लोकसभा चुनाव के रिजल्ट से पहले आए एग्जिट पोल में ममता बनर्जी के राज्य पश्चिम बंगाल में भाजपा को बड़े पैमाने पर बढ़त मिलती नजर आ रही है. जो पिछले 8 सालों से राज कर रही तृणमूल कांग्रेस को कड़ी चुनौती दे रही है.
लोकसभा चुनाव 2019 में ममता बनर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच सीधी लड़ाई देखने को मिल रही है. पश्चिम बंगाल में मतदाताओं ने बड़े पैमाने पर मतदान किया. राज्य में 83.8 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट दिया, जो सभी राज्यों में सबसे अधिक है.
इंडिया टुडे के माई एक्सिस इंडिया एग्जिट पोल ने भाजपा को 19-23 सीटें मिलती दिखाई हैं, जबकि टीएमसी को राज्य की कुल 42 लोकसभा सीटों में से 19-22 सीटें जीतने का अनुमान है. यदि ये एग्जिट पोल सच साबित हो जाते हैं, तो टीएमसी के लिए ये बड़ा झटका होगा. जिसने 2014 के चुनाव में 34 सीटें जीती थीं, वह भी ऐसे समय में जब राज्य में विधानसभा चुनाव दो साल दूर है. 2014 के चुनाव में भाजपा केवल 2 लोकसभा सीटें जीतने में कामयाब रही थी.
एग्जिट पोल ने राज्य में भगवा लहर को भी इन वोटों के ध्रुवीकरण की वजह माना. अधिकांश हिंदू वोट बीजेपी को गए हैं और मुस्लिम वोट टीएमसी के पक्ष में गए. प्रचार की बात करें तो मुस्लिम वोट बैंक का समर्थन हासिल करने के लिए ममता ने विभिन्न घोषणाएं की, जैसे हज हाउस की स्थापना, मदरसा हॉस्टल को स्वीकृति देना और मुस्लिम समुदाय के लिए अलग-अलग भत्ते की पेशकश करना। इन सबसे भाजपा को राज्य में हिंदू वोटों को एकजुट करने के लिए पर्याप्त आधार मिला.
एग्जिट पोल के मुताबिक, मुस्लिम वोटों का 65 प्रतिशत टीएमसी के पक्ष में गया जबकि केवल 5 प्रतिशत मुस्लिम वोट भाजपा के पास गए. दूसरी तरफ गैर-मुस्लिम (सामान्य और ओबीसी) वोटों में से आधे से ज्यादा वोट भाजपा को मिले हैं. इसके अलावा, निचली जाति के हिंदू वोट भी बड़े पैमाने पर बीजेपी के पक्ष में गए. एससी-एसटी वर्ग में आने वाले 50 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं ने टीएमसी और कांग्रेस को मुकाबले भाजपा को चुना. ममता की पार्टी इन वोटों का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा ही मिल सका.
एग्जिट पोल के मुकाबिक, आंकड़ों ये भी कह रहे हैं पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले बीजेपी के वोट का प्रतिशत 17 से बढ़कर 40 प्रतिशत हो सकता है. जबकि माना जा रहा है कि टीएमसी कुछ सीटों पर हारने के बावजूद 2014 के समान ही अपने वोट शेयर को लगभग 40 प्रतिशत बनाए रखेगी.
टीएमसी और बीजेपी टक्कर की लड़ाई लड़ते नजर आ रहे हैं, वहीं लेफ्ट और कांग्रेस हारने की स्थिति में हैं. एग्जिट पोल के मुताबिक, लेफ्ट फ्रंट के लिए वोट शेयर 25 प्रतिशत से एक अंक ही गिरने की संभावना है, जो पिछले आम चुनाव में सामने आया था.