लंबे अरसे से बीजेपी से नाराज चल रहे शत्रुघ्न सिन्हा ने शनिवार को कांग्रेस का दामन थाम ही लिया. कांग्रेस में शामिल होते ही शॉटगन को पटना साहिब से टिकट दे दिया गया है, जिसके बाद अब पटना साहिब से शत्रुघ्न सिन्हा सीधे तौर पर बीजेपी के कद्दावर नेता और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद से दो-दो हाथ करेंगे. बीजेपी के स्थापना दिवस के दिन ही बीजेपी का दामन छोड़ कांग्रेस के आंगन में आए शत्रुघ्न ने पीएम मोदी और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ जबरदस्त गोले दागे.
शत्रुघ्न की सिय़ासी पारी
साल 1984 में जब शत्रुघ्न ने अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी का कमल थामा तो पार्टी ने उनके दमदार व्यक्तित्व और जोरदार आवाज के कारण उन्हें उस समय पार्टी का स्टार प्रचारक बना दिया. साल 1992 में शत्रुघ्न को पहली बार नई दिल्ली लोकसभा सीट से राजेश खन्ना के खिलाफ़ उतारा गया. शत्रुघ्न सिन्हा ने एक इंटरव्यू में कहा था कि अपने दोस्त राजेश खन्ना के खिलाफ़ चुनाव लड़ना उनकी ज़िंदगी का सबसे बड़ा रिग्रेट है.
इसके बाद साल 1996 और 2002 में एनडीए ने उन्हें राज्यसभा में भेजा. 2003 और 2004 में कैबिनेट मंत्री बनने के बाद साल 2009 और 2014 में बिहार की पटना साहिब सीट ने उन्हें सांसद के ताज से नवाजा. ऐसा बताया जाता है कि आज अपनी ही पार्टी से रिटायर हो चुके लाल कृष्ण आडवाणी शत्रु को राजनीति में लेकर आए थे. वक्त का तकाज़ा देखिए आज, न तो आडवाणी बीजेपी में रहे और न ही शत्रुघ्न पार्टी के रहे. तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी शत्रु से इतने प्रभावित थे कि सिन्हा को अटल जी ने 2003 में स्वास्थ्य मंत्री बनाया और 2004 में जहाजरानी मंत्री बना दिया. गौरतलब है कि वह ऐसे पहले अभिनेता हैं जो केंद्रीय मंत्री बने. 2009 और 2014 में पटना साहिब से आम चुनाव में जीत चुके शत्रुघ्न फिलहाल 16वीं लोकसभा के सांसद हैं.
क्यों छोड़ा ‘कमल’
आज जिस पटना साहिब की सीट को लेकर सिन्हा बीजेपी के ‘शत्रु’ बने, वह साल 2009 में पहली बार वहां से चुनाव जीते और सांसद बने. इसके बाद 2014 के आम चुनावों में भी शॉटगन ने फिर से पटना साहिब से शानदार जीत हासिल की, इसके बावजूद भी बीजेपी आलाकमान ने लोकसभा चुनाव 2019 के लिए पटना साहिब से उनका टिकट काट दिया और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को थमा दिया. शत्रुघ्न के टिकट पर जब रविशंकर प्रसाद पटना साहिब पहुंचे तो सिन्हा की नाराजगी बीजेपी नेतृत्व को लेकर खुलकर सामने आने लगी. वे लगातार बीजेपी के खिलाफ बयानबाजी करने लगे. सरकार के फैसलों की वह खुले मंचों से आलेचना करने लगे. उनके बागी तेवर तब और पक्के दिखने लगे जब बीते जनवरी को ममता बनर्जी के बुलावे पर महागठबंधन की रैली में कोलकाता पहुंच गए. वहां जाकर मंच से ही शत्रुघ्न ने लगभग स्पष्ट कर दिया था कि वह पार्टी से किनारा कर विपक्ष के साथ खड़े हैं.
पटना साहिब की ‘लड़ाई’
बिहार की राजधानी पटना को साल 2008 में लोकसभा क्षेत्र के हिसाब से दो भागों में बांटा गया. पहला लोकसभा क्षेत्र पटना साहिब बना और दूसरा पाटलिपुत्र. साल 2009 में पटना साहिब में हुए पहले ही चुनाव में शत्रुघ्न सिन्हा ने विजयी ध्वज फहराया. इसके बाद 2014 के आम चुनावों में भी बिहारी बाबू पटना साहिब लोकसभा से विजयी रहे. गौरतलब है कि पटना साहिब का चुनाव शुरू से ही फिल्मी सितारों के बीच होता रहा, लेकिन हर बार बाजी बिहारी बाबू ने मारी. शॉटगन ने साल 2009 में फिल्मी सितारे शेखर सुमन और 2014 में कुणाल सिंह को इसी लोकसभा से हराया.
पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा क्षेत्र हैं, जिनमें से बख्तियारपुर, दीघा, बांकीपुर, कुम्हरार और पटना साहिब की सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. वहीं, फतुहा सीट आरजेडी के नाम है.
बताया जाता है कि पटना साहिब में यादव, राजपूत और कायस्थ वोटरों की संख्या ज्यादा है. शायद यही वजह रही कि बीजेपी ने शत्रुघ्न सिन्हा की जगह केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को टिकट दिया.
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