नाक, कान और गले के डॉक्टर(ENT) से नेता बने डॉ. हर्षवर्धन, दिल्ली के इकलौते सांसद हैं, जिन्हें नरेंद्र मोदी सरकार की दूसरी पारी में भी कैबिनेट मंत्री बनने का मौका मिला है. खास बात है कि 2014 में मंत्री बनने के छह महीने में ही जिस मंत्रालय को उनसे छीन लिया गया था, उसे इस बार फिर से हासिल करने में सफल हुए हैं.
बात हो रही है स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की. देश की जनता की सेहत सुरक्षा से जुड़े इस अहम मंत्रालय की कमान उन्हें फिर से मिली है. साथ ही पिछली बार की ही तरह उन्हें विज्ञान और प्रोद्योगिकी, भूविज्ञान मंत्रालय की भी जिम्मेदारी मिली है. हर्षवर्धन पांच बार के विधायक भी रह चुके हैं.
दरअसल, 26 मई 2014 को मोदी सरकार बनने के छह महीने बाद ही नवंबर 2014 में पीएम मोदी ने कैबिनेट में फेरबदल किया था. इस दौरान उन्होंने पेशे से चिकित्सक डॉ. हर्षवर्धन से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय लेकर जेपी नड्डा को दे दिया था. डॉ. हर्षवर्धन को तब विज्ञान और प्रोद्योगिकी, भूविज्ञान मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली थी. हालांकि उस वक्त जेपी नड्डा को स्वास्थ्य मंत्री बनाए जाने को लेकर सवाल भी उठे थे.
मामला एम्स में सतर्कता अधिकारी के तौर पर कार्यरत आईएफएस अफसर संजीव चतुर्वेदी को हटाने से जुड़ी एक चिट्ठी लिखे जाने का था. संजीव चतुर्वेदी को उस वक्त सीवीओ पद से हटाने में नड्डा की कथित भूमिका को लेकर आम आदमी पार्टी व अन्य विपक्षी दलों ने आरोप लगाए थे. बहरहाल, इस बार मोदी कैबिनेट में जेपी नड्डा को जगह नहीं मिली है. अटकलें लग रहीं हैं कि उन्हें बीजेपी का नया अध्यक्ष बनाने के मकसद से सरकार से बाहर रखा गया है. क्योंकि बीजेपी में एक व्यक्ति- एक पद सिद्धांत लागू है.