खान की पार्टी सपा भी महज 5 सीटों पर जीत सकी है और मुलायम सिंह व अखिलेश यादव के अलावा परिवार से डिंपल यादव, धर्मेंद्र यादव और अक्षय यादव तक चुनाव हार गए हैं. ये पहला मौका नहीं है जब पूरी पार्टी के परास्त होने पर भी आजम खान अपना किला बचाने में कामयाब रहे हैं.

azam-abdullah_052419113128.jpgबेटे अब्दुल्ला आजम के साथ आजम खान

इससे पहले 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में भी ऐसे ही हालात देखने को मिले थे. 1980 से यूपी विधानसभा की राजनीति करते आ रहे आजम खान ने 2017 का चुनाव भी अपनी सीट रामपुर से लड़ा. इस चुनाव में सपा ने कांग्रेस गठबंधन में चुनाव लड़ा और बुरी तरह परास्त हुई. सपा 224 से गिरकर 54 पर आ गई. जबकि बीजेपी ने 325 सीटों पाकर इतिहास रच दिया. बीजेपी की इस प्रचंड लहर में आजम खान न सिर्फ अपनी रामपुर सीट बचाने में सफल रहे बल्कि पहली बार चुनावी मैदान में उतरे अपने बेटे अब्दुल्ला आजम खान को भी उन्होंने जीत की दहलीज पर ला दिया. क्षेत्र के मुस्लिम समाज में विरोध होने के बावजूद अब्दुल्ला ने स्वार विधानसभा सीट से जीत दर्ज की.

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1996 में हारे थे आजम

आजम खान को रामपुर में पहली और आखिरी हार 1996 के विधानसभा चुनाव में मिली थी. इस चुनाव में कांग्रेस के अफरोज अली खान से आजम को शिकस्त मिली थी. इस एक चुनाव के अलावा आजम खान 1980 से लगातार रामपुर विधानसभा सीट से विधायक निर्वाचित होते आ रहे हैं. अब आजम खान ने जब लोकसभा चुनाव में हाथ आजमाया तो मोदी सुनामी के बावजूद वो रामपुर सीट से अपनी जीत के रिकॉर्ड को कायम रखने में कामयाब हो गए.

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