लोकसभा चुनाव 2019 की 10 मार्च को घोषणा होने के बाद अब सबकी नजर प्रत्याशियों के चयन पर लगी हैं. कौन किस सीट से लड़ेगा और किसका टिकट कटेगा ? इस पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं. कांग्रेस ने इस काम में तेजी दिखाते हुए चुनाव घोषणा के 3 दिन बाद ही अपनी पहली लिस्ट जारी कर दी जिसमें महाराष्ट्र की 48 सीटों में से 5 के नाम हैं.
इनमें नागपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने नानाभाऊ पटोले को उतारा है जो संभावित बीजेपी प्रत्याशी केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से मुकाबला करेंगे. ये वही नाना पटोले हैं जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यवहार से नाराज होकर सांसद पद से इस्तीफा दिया था और बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए थे.
कांग्रेस ने बुधवार को 21 सीटों पर उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी की थी जिनमें उत्तर प्रदेश के 16 और महाराष्ट्र के 5 नाम हैं. इसमें पिछली लोकसभा में चुने गए भाजपा के दो सांसद शामिल हैं. एक हैं नागपुर से नाना पटोले और बहराइच से सावित्री फुले. दोनों भाजपा से इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हुए.
मुंबई उत्तर मध्य से प्रिया दत्त, मुंबई दक्षिण से मिलिंद मुरली देवड़ा, सोलापुर से सुशील शिंदे चुनाव, गढ़चिरौली-चिमूर की एसटी के लिए आरक्षित सीट पर नामदेव दल्लूजी उसेंडी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे.
कौन हैं नानाभाऊ पटोले
पहले शिवसेना से किनारा करने वाले पटोले ने कांग्रेस का दामन थामा, लेकिन 1992 में भंडारा जिल्हा परिषद के चुनाव में पार्टी उम्मीदवार मधुकर लीचड़े के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़कर जीत हासिल की. जल्द ही वे फिर से कांग्रेस में लौट आए.
लाखांदूर निर्वाचन क्षेत्र से नानाभाऊ पटोले, पार्टी प्रत्याशी प्रमिला के खिलाफ खड़े जरूर हुए, लेकिन जीत बीजेपी के दयाराम की हुई. कांग्रेस में वापसी के साथ पटोले ने 1999 और 2004 के विधानसभा चुनाव में लाखांदूर जीत हासिल की. साल 2009 में किसानों और विदर्भ के विकास के मुद्दे पर पटोले ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लोकसभा का चुनाव लड़ा और दूसरा स्थान हासिल किया. इस चुनाव में एनसीपी के प्रफुल्ल पटेल की जीत हुई, जबकि बीजेपी सांसद रहे शिशुपाल पटले तीसरे नंबर पर रहे.
बीजेपी में ज्वॉइन कर जीता चुनाव
इसके बाद पटोले ने बीजेपी ज्वॉइन कर ली और 2009 के विधानसभा चुनाव में सकोली सीट से जीत हासिल की. पटोले को विधानसभा में बीजेपी का उपनेता चुन लिया गया. 2014 के लोकसभा चुनाव में पटोले ने एनसीपी उम्मीदवार प्रफुल्ल पटेल को हराया.
पीएम मोदी पर पटोले के आरोप
साढ़े तीन साल बाद नानाभाऊ पटोले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधने लगे. सितंबर 2017 में पटोले ने नागपुर में हुए एक कार्यक्रम में आरोप लगाया कि पीएम मोदी किसी की भी बात नहीं सुनते और पार्टी बैठक में पीएम ने उन्हें उस वक्त अपनी बात नहीं रखने दी थी, जब वो किसानों का मुद्दा उठा रहे थे. उसके बाद पटोले महाराष्ट्र में बीजेपी सरकार पर हल्ला बोलने लगे. पीएम मोदी और सीएम देवेंद्र फडणवीस लगातार उनके निशाने पर रहे. अकोला में पूर्व वित्त मंत्री व वरिष्ठ बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा द्वारा आयोजित किसान आंदोलन में भी पटोले शामिल हुए थे.
पटोले का कोई सगा नहीं
एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा था कि नानाभाऊ पटोले कभी किसी पार्टी के वफादार नहीं रहे. कांग्रेस नेता ने कहा था कि किसानों का मुद्दा सिर्फ एक दिखावा है, पटोले मंत्री पद की चाहत रखते हैं और बीजेपी द्वारा नजरअंदाज करने पर उन्हें पार्टी छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा.
नागपुर सीट पर होगा दिलचस्प मुकाबला
महाराष्ट्र की उप राजधानी और विदर्भ का सबसे प्रमुख शहर नागपुर वैसे तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का गढ़ है, लेकिन यहां सबसे ज्यादा चुनाव कांग्रेस ने जीते हैं. वर्तमान में यहां से बीजेपी के दिग्गज नेता और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी सांसद हैं. उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में चार बार के सांसद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विलास मुत्तेमवार को हराया था.
नागपुर की राजनीतिक पृष्ठभूमि को देखें तो नागपुर से केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस दो ऐसे चेहरे हैं जो बीजेपी में अच्छा खासा दबदबा रखते हैं. साथ ही यहां आरएसएस की जमीनी स्तर पर बीते कुछ सालों में पकड़ काफी मजबूत हुई है.