बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा. बीएसपी सुप्रीमो ने कहा कि नरेंद्र मोदी ने गठबंधन पर जातिवादी होने का जो आरोप लगाया है, वह हास्यास्पद और अपरिपक्व है. उन्होंने एक अन्य ट्वीट में लिखा, "मोदी जी अपने को जबर्दस्ती पिछड़ा बनाकर राजनीतिक स्वार्थ के लिए जातिवाद का खुलकर इस्तेमाल करते हैं, वे अगर जन्म से पिछड़े होते तो क्या RSS उन्हें कभी भी प्रधानमंत्री बनने देता?
मायावती ने कहा कि वैसे भी श्री कल्याण सिंह जैसों का आरएसएस ने क्या बुरा हाल किया है, क्या यह देश नहीं देख रहा है." गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक जनसभा के दौरान एसपी-बीएसपी गठबंधन को 'महामिलावटी' करार देते हुए कहा था कि इन पार्टियों का एक ही मंत्र है, 'जात-पात जपना, जनता का माल अपना.'
मायावती और प्रधानमंत्री मोदी के आरोप-प्रत्यारोप के बाद जाति का मुद्दा फिर चुनाव प्रचार के केंद्र में आता दिख रहा है. इसके पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि बिहार, यूपी और झारखंड की जिन सीटों पर चुनाव होना बाकी है, वहां जाति का फैक्टर वोटों के ध्रुवीकरण में बड़ी भूमिका निभाता आया है.
प्रधानमंत्री मोदी की जाति का मुद्दा नया नहीं है और गाहे-बगाहे इस पर बहस चलती रही है. जैसा कि 7 मई 2014 को नरेंद्र मोदी ने खुद कहा था, 'भाइयो बहनों, ये तो इतिहास की सच्चाई है कि मैं नीची जाति में पैदा हुआ हूं लेकिन मैं देश को भरोसा देता हूं मेरी राजनीति निम्न स्तर की नहीं है. मैं पैदा हुआ हूं नीची जाति में लेकिन मेरा सपना है एक भारत श्रेष्ठ भारत.
साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे तब बीजेपी के पीएम कैंडिडेट के रूप में पहली बार उन्होंने देश के सामने पिछड़ी जाति में अपनी पैदाइश का खुलासा किया. लेकिन पिछले वर्षों में पीएम मोदी जाति पर और नए बयान सामने आए, जिसके बारे में पीएम मोदी हाल ही में देश को अवगत करवा चुके हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने 27 अप्रैल को कन्नौज में कहा, 'आपके लिए पिछड़ी जाति में पैदा होना राजनीति का खेल होगा, मेरे लिए पिछड़ी जाति में पैदा होना मां भारती की सेवा करने का सौभाग्य है और कुछ नहीं. और बहन जी महामिलावटी लोग मेरी जाति तो इतनी छोटी है, गांव में एकाध घर भी नहीं होता है और मैं तो पिछड़ा नहीं अति पिछड़े में पैदा हुआ हूं.' ये 27 अप्रैल का भाषण है जो पीएम मोदी ने कन्नौज में दिया था और अति पिछड़ी जाति में पैदा होने को अपना सौभाग्य माना था लेकिन मायावती ऐसा नहीं मानतीं.
मायावती ने कहा, 'नरेंद्र मोदी जन्म से ओबीसी नहीं हैं इसलिए उन्होंने जातिवाद का दंश नहीं झेला है. ऐसी मिथ्या बातें नहीं करनी चाहिए कि हमारा गठबंधन जाति के नाम पर वोट ले रहा है. ये सही नहीं था. मोदी जबरदस्ती खुद को पिछड़ा बताकर जातिवाद का इस्तेमाल करते रहे हैं.'
पीएम मोदी जन्म से ओबीसी यानी पिछड़ी जाति के हैं या मोदी के गुजरात का मुख्यमंत्री बनने के बाद उनकी जाति को पिछड़ा जाति घोषित किया गया, ये वो सवाल है जिसपर संशय बरकरार है.
पीएम मोदी जिस मोढ घांची जाति से आते हैं उसे कई राज्यों में तेली या साहू भी कहा जाता है. मोढ घांची जाति को गुजरात में समृद्ध माना जाता है और पहले ये जाति सवर्णों में गिनी जाती थी. मई 2014 में गुजरात सरकार ने दावा किया था कि मोढ घांची जाति को 1994 में ही ओबीसी कैटेगरी में शामिल कर लिया गया. जिसके सबूत के तौर पर गुजरात सरकार ने 25 जुलाई 1994 को जारी हुआ नोटिफिकेशन पेश किया जिसके जरिये मोढ घांची समेत 36 जातियों को ओबीसी कैटेगरी में शामिल किया गया था.
मतलब ये कि पीएम मोदी की जाति को तब पिछड़ी जाति का दर्जा दिया जा चुका था, जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री नहीं बने थे. गुजरात सरकार ने एक सर्कुलर के आधार पर मई 2014 में कांग्रेस नेता शक्ति सिंह गोहिल ने आरोप लगाया कि मोदी ने मुख्यमंत्री बनने के बाद अपनी जाति को ओबीसी कैटेगरी में शामिल करवाने के लिए जोड़तोड़ की थी. शक्ति सिंह गोहिल ने 9 मई 2014 को कहा था, 'मोदी जब पैदा हुए तब या बड़े हुए तब, कभी भी पिछड़ी जाति में नहीं थे. मोदी मोढ घांची हैं. वैश्य तो हैं, अपर कास्ट तो हैं लेकिन बड़े पैसे वाले जो परिवार थे उसमें से आते थे.'
यानी पीएम मोदी जन्म से पिछड़ी जाति के हैं या उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के बाद अपनी जाति को ओबीसी कैटेगरी में शामिल करवा लिया, इसको लेकर बीजेपी और कांग्रेस के अपने-अपने दावे हैं लेकिन मायावती का तो एक दावा और भी है. जैसा कि मायावती ने शुक्रवार को कहा, 'अगर मोदी जन्म से पिछड़े होते तो क्या RSS उन्हें प्रधानमंत्री बनवा देता. वैसे भी कल्याण सिंह जैसों का क्या हाल किया है, ये देश सब जानता है.'
बहरहाल, पीएम की जाति को लेकर चुनावी चर्चा चरम पर है.
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