भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की बंगाल यूनिट ने ममता बनर्जी सरकार को गुरुवार को नई अर्जी देकर राज्य में अपनी प्रस्तावित 'गणतंत्र बचाओ यात्रा' के लिए अनुमति मांगी है. बीजेपी ने प्रशासन को अपने संशोधित प्लान की जानकारी देने के लिए चिट्ठी लिखी. बंगाल बीजेपी के नेता जयप्रकाश मजूमदार ने राज्य सचिवालय पहुंचकर खुद यह चिट्ठी सौंपी. इस चिट्ठी में राज्य प्रशासन से इस मामले को अति त्वरित ढंग से देखने का आग्रह किया गया है.
जयप्रकाश मजूमदार ने कोलकाता में कहा, 'सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि बीजेपी राज्य सरकार की आशंकाओं को दूर करने के लिए ताजा प्रस्ताव सौंपे. अपनी चिट्ठी में हमने साफ किया है कि हमारी रैली में कोई सांप्रदायिक तत्व नहीं होगा और ये विशुद्ध रूप से राजनीतिक कार्यक्रम होगा जो संविधान की ओर से दिए अधिकारों पर आधारित होगा.' मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि बीजेपी तार्किक ढंग से राज्य सरकार की आशंकाओं को दूर करने के लिए सभी संभव कदम उठाए. भारत के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने व्यवस्था दी थी कि बीजेपी रैलियों का आयोजन कर सकती है, लेकिन इसके लिए उसे राज्य सरकार से आवश्यक अनुमति लेनी होगी जो कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है.
नए प्लान के मुताबिक बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने पश्चिम बंगाल में पांच जनसभाओं को संबोधित करना है जो 20 जनवरी से शुरू होंगी. बता दें कि 19 जनवरी को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तमाम विपक्षी पार्टियों की कोलकाता में मेगा रैली आयोजित करने जा रही हैं. अमित शाह 20 से 22 जनवरी के बीच माल्दा, बीरभूमि, झारग्राम, दक्षिण 24 परगना और नादिया जिलों में जनसभाओं को संबोधित करेंगे. बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 8 फरवरी को कोलकाता में रैली के लिए वक्त देने को पीएमओ से आग्रह किया गया है.
बीजेपी ने चिट्ठी में दिलाया 5 बातों का भरोसा
1. यात्राएं पार्टी की ओर से लोगों को शांतिपूर्ण ढंग से जोड़ने के लिए राजनीतिक कोशिश होंगी.
2. यात्राओं के जरिए किसी भी सांप्रदायिक संदेश या संकेत को प्रायोजित या समर्थित नहीं किया जाएगा.
3. यात्राओं के जरिए लोगों से संपर्क कर देश के लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष तंत्र के साथ परंपराओं को मजबूत करने के लिए कोशिश की जाएगी जिसका कि पश्चिम बंगाल अहम हिस्सा है.
4. हर तरह के कानून और नियमों का पालन किया जाएगा. आपसी सहयोग के लिए स्थानीय प्रशासन के साथ पूरा समन्वय रखा जाएगा.
5. मिसाल वाले ढंग से विभिन्न जात-पात, धर्म के लोगों की संवेदनशीलताओं का ध्यान रखा जाएगा.