जम्मू-कश्मीर की बारामूला लोकसभा सीट पर मुकाबला नौ उम्मीदवारों के बीच होगा. बारामूला सीट पर लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 11 अप्रैल को मतदान होना है. यह सीट नेशनल कॉन्फ्रेंस का गढ़ रही है, लेकिन पिछले चुनाव में पीडीपी ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के इस गढ़ में सेंधमारी कर दी थी. पिछले लोकसभा चुनाव में पीडीपी पहली बार इस सीट पर जीतने में कामयाब हुई. उसके टिकट पर मुजफ्फर हुसैन बेग चुनाव जीते थे. उन्होंने नेशनल कॉन्फ्रेंस के शरीफुद्दीन शारिक को हराया था.
बहरहाल, इस सीट पर अब कांग्रेस के हाजी फारूक अहमद मीर, बीजेपी के मोहम्मद मकबूल वार, नेशनल कांफ्रेंस के मोहम्मद अकबर लोन और पीडीपी के अब्दुल कय्यूम वानी समेत स्थानीय दलों के नौ उम्मीदवार मैदान में हैं. एक निर्दलीय उम्मीदवार ने नामांकन वापस लेने के आखिरी दिन, 28 मार्च 2019 को अपना नामांकन वापस ले लिया. इसकी वजह से अब इस सीट पर नौ उम्मीदवारों के बीच मुकाबला होगा.
चार प्रत्याशियों के नामांकन पत्र रद्द
अब्दुल राशिद शाहीन नामक जिस निर्दलीय उम्मीदवार ने नाम वापस लिया है वह बाद में नेशनल कॉन्फ्रेंस में शामिल हो गए और पार्टी के नेताओं ने उनका स्वागत किया. बारामूला सीट पर लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 11 अप्रैल को मतदान होना है. जम्मू कश्मीर की बारामूला लोकसभा सीट पर चुनावी मैदान में अब केवल नौ उम्मीदवार बचे हैं क्योंकि जांच प्रक्रिया के दौरान चार प्रत्याशियों के नामांकन पत्र रद्द हो गए. निर्दलीय उम्मीदवारों अब्दुल मजीद भट, सैयद मुजफ्फर अली, मोहम्मद अब्दुल्ला चटवाल और सैयद आमिर सोहैल के नामांकन पत्र अलग अलग आधार पर रद्द कर दिए गए.
फिलहाल बता दें कि बारामूला सीट से नेशनल कॉन्फ्रेंस के टिकट पर वरिष्ठ नेता सैफुद्दीन सोज भी चार बार सांसद रहे थे. 1999 में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अटल बिहारी सरकार को समर्थन दिया था. इससे नाराज होकर सोज ने नेशनल कॉन्फ्रेंस से इस्तीफा दे दिया और अटल बिहारी सरकार के खिलाफ में वोट किया था. इस कारण 13 महीने की अटल बिहारी सरकार गिर गई थी. 2003 में सोज ने कांग्रेस पार्टी ज्वॉइन किया और वह 2006 में राज्यसभा भेजे गए.
बारामूला सीट का मतलब नेशनल कॉन्फ्रेंस
एक जमाने में बारामूला सीट का मतलब नेशनल कॉन्फ्रेंस होता था, मगर 2014 के चुनाव में पीडीपी ने इस सीट से नेशनल कॉन्फ्रेंस को बेदखल कर दिया. पीडीपी के मुज्जफर हुसैन बेग ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रत्याशी शरीफुद्दीन शारिक को करीब 29 हजार वोटों से शिकस्त दी. मुजफ्फर हुसैन को 1.75 लाख और शरीफुद्दीन शारिक को 1.46 लाख वोट मिले थे. तीसरे नंबर पर सज्जाद लोन की पार्टी पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रत्याशी सलामुद्दीन बजाद को करीब 71 हजार वोट पाकर संतोष करना पड़ा. वहीं श्रीनगर और अनंतनाग सीट की तरह यहां भी बीजेपी उम्मीदवार अपनी जमानत नहीं बचा पाया. बीजेपी के गुलाम मोहम्मद मीर को सिर्फ 6,558 वोट मिले थे.
सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील माने जाने वाले इस क्षेत्र में 2014 के चुनाव में इस सीट पर करीब 39 फीसदी मतदान हुआ था. श्रीनगर और अनंतनाग की तुलना में यहां अधिक संख्या में वोटर पोलिंग बूथ तक पहुंचे थे और वोटिंग में हिस्सा लिया था. 2004 में यहां 35 फीसदी मतदान हुआ था.
बीजेपी तलाश रही है संभावना
बीजेपी जम्मू कश्मीर में सियासी पैठ बनाने के लिए काफी जोर लगा है. इस चुनाव में उसके कई केंद्रीय मंत्री चुनाव प्रचार में उतर रहे हैं. इसमें केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी, केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली, केंद्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा, केंद्रीय रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, केंद्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री उमा भारती, केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी, केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी शामिल हैं. ये सभी मंत्री अपने प्रत्याशियों के लिए वोट मांगेंगे.
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