अगले कुछ महीनों में देश में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं और राजनीतिक पार्टियां इसकी तैयारी में जुट गई हैं. सभी दल मतदाताओं को रिझाने के लिए ऑनलाइन प्रचार का सहारा भी ले रहे हैं. वहीं निर्वाचन आयोग इन चुनाव प्रचारों पर होने वाले खर्च की निगरानी भी कर रहा है. इस बीच, दुनिया के सबसे बड़े इंटरनेट सर्च इंजन गूगल ने कहा है कि कंपनी अपने प्लेटफॉर्म पर भारत से संबंधित पॉलिटिकल एडवर्टाइजमेंट्स से जुड़ी सूचनाएं मार्च से सार्वजनिक करेगी. इसमें चुनावी विज्ञापन खरीदने वाले शख्स और संबंधित विज्ञापन की जानकारी होगी. गूगल ने भारत में अप्रैल-मई में होने वाले आम चुनाव से पहले पॉलिटिकल विज्ञापनों के मामले में ट्रांसपरेंसी के लिहाज से यह फैसला किया है. ट्विटर भी इसी तरह का कदम उठा चुका है.
गूगल ने मंगलवार को जारी एक बयान में कहा कि कंपनी भारत के लिए अपनी चुनावी विज्ञापन नीति में बदलाव कर रही है. अब विज्ञापन देने वालों को अपना विज्ञापन प्रकाशित या प्रसारित कराने के लिए चुनाव आयोग या फिर किसी अधिकृत व्यक्ति द्वारा जारी 'सर्टिफिकेट' देना होगा. यह मंजूरी हर उस विज्ञापन के लिए लेनी होगी, जिसे विज्ञापनदाता प्रसारित कराना चाहता है. गूगल विज्ञापन को अपने प्लेटफॉर्म पर चलाने से पहले विज्ञापनदाता की पहचान की जांच करेगी.
समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा के मुताबिक कंपनी ने जारी बयान में कहा, "ऑनलाइन चुनावी विज्ञापन में और ट्रांसपरेंसी लाने के लिए गूगल भारत पर केंद्रित एक राजनीतिक विज्ञापन पारदर्शिता रिपोर्ट और एक सार्वजनिक ऑनलाइन राजनीतिक विज्ञापन लाइब्रेरी पेश करेगी. इसे सर्च किया जा सकेगा. कंपनी के मुताबिक, इसमें चुनावी विज्ञापन खरीदने वाले के बारे में और विज्ञापन पर कितना खर्च किया जा रहा है, इसकी विस्तृत जानकारी होगी. विज्ञापनदाता के सत्यापन की प्रक्रिया 14 फरवरी से शुरू होगी जबकि यह रिपोर्ट और विज्ञापन लाइब्रेरी मार्च 2019 से हर किसी के लिए सीधे उपलब्ध होगी.
गूगल इंडिया के पब्लिक पॉलिसी के निदेशक चेतन कृष्णास्वामी ने बताया कि भारत में 2019 के आम चुनावों में 85 करोड़ से ज्यादा वोटर्स अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. इसे लेकर हम गंभीर हैं. हम भारत समेत पूरी दुनिया में लोकतांत्रिक प्रक्रिया का समर्थन जारी रखेंगे. उन्होंने कहा कि इसी तर्ज पर हम चुनावी विज्ञापन के मामले में ज्यादा ट्रांसपरेंसी लाने की कोशिश कर रहे हैं और चुनावी प्रक्रिया को बेहतर तरीके से जानने में लोगों की मदद करेंगे.
गौरतलब है कि गूगल ने यह कदम ऐसे समय उठाया गया है कि जब डिजिटल मंचों पर पॉलिटिकल एडवर्टाइजमेंट्स को लेकर ट्रांसपरेंसी लाने की चर्चा तेजी से चल रही है. सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों से कहा कि अवांछित साधनों के माध्यम से यदि देश की चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश की गई तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी. ट्विटर ने भी इस महीने की शुरुआत में इसी तरह का कदम उठाया था और कहा था राजनीतिक दलों द्वारा विज्ञापनों पर होने वाले खर्च को दर्शाने के लिए वह डैशबोर्ड पेश करेगा. फेसबुक ने पिछले महीने कहा था कि वह पॉलिटिकल एडवर्टाइजमेंट्स देने वालों के लिए पहचान और लोकेशन की जानकारी देने को जरूरी बनाएगी.