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MOTN: मोदी सरकार के 5 साल पर किसानों ने कहा-नहीं आए अच्छे दिन

इंडिया टुडे, कार्वी इनसाइट्स द्वारा किया गया यह सर्वे 28 दिसंबर से 8 जनवरी के बीच हुआ. यह सर्वे 20 लोकसभा क्षेत्रों में 2478 लोगों पर किया गया.

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सांकेतिक तस्वीर (फाइल फोटो: पीटीआई)
सांकेतिक तस्वीर (फाइल फोटो: पीटीआई)

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हाल के कुछ महीनों में किसानों की बदहाली के मुद्दे देश में राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर कई आदोलन हुए. वहीं केंद्र सरकार का दावा है कि 2020 तक किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी. ऐसे में लोकसभा चुनावों से पहले कृषि के मोर्चे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के लिए बुरी खबर है. इंडिया टुडे, कार्वी इनसाइट्स ने देश में किए अपने सर्वे में अधिकतर लोगों का मानना है कि किसानों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ.

नहीं आए किसानों के अच्छे दिन!

इंडिया टुडे, कार्वी इनसाइट्स द्वारा किए गए इस सर्वे में पूरे देश में 34 फीसदी लोगों का मानना है कि मोदी सरकार के 5 साल के कार्यकाल में किसानों स्थिति बदतर हुई है. जबकि 42 फीसदी लोगों का मानना है कि इन 5 सालों में किसानों की स्थिति जस की तस बनी हुई है. वहीं 20 फीसदी लोगों ने कहा कि किसानों की स्थिति सुधरी है जबकि 4 फीसदी लोगों ने कोई जवाब नहीं दिया.

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आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े सूबे में भी कमोबेश ऐसे ही हालात हैं. उत्तर प्रदेश में अलग से पूछे गए इस सवाल के जवाब में 31 फीसदी लोगों ने कहा कि किसानों की स्थिति बदतर हुई, जबकि 44 फीसदी लोगों का मत है कि किसानों की स्थिति वैसी ही है, जैसी 5 साल पहले थी. वहीं 22 फीसदी लोगों का मानना है कि किसानों की स्थिति में सुधार हुआ है. जबकि 3 फीसदी लोगों ने कोई जवाब नहीं दिया.

कर्ज माफी से होगा समस्या का समाधान?

हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में कांग्रेस की सरकारों द्वारा किसानों की कर्ज माफी की घोषणा के बाद इस बात पर एक बार फिर चर्चा होने लगी कि क्या कर्ज माफी से किसानों की समस्या के समाधान के लिए सही कदम है?  इस सवाल के जवाब में 68 फीसदी लोगों का मानना है कि कर्ज माफी सही कदम है, जबकि 25 फीसदी ने इसे गलत कदम बताया है. वहीं 7 फीसदी लोगों ने कोई जवाब नहीं दिया. इस लिहाज से देखा जाए तो अधिकतर लोग कर्जमाफी के साथ खड़े हैं.

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकार बनने पर प्रदेश के किसानों की कर्ज माफी का ऐलान किया था. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीएम मोदी के इस वादे को अमल में लाते हुए कर्ज माफी के फैसले पर मुहर लगा दी. ऐसे उत्तर प्रदेश की जनता का मिजाज भी देश के मिजाज की तरह है. यहां 80 फीसदी लोगों का मानना है कि कर्ज माफी सही फैसला है, जबकि 15 फीसदी इसे सही नहीं मानते. वहीं 5 फीसदी लोगों ने कोई जवाब नहीं दिया.

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फसल का सही मूल्य न मिलना है कृषि संकट का कारण?

साल 2014 के लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी ने देश के किसानों से वादा किया था कि केंद्र में उनकी सरकार बनने के बाद 50 फीसदी बढ़ाकर फसल का दाम किसानों को देंगे. लेकिन पिछले दिनों महाराष्ट्र के एक किसान ने प्याज की फसल के लिए मिले पैसे का चेक भेजकर प्रधानमंत्री को अपना वादा याद दिलाया. ऐसे में देश के 65 फीसदी लोगों का मानना है कि फसल का सही दाम नहीं मिलना कृषि संकट का कारण है. जबकि 25 फीसदी लोग ऐसा नहीं मानते. वहीं 10 फीसदी लोगों ने कोई जवाब नहीं दिया.

इस मुद्दे पर उत्तर प्रदेश के लोगों का मत भी देश के मिजाज के साथ है. यूपी में 74 फीसदी लोग फसल का सही दाम न मिलने को कृषि संकट का कारण मानते हैं. जबकि 18 फीसदी लोग ऐसा नहीं मानते. तो वहीं 8 फीसदी लोगों ने कोई जवाब नहीं दिया.

चुनावी साल में कृषि प्रधान देश के मिजाज को देखा जाय तो यह सर्वे केंद्र की मोदी सरकार के लिए खतरे की घंटी है. देश की जीडीपी में कृषि का योगदान 17-18 फीसदी है. जबकि देश की 55 फीसदी आबादी खेती-किसानी से जुड़ी हैं. ऐसे में इतनी आबादी का असंतुष्ट होना केंद्र के लिए चिंता का विषय है.

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