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बक्सर सीट: इस बार JDU से ताल ठोक सकते हैं प्रशांत किशोर

2014 के चुनाव में पहले स्थान पर अश्विनी चौबे रहे जिन्हें 319012 वोट मिले. कुल वोटों का यह 35.92 प्रतिशत था. दूसरे नंबर पर आरजेडी के जगदानंद सिंह रहे जिन्हें 186674 (21.02 प्रतिशत) वोट मिले.

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जदयू नेता प्रशांत किशोर (रॉयटर्स)
जदयू नेता प्रशांत किशोर (रॉयटर्स)

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पटना से लगभग 75 मील पश्चिम में बसा बक्सर बिहार के 40 संसदीय सीटों में एक है. इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है और अश्विनी चौबे सांसद हैं. कुल छह विधानसभा क्षेत्रों में बंटी बक्सर संसदीय सीट बीजेपी का गढ़ रही है. 1996 से अब तक (अपवाद में 2009 का चुनाव जिसमें आरजेडी की जीत हुई) यहां बीजेपी जीतती रही है और लालमुनि चौबे लगातार 4 बार सांसद रह चुके हैं.

बक्सर की विधानसभा सीटें और चुनावी गणित    

बक्सर लोकसभा में विधानसभा की 6 सीटें हैं. इनके नाम हैं-ब्रह्मपुर, राजपुर, बक्सर, रामगढ़, डुमरांव और दिनारा. इसमें राजपुर सीट एससी के लिए आरक्षित है. शुरू से लोकसभा चुनाव का ब्योरा देखें तो 1952 और 1957 में यहां से निर्दलीय उम्मीदवार कमल सिंह जीते जबकि 1962, 1967 और 1971 में कांग्रेस को जीत मिली. 1977 में जनता पार्टी आई लेकिन उसके बाद 1980, 1984 में कांग्रेस की फिर वापसी हुई. हालांकि कांग्रेस 84 के बाद यहां नहीं लौटी. 1989, 1991 में कम्युनिस्ट पार्टी, 1996, 1998, 1999, 2004 में बीजेपी जीती और 2009 में आरजेडी के जगदानंद सिंह सांसद बने. 2014 में आरजेडी हार गई और बीजेपी के अश्विनी चौबे सांसद चुने गए.

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प्रशांत किशोर (Pk) हो सकते हैं उम्मीदवार

सियासी रणनीतिकारों में मशहूर प्रशांत किशोर ने अब मुख्यधारा की राजनीति में प्रवेश कर लिया है. उन्होंने जेडीयू ज्वॉइन की है. कहा जा रहा है कि जेडीयू उन्हें बक्सर से चुनाव लड़ा सकती है. इसके पीछे वजह यह बताई जा रही है कि अश्विनी चौबे बक्सर सीट छोड़ना चाहते हैं. चौबे के सीट छोड़ने की सूरत में जेडीयू इसे अपने कब्जे में लेना चाहती है. लोकसभा चुनाव के लिए दोनों पार्टियों में गठबंधन है, लिहाजा बीजेपी यह सीट जेडीयू को दे सकती है. प्रशांत किशोर भी यहां से किस्मत आजमाना चाहते हैं क्योंकि उनका बक्सर से खास लगाव है. मूल रूप से रोहतास जिले के रहने वाले प्रशांत किशोर के माता-पिता सहित परिवार के लोग बक्सर में ही रहते हैं. बक्सर लोकसभा सीट में ब्राह्मण वोटरों की भी अच्छी संख्या है. यही वजह है कि इस सीट से लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में सवर्ण या ब्राह्मण उम्मीदवार जीतते रहे हैं. अश्विनी चौबे बाहरी होने के बावजूद यहां से सांसद बने हैं.

पिछले टॉप 5 उम्मीदवार

17 अप्रैल 2014 को हुए चुनाव में कुल 889152 वोट पड़े. वोटर टर्नआउट 54.19 प्रतिशत था और इसके लिए 1620 पोलिंग स्टेशन बनाए गए थे. इसमें 1640671 वोटरों ने हिस्सा लिया. इनमें 53.5 प्रतिशत पुरुष और 46.5 प्रतिशत महिला वोटर थे. बक्सर का सेक्स रेश्यो 869 है.

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पहले स्थान पर अश्विनी चौबे रहे जिन्हें 319012 वोट मिले. कुल वोटों का यह 35.92 प्रतिशत था. दूसरे नंबर पर आरजेडी के जगदानंद सिंह रहे जिन्हें 186674 (21.02 प्रतिशत) वोट मिले. इन दोनों उम्मीदवारों के बीच वोट का अंतर काफी ज्यादा था. तीसरे स्थान पर बीएसपी के ददन यादव थे जिन्हें 184788 (20.8 प्रतिशत) वोट मिले. इस हिसाब से बक्सर सीट पर असली लड़ाई आरजेडी और बीएसपी के बीच थी. चौथे स्थान पर जेडीयू के श्याम लाल रहे थे जिन्हें 117012 (13.17 प्रतिशत) वोट मिले. पांचवें स्थान पर सीपीआईएमएल की इंदु सिंह थीं. कुल 16 उम्मीदवार मैदान में थे.

बीजेपी के अश्विनी चौबे ने आरजेडी उम्मीदवार के खिलाफ 132338 वोटों से जीत दर्ज की. जीत का यह आंकड़ा 14.9 प्रतिशत का था. यहां कई फ्रंट पर लड़ाई थी जिसमें बीजेपी, आरजेडी, बीएसपी और जेडीयू ने एक दूसरे को कड़ी टक्कर देने की कोशिश की लेकिन बीजेपी आसानी से निकल गई.

अश्विनी चौबे का संसदीय प्रदर्शन

अश्विनी चौबे ने 181 बहसों में हिस्सा लिया. अपने कार्यकाल में उन्होंने 2 प्राइवेट मेंबर बिल पास कराए. 181 बहस में शामिल होकर उन्होंने 151 सवाल पूछे. चौबे फिलहाल ज्वाइंट कमेटी बिल, सिटिजनशिप एक्ट 1955 की स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य है. संसद में इनकी 93 फीसदी हाजिरी रही है. बीजेपी सांसद चौबे ने सांसद निधि के 24.50 करोड़ रुपए खर्च किए. कुल राशि का 106.89 प्रतिशत हिस्सा खर्च हुआ और 1.02 प्रतिशत राशि बची रह गई.

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