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त्रिपुरा में कम्युनिस्टों का किला ध्वस्त कर कमल खिलाने वाले का नाम है बिप्लब देब

त्रिपुरा में 25 साल से शासन कर रही कम्युनिस्ट पार्टी को बेदखल करने की जिम्मेदारी बिप्लब देब को सौंपी गई. बिप्लब ने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई और ऐसे राज्य में बीजेपी की सरकार बनाने में सफल रहे जिसके बारे में कोई सोच नहीं सकता था.

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त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देब
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देब

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त्रिपुरा एक ऐसा राज्य है जहां 25 साल तक सीपीएम ने शाशन किया. जनता भले ही सरकार से खुश न हो लेकिन सामने कोई बड़ा विकल्प भी नहीं था कि लोग परिवर्तन के बारे में सोच पाते. सीपीएम सरकार का विरोध करते-करते कई  कांग्रेस नेता बूढ़े हो चले थे. उनका मानना था कि यहां सरकार बनाना मुश्किल है. राजनीतिक गलियारों में यह कहा जाता है कि त्रिपुरा की जनता वहां के ईमानदार मुख्यमंत्री की भ्रष्ट सरकार से त्रस्त आ चुकी थी और उसने परिवर्तन का मन बना लिया था. ऐसे में बीजेपी ने बिप्लब कुमार देब को 1916 में राज्य बीजेपी का अध्यक्ष बनाकर भेजा. जनता ने उन्हें हाथों-हाथ लिया और देखते ही देखते वह त्रिपुरा की जनता की आवाज बन गए. 2018 में हुए विधानसभा में उन्होंने कम्युनिस्ट  शासन को उखाड़ फेंका और त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बने. 9 मार्च 2018 को उन्होंने त्रिपुरा के सीएम के रूप में शपथ ली.

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बिप्लब देब भाजपा के उन नेताओं में हैं जिनकी स्कूलिंग संघ में हुई है.बिप्लब का जन्म 1971 में गोमोती जिले में हुआ.  उन्होंने स्कूली पढ़ाई गांव में ही पूरी की, इसके बाद पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री उदयपुर कॉलेज से ली, फिर पीजी की पढ़ाई के लिए दिल्ली आ गए.  15 साल बाद उन्होंने त्रिपुरा में एंट्री की. उनके पिता स्वर्गीय हिरुधन देब जनसंघ के अच्छे कार्यकर्ता हुआ करते थे.

बिप्लब देब बीजेपी के पूर्व नेता गोविंदाचार्य के निजी सचिव रहे जहां से उन्हें जीवन और राजनीति के लिए स्पष्ट दृष्टिकोण मिला. वह बाजपेयी सरकार की एक मंत्री के भी निजी सहायक रहे. बिप्लब मध्य प्रदेश के सतना से सांसद रहे गणेश सिंह के सहायक भी रहे.

2014 में केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद नॉर्थ ईस्ट पर ज्यादा ध्यान दिया जाने लगा. मोदी सरकार का मानना रहा है कि नॉर्थ ईस्ट में विकास की बयार उस तरह नहीं बही जैसा कि दूसरे राज्यों में हुआ.

त्रिपुरा में कैसे सत्ता हासिल की जाए इसके लिए भारतीय जनता पार्टी ने राज्य में 2015 में महा संपर्क अभियान चलाया. बिप्लब देब को इसका संयोजक बनाकर त्रिपुरा भेजा गया. उनकी काबीलियत को देखते हुए उन्हें फरवरी 2016 में त्रिपुरा का अध्यक्ष बना दिया गया. बिप्लब ने दो मोर्चों पर काम किया. उन्होंने बीजेपी का तो प्रचार किया है,  लोगों के घर-घर तक गए. दूसरा कांग्रेस विधायकों को अपे साथ जोड़ने में सफल रहे.   

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2018 में हुए राज्य विधानसभा चुनावों में बिप्लब कुमार देब ने बनमालीपुर विधानसभा क्षेत्र में माकपा के अमल चक्रवर्ती को 9549 वोट के अंतर से हरा दिया. बिप्लब देब की पत्नी स्टेट बैंक में अधिकारी हैं. शुरूआती दिनों में वह स्टेट बैंक की संसद मार्ग शाखा में तैनात थीं. उन्होंने बीबीसी को दी जानकारी में बताया था कि बिप्लब पार्टी के काम से बैंक आते रहते थे. वहीं दोनों में बातचीत हुई लेकिन एकदिन अचानक बैंक के एक अधिकारी के माध्यम से सीधे शादी का प्रस्ताव भेज दिया.

नीति देब ने बीबीसी को यह भी बताया था कि बिप्लब अपनी फिटनेस को लेकर हमेशा सजग रहते हैं लेकिन उन्होंने कभी जिम इंस्ट्रक्टर का काम नहीं किया. वह छात्र जीवन से संघ के स्वयंसेवक रहे हैं. गोविंदाचार्य जी के साथ रहते हुए उनकी पहचान बीजेपी के बड़े-बड़े नेताओं से हुई क्योंकि गोंविदाचार्य से मिलने अटल-आडवाणी भी आया करते थे. बिप्लब कुमार देब और नीति देब का एक बेटा और एक बेटी है जो दिल्ली में पढ़ते हैं.

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