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येदियुरप्पा का विवादों से गहरा नाता, फिर भी कर्नाटक में बीजेपी के चहेते नेता

पहली बार जब दक्षिण के राज्य कर्नाटक में बीजेपी ने अकेले दम पर सरकार बनाई तबयेदियुरप्पा राज्य के मुख्यमंत्री चुने गए. इस सरकार ने पूरे 5 साल शासन किया, हालांकि येदियुरप्पा को अवैध खनन मामले में लोकायुक्त की जांच का सामना करना पड़ा और उनकी जगह 2011 में डीवी सदानंद गौड़ा को मुख्यमंत्री पद दिया गया.

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B. S. Yeddyurappa profile and political career
B. S. Yeddyurappa profile and political career

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कर्नाटक की राजनीति में बीजेपी का सबसे बड़ा चेहरा बीएस येदियुरप्पा 3 बार सूबे के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. तालुक अध्यक्ष से अपना सियासी सफर शुरू करते हुए येदियुरप्पा ने राज्य की सबसे बड़ी सियासी कुर्सी तक पहुंचे. वह 7 बार विधायक रहे और एक बार लोकसभा सांसद भी चुने गए. इसके अलावा वह बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं. बीजेपी के सबसे विवादित नेता होने के बावजूद कर्नाटक में वह पार्टी का सबसे भरोसेमंद चेहरा हैं.

शुरुआती जीवन

मांड्या जिले के बुकानकेरे गांव में 27 फरवरी 1943 को येदियुरप्पा का जन्म हुआ. उनके पिता का नाम सिद्धालिंगप्पा और मां का नाम पुट्टाथय्यमा था. बीएस येदियुरप्पा के नाम में उनके पिता और गांव का नाम भी जुड़ा है और उनका पूरा नाम बुकानकेरे सिद्धालिंगप्पा येदियुरप्पा है. जब वह चार साल के थे तभी उनकी मां का निधन हो गया. मांड्या से ही उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा हासिल की और उसके बाद एक मिल में क्लर्क की नौकरी करने शिकारपुरा चले गए.

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येदियुरप्पा जिस चावल मिल में क्लर्क थे उसी मिल मालिक की बेटी से 1967 में उन्होंने शादी की. बाद में उन्होंने एक हार्ड वेयर की दुकान खोलकर कारोबार शुरू कर दिया. येदियुरप्पा के 2 बेटे और 3 बेटियां है. उनके एक बेटे बी. वाई राघवेंद्र 2 बार शिमोगा सीट से लोकसभा सांसद भी रह चुके हैं. येदियुरप्पा खुद को समाज सुधारक बसावन्ना का अनुयायी बताते हैं.

राजनीतिक सफर

कॉलेज के दिन से RSS के सदस्य रहे येदियुरप्पा ने अपनी सियासी पारी 70 के दशक में संघ के सचिव के तौर पर शुरू की. साल 1975 में येदियुरप्पा शिकारपुरा नगर पालिका से अध्यक्ष चुने गए. इसी दौरान जब केंद्र की इंदिरा गांधी सरकार ने देश में आपातकाल लगाया तो येदियुरप्पा बेल्लारी और शिमोगा की जेल में कैद भी रहे. इसके बाद वह शिमोगा जिले के बीजेपी अध्यक्ष नियुक्त किए गए. साल 1993 में येदियुरप्पा पहली बार शिकारपुरा से चुनकर विधानसभा पहुंचे और लगातार 6 बार इसी सीट से चुनाव जीतते रहे.

साल 1994 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार हुई और येदियुरप्पा को सदन में नेता प्रतिपक्ष चुनाव गया. 1999 में येदियुरप्पा विधानसभा चुनाव हार गए लेकिन तब उन्हें पार्टी ने विधान परिषद भेजने का फैसला किया. 2004 में कांग्रेस-जेडीएस ने मिलकर सरकार बनाई और कांग्रेस के धरम सिंह मुख्यमंत्री चुने गए, इस दौरान भी येदियुरप्पा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में थे.

