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एआईएडीएमके के सामने डिंडीगुल के 'गढ़' को बचाने की चुनौती

पोलाची की तरह डिंडीगुल को भी एआईएडीएमके का गढ़ माना जाता है. 1952 से अब तक सबसे ज्यादा छह बार यहां से एआईएडीएमके ने जीत दर्ज की है.

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AIADMK कार्यकर्ता (फोटो-facebook)
AIADMK कार्यकर्ता (फोटो-facebook)

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पुराने जमाने में पांडयन, चोल और पल्लव और बाद के वर्षों में विजयनगर साम्राज्य का हिस्सा रहे इस शहर के हर कोने में आपको इतिहास दिख जाएगा. लेकिन आधुनिक डिंडीगुल भी किसी मायने में आपको पीछे नहीं दिखेगा. यहां ताले बनाने का काम लंबे समय से हो रहा है, जैसा आपको उत्तर भारत में अलीगढ़ में देखने को मिलता है. चमड़े का सामान यहां बड़े पैमाने पर बनता है. अन्य उद्योगों में कपड़ा बनाना, कृषि से जुड़े धंधे शामिल है.

पोलाची की तरह डिंडीगुल को भी एआईएडीएमके का गढ़ माना जाता है. 1952 से अब तक सबसे ज्यादा छह बार यहां से एआईएडीएमके ने जीत दर्ज की है. 2014 के आम चुनावों में यहां इसी पार्टी ने जीत के झंडे गाड़े थे. डिंडीगुल की खास बात यह है कि यह शहरी सीट है. यहां 61 फीसदी से ज्यादा लोग शहर में रहते हैं. यह सामान्य सीट है. पोलाची सीट से मौजूदा सांसद एआईएडीएमके के सी. महेंद्रन हैं. वे पहली बार सांसद बने हैं.

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राजनैतिक पृष्ठभूमि

डिंडीगुल सीट पर शुरुआती दौर में कांग्रेस का वर्चस्व था. 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में यहां से कांग्रेस के उम्मीदवार अमु स्वामीनाथन चुनाव जीते थे. इसके बाद 57 और 62 में भी कांग्रेस के पास यह सीट रही. 1967 में पहली बार डीएमके ने यह सीट कांग्रेस से छीनी. इसके बाद 1971 के आम चुनाव में भी डीएमके ही यहां से जीती. लेकिन 1977 में  ही  हुए आम चुनाव में यहां से पहली बार एआईएडीएमके ने जीत दर्ज की. लेकिन 80 के चुनाव में डीएमके ने यह सीट एआईएडीएमके से छीन ली. लेकिन उसके बाद 1984, 1989 और 1991 के चुनाव में एआईएडीएमके ने इस सीट को तकरीबन अपने गढ़ में तब्दील कर दिया. 1996 में यहां से पहली बार तमिल मनीला कांग्रेस ने जीत दर्ज की. लेकिन वह इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार नहीं रख सके. 1998 के आम चुनाव में एक बार फिर एआईएडीएमके ने इस सीट पर कब्जा किया. 1999 के चुनाव में एआईएडीएमके की जीत का सिलसिला बरकरार रहा. 2004 के आम चुनाव में एक अरसे बाद कांग्रेस ने इस इलाके में वापसी की और शानदार जीत दर्ज की. यह सिलसिला 2009 में भी बरकरार रहा. लेकिन 2014 के चुनाव में एक बार फिर एआईएडीएमके ने यहां से अपना लोहा मनवाया.

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सामाजिक तानाबाना

इस लोकसभा सीट के तहत करीब 10.85 लाख मतदाता हैं. इसमें 542,520 पुरुष हैं और 543,176  महिलाएं हैं.

विधानसभा सीटों का समीकरण

डिंडीगुल लोकसभा सीट के तहत छह विधानसभा सीटें आती हैं. ये हैं- पलानी, ओडाचतरम, अथूर, नीलाकोट्टाई (सुरक्षित), नाथम एवं डिंडीगुल. छह में से चार विधानसभा सीटें डीएमके के पास हैं तो दो पर एआईएडीएमके का कब्जा है.

2014 का जनादेश

2014 के लोकसभा चुनाव में एआईएडीएमके के सी. महेंद्रन ने जीत दर्ज की थी. उन्हें 417,092 वोट मिले थे. दूसरे नंबर पर केएमडीके के ई.आर. ईश्वरन थे. उन्हें 276,118 मत मिले थे. ईश्वरन बीजेपी समर्थित प्रत्याशी थे. डीएमके के प्रत्याशी पी. पलानीसामी को 251,829 को वोट से संतोष करना पड़ा था.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

एआईएडीएमके के सी. महेंद्रन का जन्म 1972 में हुआ था. वे तिरुपुर जिले से आते हैं. उन्होंने अपने जिले की मूंगीलथोलूवू पंचायत के अध्यक्ष पद से अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत की थी. उन्होंने अर्थशास्त्र विषय से एमए तक की शिक्षा हासिल की है. 8 जनवरी, 2019 तक के उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक महेंद्रन की लोकसभा में उपस्थिति 83 फीसदी रही है. उन्होंने 41 बार चर्चा में हिस्सा लिया और इस दौरान 435 प्रश्न पूछे. उनकी सांसद निधि का 82.03 फीसदी हिस्सा विकास पर खर्च किया गया है.  

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