गौरव गोगोई 3 बार असम के मुख्यमंत्री रहे तरुण गोगोई के बेटे हैं. गौरव गोगोई असम की उसी कलियाबोर सीट से सांसद हैं जिससे उनके पिता तरुण गोगोई सांसद रहे थे. गौरव गोगोई का जन्म 4 सितंबर 1982 को हुआ. उन्होंने दिल्ली आधारित एनजीओ प्रवाह को जॉइन करने के लिए 2005 में एयरटेल की नौकरी छोड़ दी. उनकी शादी 2013 में एलिजाबेथ कोलबर्न गोगोई से हुई.
2014 में यूपीए को शासन करते 10 साल हो गए थे और एंटी इनकैम्बेसी का असर स्वाभाविक माना जा रहा था. मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया था और वह पूरे देश को नापने में लगे थे. कांग्रेस को लगने लगा था कि उन्हें नुकसान होने जा रहा. ऐसे में कई बड़े नेताओं ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था. कांग्रेस ऐसे स्वच्छ चेहरों की तलाश में थी जिस पर कोई उंगली न उठआ सके. और ऐसे में गौरव की दावेदारी बनती ही थी.
2014 में कांग्रेस ने उन्हें असम के कलियाबोर लोकसभा क्षेत्र से टिकट दिया और गौरव जीतने में सफल रहे. गौरव गोगोई कांग्रेस की अगली पीढ़ी के नेता माने जाते हैं. विपक्षी आरोप लगाते हैं कि गौरव गोगोई को टिकट देकर वंशवाद को बढ़ावा दिया है लेकिन उनके सौम्य व्यवहार और सुलझे व्यवहार ने लोगों का दिल जीत लिया और उन्हें विजय हासिल हुई. उनके पिता तरुण गोगोई 3 बार असम के मुख्यमंत्री और 6 बार सांसद रहे लेकिन उन्होंने जो हासिल किया था वह अपने दम पर हासिल किया था. गौरव गोगोई को वो चीजें विरासत में विरासत में मिल गई हैं लेकिन अगर उनको खुद की पहचान बनानी है तो उन्हें इस इमेज से बाहर निकालना होगा.
तरुण गोगोई भले ही राज्य में चौथी बार सरकार नहीं बना पाए लेकिन उनको असम का बच्चा-बच्चा जानता है. गौरव की शिक्षा-दीक्षा दिल्ली और न्यू यॉर्क में हुई. वह एयरटेल की नौकरी करने लगे फिर रिजाइन देकर एनजीओ से जुड़ गए. स्वच्छ छवि और युवा कांग्रेस नेता के रूप में उन्होंने पहचान तो बनाई है लेकिन पिता की तरह कद्दावर नेता बनना है तो जननेता बनना होगा और उन्हें जनता के बीच जाना होगा.
गौरव गोगोई ने दिल्ली में सेंट कोलंबिया स्कूल से पढ़ाई की. इसके बाद इंद्रप्रस्थ विश्व विद्यालय, दिल्ली से इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री ली. इसके बाद न्यू यॉर्क विश्वविद्यालय से लोकप्रशासन में पीजी किया. 2014 में गौरव कांग्रेस में शामिल हो गए.
28 मार्च 2017 को वह रक्षा पर स्थायी समिति के सदस्य बने. वह लोकसभा सदस्य के सदस्यों के साथ प्रोटोकॉल मानदंडों के उल्लंघन और सरकारी अधिकारियों के अवमाननात्मक व्यवहार समित के भी सदस्य रहे. उन्हें परामर्श समिति, संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया था. गौरव को रेलवे पर स्थायी समित का सदस्य भी बनाया गया था.