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बहरामपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस-रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी में होता है मुकाबला

Berhampore Constituency बहरामपुर सीट पर दिलचस्प बात यह रही कि पहले आम चुनावों में ज्यादातर सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार जीत हासिल करने में कामयाब रहे, लेकिन ये उन सीटों में शामिल है, जहां  वामपंथी दल के प्रत्याशी ने जीत हासिल की थी.

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Berhampore Constituency
Berhampore Constituency

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पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले का मुख्यालय बहरामपुर, लोकसभा सीट के तौर पर 1952 में ही अस्तित्व में आ गया था. यह पश्चिम बंगाल के सात बड़े शहरों में से एक है. कहा जाता है कि इसका एक नाम ब्रह्मपुर है क्योंकि बंगाल के ब्राह्मणों ने इस शहर को रहने के लिए चुना था. चुनावी राजनीति का इतिहास बताता है कि इस सीट पर वामपंथी दल रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला रहा है. इस सीट पर यह भी दिलचस्प बात रही कि पहले आम चुनावों में बंगाल के ज्यादातर सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार जीत हासिल करने में कामयाब रहे, लेकिन बहरामपुर उन सीटों में शामिल है, जहां  वामपंथी दल के प्रत्याशी ने जीत हासिल की थी.

राजनीतिक पृष्ठभूमिः रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी का खुला खाता

कांग्रेस को 2014 के चुनावों में पश्चिम बंगाल में जिन सीटों पर जीत मिली थी उनमें से बहरामपुर लोकसभा क्षेत्र एक है. बहरहाल बता दें कि पहले लोकसभा चुनाव 1952 में रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के त्रिदीब चौधरी चुनाव जीते थे. वह रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर लगातार 1957,1962, 1967, 1971, 1977 और 1980 तक लोकसभा सदस्य चुने जाते रहे. इस सीट पर 1984 में कांग्रेस का खाता खुला और अतिश चंद्र सिन्हा जीतकर संसद पहुंचे. लेकिन 1989 में इस सीट पर फिर रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी ने वापसी की और उसके उम्मीदवार नानी भट्टाचार्य सांसद चुने गए. नानी भट्टाचार्य ने 1991 के चुनावों में भी अपनी पार्टी के लिए जीत दर्ज करायी थी. 1994 में रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी ने प्रमोथ्स मुखर्जी को चुनाव मैदान में उतारा जो जीत हासिल करने में कामयाब रहे. प्रमोथ्स मुखर्जी 1996 और 1998 के आम चुनावों में जीत हासिल करने में कामयाब रहे. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पश्चिम बंगाल की राजनीति में दमखम रखने वाले अधीर रंजन चौधरी 1999 में इस सीट से मैदान में उतरे और चुनाव जीते. वह 2004, 2009 और 2014 में भी यहां से सांसद चुने गए.

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सामाजिक ताना-बाना   

जनगणना 2011 के मुताबिक बहरामपुर संसदीय क्षेत्र की कुल आबादी 22,61,093 है. इसमें 81.51% आबादी गांवों में रहती है जबकि 18.49% आबादी शहरी है. बहरामपुर की कुल आबादी में अनुसूचित जाति और जनजातियों का अनुपात 13 और 0.84 फीसदी है. 2017 के मतदाता सूची के अनुसार बहरामपुर संसदीय क्षेत्र में 1537932 मतदाता हैं जो 1836 मतदान केंद्रों पर अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं. 2014 के आम चुनावों में इस सीट पर 79.43% मतदान हुआ था जबकि 2009 के चुनावों में यह आंकड़ा 80.7% था. बहरामपुर लोकसभा सीट के तहत सात विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें बर्वान (अनुसूचित जाति), कांदी, भरतपुर, रेजीनगर, बेलडांगा, बरहमपुर और नौदा शामिल हैं. 2004 में केतुग्राम विधानसभा सीट भी बहरामपुर लोकसभा सीट के तहत आती थी, लेकिन 2009 की परिसीमन रिपोर्ट में वह इससे अलग हो गया.

2014 के जनादेश का संदेश

बरहामपुर सीट से सांसद अधीर रंजन चौधरी 20 से बंगाल की सक्रिय राजनीति का हिस्सा हैं. 15 वर्ष की उम्र में स्कूल ड्रॉपआउट चौधरी 1996 में पहली बार विधायक चुने गए थे, जबकि 1999 में पहली बार सांसद बने. 2004 और 2009 के चुनाव में अधीर चौधरी ने जांगीपुर सीट से प्रणब मुखर्जी के चुनावी अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. दोनों ही वर्ष कांग्रेस को सफलता मिली और अधीर चौधरी पार्टी आलाकमान की नजरों में आए. 2014 के आम चुनावों में अधीर रंजन चौधरी 583,549 (50.5%) मतों के साथ जीत हासिल करने में कामयाब रहे थे. तृणमूल कांग्रेस के इंद्रनील सेन को 226,982    (19.7%) मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहना पड़ा जबकि रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के प्रमोथ्स मुखर्जी तीसरे स्थान पर रहे और उन्हें 225,699    (19.5%) वोट मिले.

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सांसद का रिपोर्ट कार्ड

अधीर रंजन चौधरी संसद में 82 फीसदी उपस्थित रहे. www.prsindia.org के 1 जून 2014 से 13 फरवरी 2019 के आंकड़े बताते हैं कि उन्होंने संसद की 103 बहसों में हिस्सा लिया और 186 सवाल पूछे. अधीर रंजन चौधरी 5 प्राइवेट मेंबर बिल भी लेकर आए. बरहामपुर क्षेत्र के लिए संसदीय निधि के तहत 25 करोड़ रुपये निर्धारित है. इसमें से चौधरी 73.59 फीसदी राशि खर्च कर चुके हैं.

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