देश में लोकतंत्र के महाकुंभ यानी आम चुनावों की घोषणा की जा चुकी है. चुनाव आयोग ने देश की 543 संसदीय सीटों पर सात चरणों में चुनाव कराए जाने का ऐलान कर दिया है. जिसके तीसरे चरण में कुल 14 राज्यों की 115 संसदीय सीटों पर 23 अप्रैल को वोटिंग होनी है.
दूसरे चरण में कर्नाटक की बागलकोट भी एक है. बागलकोट संसदीय सीट से नामांकन के बाद जिन नामों को चुनाव आयोग से हरी झंडी मिल गई है. उनमें गड्डीगौडर पर्वतगौडा(भारतीय जनता पार्टी), वीणा कशाप्पनवार(कांग्रेस), मोहम्मद हुसैन मुजावार(बहुजन समाज पार्टी), एम शशिकुमार(उत्तमा प्रजाकिय पार्टी), परशुराम लक्ष्मण नीलनाइक(रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया), बसन्नागौंडा रामान्नागौडा मेटी(सेक्यूलर डेमोक्रेटिक कांग्रेस), जमींदार मारूति(कर्नाटक जनता पक्ष), मुतप्पा मुदकप्पा(रायता भारत पार्टी), अदागल राजेंद्र(बहुजन मुक्ति पार्टी) और रामनागौडा एस बलावड़(हिदुस्तान जनता पार्टी) शामिल है.
वहीं निर्दलीय प्रत्याशियों में पेंडारी बुद्धेससब, मुत्तु एस सुराकोड, रवि शिवप्पा और शिवाराजकुमार अजप्पा हैं.
2014 का जनादेश
पिछले लोकसभा चुनाव में यहां मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच था. नतीजों में बीजेपी के पी. सी. गद्दीगौदर को 5.71 लाख वोट मिले और कांग्रेस के अजय कुमार को 4.54 वोट हासिल हुए. इस तरह बीजेपी ने बागलकोट सीट पर करीब 1.16 लाख वोटों से जीत दर्ज की. इस चुनाव में 68 फीसदी मतदान हुआ. नतीजों में दोनों मुख्य दलों के अलावा किसी भी उम्मीदवार को एक फीसदी से ज्यादा वोट हासिल नहीं हुए. चौथे नंबर पर बसपा प्रत्याशी को सिर्फ 0.7 फीसदी वोट मिले थे जबकि तीसरे नंबर पर रहे निर्दलीय उम्मीदवार को एक फीसद वोट हासिल हुए थे.
सामाजिक तानाबाना
बागलकोट लोकसभा सीट के अंतर्गत करीब 21 लाख की आबादी आती है जिसमें 70 फीसदी ग्रामीण और 30 फीसदी शहरी आबादी शामिल है. क्षेत्र में कुल आबादी का 16 फीसदी हिस्सा अनुसूचित जाति और 5 फीसदी हिस्सा अनुसूचित जनजाति से ताल्लुक रखता है.
इस लोकसभा के अंतर्गत 8 विधानसभा सीटें भी आती हैं. मुंबई कर्नाटक क्षेत्र की बागलकोट सीट पर करीब 16.5 लाख वोटर हैं जिनमें 9 लाख पुरुष और 7.5 लाख महिला वोटर शामिल हैं.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
आजादी के बाद बागलकोट लोकसभा सीट बॉम्बे स्टेट में आती थी तब इसका नाम बीजापुर दक्षिण सीट होता था. इसके बाद साल 1957 के लोकसभा चुनाव में यह सीट मैसूर स्टेट में आ गई. इस दौरान यहां से 1957 और 1962 के चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की. साल 1967 में मैसूर स्टेट के अंतर्गत ही इसे लोकसभा सीट बनाया गया. इस सीट पर अब तक हुए कुल चुनावों में 8 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है जबकि 3 बार यह सीट बीजेपी के खाते में गई है. इसके अलावा जनता दल और लोक शक्ति पार्टी ने भी 1-1 बार यहां से चुनाव जीता है.
गौरतलब है कि चुनाव के तीसरे चरण में 28 मार्च को नोटिफिकेशन जारी किए जाने के बाद 5 अप्रैल को नामांकन की आखिरी तारीख थी. दूसरे दिन स्क्रूटनी के बाद तय नामों पर 23 अप्रैल को संसदीय क्षेत्र के मतदाता अपने पसंदीदा प्रत्याशी के नाम पर मुहर लगाएंगे. जिसके नतीजे 23 मई को घोषित किए जाएंगे.
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