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इलेक्शन के बाद EVM का क्या होता है? पढ़िए चुनाव आयोग के कायदे-कानून

मतगणना के बाद EVM का क्या होता है, ये बताने से पहले हम आपको थोड़ा पीछे ले जाते हैं. मतदान खत्म होते ही EVM को कड़ी सुरक्षा में स्ट्रॉन्ग रूम में लाया जाता है. यहां पर EVM को बिना रोशनी में रखा जाता है, जहां EVM रखी जाती है वहां किसी किस्म की इलेक्ट्रानिक डिवाइस भी नहीं होती है. एक बार मतगणना की प्रक्रिया पूरी होने के बाद कई कागजी प्रक्रियाएं पूरी की जाती है.

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मतगणना के 45 दिन बाद भी आपका वोट सुरक्षित रहता है (फाइल फोटो)
मतगणना के 45 दिन बाद भी आपका वोट सुरक्षित रहता है (फाइल फोटो)

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लोकसभा चुनाव 2019 खत्म हो गया है. इस चुनाव में EVM के रोल पर खूब बहस होती रही. लगभग 90 करोड़  मतदाताओं के लिए चुनाव आयोग ने लाखों EVM की व्यवस्था की थी. इस मतदान में करीब 60 करोड़ मतदाताओं ने वोट डाला. चुनाव से पहले EVM पर सवाल उठाने वाली पार्टियों ने नतीजों के बाद चुनाव आयोग की काबिलियत और EVM क्षमता पर सवाल नहीं उठाया. चुनाव संपन्न होने के बाद अब सवाल ये है कि इतनी भारी संख्या में EVM का होता क्या है? क्या इसे फिर से संभाल कर रखा जाता है? क्या इनका इस्तेमाल फिर से किया जाएगा? अगर हां तो इसकी प्रक्रिया क्या है?  EVM से जुड़े इन तमाम सवालों का जवाब हम आपको बताने जा रहे हैं.

अंधेरे में रखी जाती है EVM

मतगणना के बाद EVM का क्या होता है, ये बताने से पहले हम आपको थोड़ा पीछे ले जाते हैं. मतदान खत्म होते ही EVM को कड़ी सुरक्षा में स्ट्रॉन्ग रूम में लाया जाता है. यहां पर EVM को बिना रोशनी में रखा जाता है, जहां EVM रखी जाती है वहां किसी किस्म की इलेक्ट्रानिक डिवाइस भी नहीं होती है. एक बार मतगणना की प्रक्रिया पूरी होने के बाद कई कागजी प्रक्रियाएं पूरी की जाती हैं.

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मतगणना के 45 दिन तक सुरक्षित होता है आपका वोट

उम्मीदवार को विजेता घोषित करने के बाद EVM को एक बार फिर से स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है, और रूम को बंद कर एक बार फिर सील किया जाता है. ये प्रक्रिया उम्मीदवारों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में की जाती है. इनके हस्ताक्षर लिए जाते हैं. चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा, "चुनाव नतीजों की घोषणा के बाद उम्मीदवारों को 45 दिन का वक्त दिया जाता है, इस अवधि के दौरान अगर उम्मीदवार को मतगणना प्रक्रिया पर संदेह है तो वह फिर से मतगणना के लिए आवेदन कर सकता है. 45 दिन की समय सीमा गुजर जाने के बाद मतगणना के लिए आवेदन नहीं दिया जा सकता है."

चुनाव आयोग के एक और अधिकारी ने कहा, "कुल मिलाकर 45 दिनों तक उसी स्ट्रॉन्ग रूम में EVM को पूरी सुरक्षा के साथ रखा जाता है. केन्द्रीय और राज्य के सुरक्षा बल इसकी रखवाली करते हैं. 45 दिन खत्म होने के बाद EVM को पूरी सुरक्षा के साथ स्टोरेज रूम ले जाया जाता है. इसके बाद चुनाव आयोग के इंजीनियर EVM की जांच करते हैं. कई चरणों में इसकी जांच की जाती है. सब कुछ ठीक पाए जाने के बाद EVM को दूसरे मतदान के लिए तकनीकी रूप से सक्षम घोषित कर दिया जाता है. इसके बाद जरूरत के मुताबिक EVM को भेजा जाता है.

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कई राउंड की चेकिंग करते हैं इंजीनियर

इससे पहले भी चुनाव आयोग कई दौर की चेकिंग करता है. EVM को मतदान के लिए भेजे जाने से पहले राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को बुलाया जाता है और उनके सामने मॉक टेस्ट किया जाता है. ये प्रक्रिया कई चरणों में होती है और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को संतुष्ट किया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया के बाद संबंधित अधिकारी हस्ताक्षर करता है, इसके साथ ही राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि भी अपना हस्ताक्षर देते हैं.

20 प्रतिशत रिजर्व EVM

चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा कि चुनाव के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले कुल EVM का 20 प्रतिशत रिजर्व के रूप में रखा जाता है ताकि अगर तकनीकी दिक्कतें होने पर अतिरिक्त EVM से काम चलाया जा सके. चुनाव आयोग के अधिकारी ने कहा कि EVM दूसरे इलेक्ट्रानिक डिवाइस की तरह होते हैं, अगर इन्हें ठीक से रखा जाए तो ये अच्छा काम करते हैं बेहद सुरक्षित होते हैं. इनमें किसी किस्म की छेड़छाड़ की दूर-दूर तक गुंजाइश नहीं है. खराब EVM को नष्ट किया जाता है.

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