अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलिकॉप्टर मामले में चार्जशीट लीक होने पर अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय को कड़ी फटकार लगाई है. दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को फटकार लगाते हुए कहा कि एजेंसी द्वारा किये जा रहे इनकार पर किसी को विश्वास नहीं है और यह भरोसे लायक नहीं है. स्पेशल जज अरविंद कुमार ने ईडी के डायरेक्टर को ताकीद किया है कि भविष्य में किसी भी मामले में इस तरह की जानकारी लीक होने की घटना दोबारा न हो.
अदालत इस मामले में गिरफ्तार कथित बिचौलिये क्रिश्चन मिशेल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. मिशेल ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े दस्तावेजों के लीक होने की जांच की मांग की थी. मिशेल ने ईडी पर मीडिया को दस्तावेज देकर मामले के राजनीतिकरण का आरोप लगाया था.
हालांकि ईडी ने पत्रकारों को किसी भी तरह के दस्तावेज सौंपे जाने के आरोपों को खारिज किया और एक स्टेट्स रिपोर्ट दायर कर दावा किया कि उसकी तरफ से आरोप-पत्र लीक हुआ ही नहीं है. ईडी ने कहा कि बहुत संभव है कि मीडिया को अदालतकर्मियों के पास चार्जशीट की छोड़ी गई अतिरिक्त कॉपी से जानकारी मिली हो. वहीं कोर्ट स्टाफ ने ईडी से चार्जशीट की अतिरिक्त कॉपी प्राप्त होने से इनकार किया है.
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ईडी द्वारा दाखिल स्टेट्स रिपोर्ट 'भरोसे के काबिल' नहीं है. अदालत के मुताबिक उसने ईडी को ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया था कि वह कोई एक्सट्रा कॉपी दे, न ही ईडी ने कहा था कि उसने कोई अतिरिक्त प्रति जमा कराई है.
अदालत ने कहा है कि अगर ईडी के दावे को मान भी लिया जाए तो उनके द्वारा कोर्ट स्टाफ के पास पूरक चार्जशीट की कॉपी छोड़ना लापरवाही का एक नमूना है. अदालत ने कहा, "ईडी द्वारा लगाए गए आरोप पहले तो गलत दिखाई पड़ते हैं, ED के वर्जन पर यकीन नहीं किया जा सकता है." हालांकि अदालत ने इस मुद्दे पर गहराई से विचार करने पर इनकार कर दिया कि पत्रकारों को चार्जशीट की काफी लापरवाही से मिली अथवा ये जान बूझकर किया गया कदम था.