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पहली बार ऐसे बने मुख्यमंत्री

जेडीएस के कुमारस्वामी ने धरम सिंह की सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया, जिसके बाद कांग्रेस-जेडीएस की सरकार गिर गई. इसके बाद 2006 में कुमारस्वामी बीजेपी के सहयोग से मुख्यमंत्री चुने गए और येदियुरप्पा उस सरकार में उप मुख्यमंत्री रहे. लेकिन जब गठबंधन के तहत येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री बनाने की बारी आई तो जेडीएस ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया. हालांकि नवंबर 2007 में जेडीएस, येदियुरप्पा को समर्थन देने को राजी हो गई और तब दक्षिण भारत में पहली बार बीजेपी गठबंधन की सरकार बनी. येदियुप्पा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली लेकिन उनकी सरकार 10 दिन भी नहीं चल सकी.

इसके बाद साल 2008 में फिर से चुनाव कराए गए और पहली बार दक्षिण के राज्य में बीजेपी ने अकेले दम पर सरकार बनाई और येदियुरप्पा राज्य के मुख्यमंत्री चुने गए. इस सरकार ने पूरे 5 साल शासन किया, हालांकि येदियुरप्पा को अवैध खनन मामले में लोकायुक्त की जांच का सामना करना पड़ा और उनकी जगह 2011 में डीवी सदानंद गौड़ा को मुख्यमंत्री पद दिया गया. इसी सरकार में जगदीश शेट्टार को भी 10 महीने मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला.

बीजेपी छोड़ नई पार्टी बनाई

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बीजेपी से नाराज चल रहे येदियुरप्पा ने इसके बाद 2012 में पार्टी से इस्तीफा दे दिया और कर्नाटक जनता पक्ष के नाम से एक नई पार्टी का गठन किया. इसके बाद 2013 में शिमोगा से एक बार फिर येदियुरप्पा विधायक चुने गए. हालांकि इसी साल उन्होंने फिर से बीजेपी में वापसी का ऐलान भी कर दिया. 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले येदियप्पा की पार्टी का विलय बीजेपी में हो गया.

2014 के लोकसभा चुनाव में शिमोगा लोकसभा सीट से येदियुरप्पा को 3.5 लाख से ज्यादा वोटों से जीत मिली. इसके बाद पार्टी ने 2016 में येदियुरप्पा को फिर से बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया और 2018 का विधानसभा चुनाव उन्हीं की अगुवाई में लड़ा गया. लेकिन इस विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को बहुमत हासिल नहीं हो सका और राज्य में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार बनी. येदियुरप्पा अपनी लोकसभा सीट से पहले ही इस्तीफा दे चुके थे और 2018 के उप चुनाव में शिमोगा से उनके बेटे बी.वाई. राघवेंद्र सांसद चुने गए. इस बार भी उन्हें बीजेपी ने शिमोगा से टिकट दिया है.

विवादों से रहा गहरा नाता

भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल जा चुके येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक गंवानी पड़ी थी. इसके अलावा उनपर कई बार अवैध खनन से लेकर घूसखोरी के आरोप लग चुके हैं. साल 2011 में उनके खिलाफ जमीन पर अवैध कब्जे के आरोप लगे और कर्नाटक लोकायुक्त ने येदियुरप्प के पर FIR के आदेश जारी किए थे. इसी साल अक्टूबर-नवंबर में उन्हें जेल की हवा भी खानी पड़ी थी. हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्टे लगाकर सीबीआई जांच के आदेश दिए थे.

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येदियुप्पा के खिलाफ सबसे ताजा मामला 2019 का है, जिसमें उनपर बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं को घूस देने के आरोप लगाए गए. येदियुरप्पा डायरी के नाम से चर्चित इस कांड में केंद्रीय मंत्रियों समेत बीजेपी के बड़े नेताओं के नाम शामिल हैं. हालांकि आयकर विभाग ने डायरी के पन्नों का जाली करार देते हुए इस मामले को खारिज कर दिया है. 

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