महाराष्ट्र की हिंगोली लोकसभा सीट पर कभी एक पार्टी का लम्बे समय तक कब्ज़ा नहीं रहा है. यहां कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस (एनसीपी) तो कभी शिवसेना जीतकर आई है. वैसे देखा जाए तो हिंगोली लोकसभा क्षेत्र में त्रिकोणीय मुकाबला होता आया है. यहां बहुजन समाज पार्टी तो कभी भारतीय रिपब्लिकन पार्टी यहां कांग्रेस और शिवसेना का समीकरण बिगाड़ती रही है.
इस बार भी शिवसेना और कांग्रेस के बीच टक्कर मानी जा रही है. 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां कांग्रेस की टिकट पर राजीव सातव चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे थे. उन्हें 4,67,397 वोट हासिल हुए थे. सातव ने शिवसेना के सुभाष वानखेड़े को चुनाव हराया था. वानखेड़े को 4,65,765 मत मिले थे. महज 1600 वोटों के अंतर से राजीव सातव यहां जीत दर्ज करने में सफल रहे थे.
वहीं, 2009 के लोकसभा चुनाव में शिवसेना के सुभाष वानखेड़े 3,40,148 वोट से चुनाव जीते थे. उन्होंने एनसीपी के सूर्यकांत पाटिल को चुनाव हराया था. पाटिल 2,66,514 वोट हासिल कर पाए थे. इस चुनाव में बसपा ने दोनों पार्टियों का समीकरण बिगाड़ा. बसपा के प्रत्याशी बी.डी चव्हाण को 1,11,357 वोट मिले.
क्या रहा है हिंगोली लोकसभा सीट का इतिहास...
हिंगोली लोकसभा सीट के अस्तित्व में आने के बाद यहां पहला चुनाव 1977 में हुआ. पहले ही चुनाव में यहां से जनता पार्टी की टिकट से चंद्रकांत पाटिल चुनाव जीतकर संसद पहुंचे. इसके बाद 1980 में कांग्रेस ने यहां चुनाव जीता और उत्तम राठोड़ सांसद बने. इसके बाद वो लगातार 1984 और 1989 में चुनाव जीते. लेकिन 1991 में हुए लोकसभा में यहां पहली बार शिवसेना सत्ता में आई. विलासराव गुंडेवार सांसद चुने गए. इसके बाद 1996 में दोबारा शिवसेना जीती. शिवाजी माने सांसद बने. उनके बाद 1998 में कांग्रेस के सूर्यकांत पाटिल चुनाव जीते, लेकिन इसके बाद 1999 में हुए चुनाव में एक बार शिवसेना के शिवाजी माने जीते. इसके अगले चुनाव के पहले सूर्यकांत पाटिल एनसीपी से जुड़े और 2004 में उन्होंने एनसीपी की टिकट से चुनाव जीता. फिर 2009 के लोकसभा में शिवसेना के सुभाष वानखेड़े और 2014 में बाजी पलटते हुए कांग्रेस के राजीव सातव चुनाव जीते.
मराठा आरक्षण बदल सकता है चुनावी समीकरण...
हिंगोली लोकसभा सीट पर मराठा और दलित समुदाय का अच्छा ख़ासा दबदबा है. दोनों ही समुदाय चुनावों में निर्णायक साबित होते हैं. हाल ही में मराठा समुदाय को आरक्षण मिलने के बाद शिवसेना को फायदा हो सकता है.
राहुल के करीबी हैं राजीव सातव...
एड. राजीव सातव पूर्व मंत्री रजनी सातव के बेटे हैं. उन्होंने जिला परिषद सदस्य से लेकर कलमनुरी के विधायक तक का सफर तय किया. वो युवक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने. उन्हें राहुल गांधी का करीबी माना जाता है.
क्या है विधानसभा स्थिति...
हिंगोली लोकसभा के अंतर्गत 6 विधानसभा सीट आती है. इनमें उमरखेड, हिंगोली में बीजेपी, किनवट में एनसीपी, हदगांव, वसमत में शिवसेना, कलमनुरी में कांग्रेस का राज है.