उत्तर प्रदेश में बागी मंत्री ओम प्रकाश राजभर को साइडलाइन करने के लिए भाजपा ने नया दांव खेला है. योगी सरकार में साथ रहने के बाद भी विपक्षी होने का एहसास कराने वाले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर और भाजपा के बीच चल रही खींचतान के बीच निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के भाजपा के साथ आने के कई मायने निकाले जा रहे हैं.
सूत्रों के मुताबिक, माना जा रहा है कि इधर कुछ दिनों से लोकसभा सीटों के बंटवारे को लेकर ओम प्रकाश राजभर के तेवर को देखते हुए भाजपा ने उनकी काट के लिए निषाद को चेहरा बनाकर पिछड़ों को थामने की कोशिश शुरू कर दी है. जानकारों के मुताबिक निषाद की वजह से भाजपा में राजभर की अहमियत कम होना तय मानी जा रहा है. हालांकि, राजभर का कहना है कि उनकी सियासी सेहत पर निषाद के आने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा और उनका वोट बैंक उनके साथ है.
पिछड़ी जातियों में प्रभावशाली माने जाने वाले पटेल व राजभर को साथ लेकर ही भाजपा ने 2014 लोकसभा और 2017 के विधानसभा में बेहतर प्रदर्शन किया था, लेकिन ओम प्रकाश राजभर के तेवर को देखते हुए भाजपा को यह लगने लगा था कि अगर राजभर से थोड़ा-बहुत नुकसान भी होता है तो उसकी भरपाई के लिए कोई दूसरा विकल्प तैयार कर लिया जाए. इसके चलते कुछ महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गाजीपुर रैली में ओम प्रकाश राजभर के असहयोग के बावजूद भाजपा ने राज्यमंत्री अनिल राजभर को आगे रखते हुए पूरे कार्यक्रम की रूपरेखा बनाई और गाजीपुर में एक डाक टिकट भी जारी किया था.
सूत्रों का कहना है कि अब जबकि भाजपा संजय निषाद को साथ ले आई है, तो राजभर को लोकसभा सीट मिलने की बची-खुची संभावना भी खत्म हो गई है. इससे पहले लगातार ओमप्रकाश राजभर भाजपा से पांच सीटों की मांग कर रहे थे, जिसमें भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्रनाथ पांडे की चंदौली सीट भी शामिल है.