एलुरु लोकसभा सीट से टीडीपी के मंगती वेंकटेश्वर राव ने एक बार फिर ताल ठोंका है. जबकि दरी, कालीन और चमड़े के कारोबार के लिए प्रसिद्ध एलुरु सीट से वाईएसआर कांग्रेस ने कोटागिरी श्रीदरस को मैदान में उतारा है. इस सीट से जनसेना पार्टी ने पेंटापति पुल्ला राव को टिकट दिया है.
बीजेपी और कांग्रेस भी इस सीट से तगड़ी चुनौती पेस कर रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट से चिन्नम रामा कोटय्या को टिकट दिया है. जबकि कांग्रेस कैंडिडेट का नाम गुरुंधा राव जेट्टी है. इस सीट से रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के मेथे बॉबी चुनाव लड़ रहे हैं. इस इलाके में चावल की कई मिलें हैं. मुख्य व्यापार केंद्र होने के कारण इस पर शासन-प्रशासन की नजर बनी रहती है. किसी समय में अंग्रेजों की छावनी रहे एलुरु से वर्तमान में टीडीपी के मगंती वेंकेटेश्वरा राव लोकसभा सांसद हैं.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
1952 में पहले आम चुनाव में कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के पास थी. जिसे 1957 में कांग्रेस ने छीन लिया. लेकिन कांग्रेस को अगले चुनाव (1962) में झटका लगा और दोबारा सीपीआई ने सीट पर कब्जा कर लिया. हालांकि, इसके बाद सीपाआई को एक बार भी जीत नहीं मिली और इस प्रकार सीपीआई की यह आखिरी जीत साबित हुई. वर्तमान में भी सीपीआई का प्रभाव इस सीट पर नजर नहीं आता. 1967 में सीपीआई को हराने वाली कांग्रेस ने जीत का सिलसिला जारी रखा और टीडीपी के गठन से पहले तक इस सीट कब्जा जमाए रखा.
इस दौरान कांग्रेस ने 1967, 1971, 1977 और 1980 में जीत दर्ज की. हालांकि, एनटीआर द्वारा टीडीपी की स्थापना के बाद कांग्रेस के जीत का क्रम टूटा और 1984 के आम चुनाव में उसे टीडीपी उम्मीदवार के हाथों 1.11 लाख वोटों से हार का सामना करना पड़ा. 16 बार हुए आम चुनावों में 9 बार यह सीट कांग्रेस के पास रही. हालांकि, टीडीपी के अस्तित्व में आने के बाद हुए 9 आम चुनावों में कांग्रेस का ग्राफ नीचे गिरा, उसे महज 4 बार जीत मिल सकी. वहीं, 5 बार यह सीट टीडीपी के पाले में रही. 2014 में भी इस सीट पर टीडीपी का कब्जा रहा.
सामाजिक ताना-बाना
व्यापार का केंद्र माना जाने वाले एलुरु लोकसभा क्षेत्र में 85 जनता ग्रामीण इलाके में रहती है, वहीं शेष 15 फीसदी लोग शहर में बसते हैं. 2014 आम चुनाव के आंकड़ों के मुताबिक इस सीट पर कुल 14,27,764 वोटर हैं, जिसमें महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक है. यहां 7,06,952 पुरुष और 7,20,738 महिला वोटर हैं. एलुरु लोकसभा में सात विधानसभा (उंगुटुरु, देंदुलुरु, एलुरु, पोलावरम, चिंतालपुड़ी, नुजविड और कैकालूर) सीटें आती हैं. इसमें से कैकालूर पर बीजेपी, नुजविड में वाईएसआर कांग्रेस और शेष विधानसभा सीटों पर टीडीपी के विधायक हैं.
2014 का जनादेश
कभी कांग्रेस नेता रहे मगंती ने 2014 में टीडीपी के टिकट पर चुनाव जीतकर दूसरी बार लोकसभा पहुंचे. उन्होंने वाईएसआर उम्मीदवार थोटा चंद्र शेखर को 1,01,926 वोटों के अंतर से हराया. 2014 में इस सीट पर कुल 84.27 फीसदी वोटिंग हुई थी, जिसमें टीडीपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. टीडीपी को 51.82 फीसदी वोट प्राप्त हुए. दूसरे नंबर पर रही वाईएसआर कांग्रेस को 43.35 वोट मिले, वहीं कांग्रेस के हिस्से में एक फीसदी से भी कम वोट आया.
दो पार्टियों से 2 बार पहुंचे संसद
वर्तमान टीडीपी सांसद मगंती दो बार इस सीट से लोकसभा पहुंच चुके हैं, 1998 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे थे. 2004 और 2009 में मगंती आंध्र प्रदेश विधानसभा के सदस्य भी रहे, इस दौरान उन्हें राज्य कैबिनेट में भी जिम्मेदारी मिली. इस बीच उन्होंने कांग्रेस का दामन छोड़ टीडीपी से हाथ मिला लिया जिसके बाद 2014 में उन्हें टीडीपी से टिकट मिला जिसके बाद उन्होंने एक लाख से ज्यादा वोटों के अंतर जीतकर एलुरु सीट टीडीपी के खाते में डाल दी.
चुनाव की हर ख़बर मिलेगी सीधे आपके इनबॉक्स में. आम चुनाव की ताज़ा खबरों से अपडेट रहने के लिए सब्सक्राइब करें आजतक का इलेक्शन स्पेशल न्यूज़लेटर