कभी कांग्रेस का गढ़ रही उत्तर प्रदेश की मुरादाबाद सीट पर कांग्रेस ने इस बार शायर इमरान प्रतापगढ़ी को मैदान में उतारा है. यह सीट पहले रॉबर्ट वाड्रा के सियासी आगाज की अटकलों को लेकर सुर्खियों में थी, बाद में राज बब्बर ने भी इस सीट से चुनाव लड़ने से मना कर दिया था.
वहीं, पिछले चुनाव में यहां से कांग्रेस को 20 हजार वोट भी नहीं मिले थे और वह पांचवे नंबर की पार्टी थी. ऐसे हालात में अब कांग्रेस ने अपनी खोई हुई जमीन पाने के लिए शायर इमरान प्रतापगढ़ी को चुनावी रण में भेजा है. इमरान मुस्लिमों में शिक्षा को बढ़ावा देने को लेकर काफी प्रयासरत हैं.
aajtak.in से खास बातचीत में इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) सरकार सिर्फ नफरत और बांटने का काम करती है. मैं कारोबार के शहर यानी मुरादाबाद से चुनाव लड़ रहा हूं. यहां हिंदू-मुस्लिम देखकर नहीं होता है बल्कि आपसी भाईचारे से कारोबार होता है.
इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि मुस्लिम वोटों के ठेकेदारों का मिथक टूट चुका है. समाजवादी पार्टी मुस्लिमों को अपना वोट बैंक समझते आई है, लेकिन आज वह मुरादाबाद की जमीन पर नहीं दिख रही है.
उन्होंने आगे कहा कि अब मुसलमान किसी एक पार्टी का वोट बैंक नहीं है. मुस्लिम वोटर अच्छा प्रत्याशी और पार्टी चुन रहा है. बीजेपी को कौन सत्ता से हटा सकता है, इसके बारे में वोटर गहराई से सोच रहा है. मुस्लिम वोटर्स जान चुके हैं कि ये सारी क्षमताएं केवल कांग्रेस पार्टी में है.
मुरादाबाद लोकसभा सीट: जहां मोदी लहर में पहली बार खिला था कमल
बता दें कि मुरादाबाद लोकसभा सीट पर तीसरे चरण में 23 अप्रैल को वोटिंग होगी. इस चरण में उत्तर प्रदेश समेत 14 राज्यों की 119 लोकसभा सीटों पर वोट डाले जाएंगे.
पिछले चुनाव में मुरादाबाद से क्यों हारी कांग्रेस?
2014 के चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन की वजह को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में इमरान ने कहा कि 2014 में हमारी पार्टी का प्रदर्शन अच्छा नहीं था. 2009 में पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद अजहरुदीन यहां से 3 लाख से ज्यादा वोटों से जीते थे, लेकिन 2014 में उन्होंने मुरादाबाद सीट से चुनाव लड़ने से मना कर दिया था. इस वजह से स्थानीय लोग नाराज थे, जिसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा.
हिंदू-मुस्लिम के बीच नफरत फैलना चाहती है बीजेपी
जब कांग्रेस उम्मीदवार इमरान से पूछा गया कि मुरादाबाद में राष्ट्रवाद का मुद्दा प्रभावी है या स्थानीय मुद्दे. जवाब था कि यहां दोनों मुद्दे प्रभावी हैं, लेकिन राष्ट्रवाद का मुद्दा प्रमुख है. दरअसल, बीजेपी यहां भी हिंदू-मुस्लिम के बीच नफरत फैलना चाहती है, लेकिन वह अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पा रही है. हालांकि, अपने चाल-चरित्र के हिसाब उसने यहां की आवाम को बांटने की कोशिश जरूर की है. इस बार वह जिस संसदीय सीट से चुनाव लड़ रहे हैं वहां हिंदू आबादी ज्यादा है, लेकिन मुस्लिम उम्मीदवार संसद तक ज्यादा पहुंचे हैं. मुरादाबाद में हिंदू करीब 53 फीसदी और मुस्लिम करीब 47 फीसदी हैं.
गौरतलब है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में मुरादाबाद संसदीय सीट पर कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब था. बीते चुनाव में कांग्रेस पांचवे स्थान पर थी और उसे महज 19732 वोट मिले थे. वहीं, इस सीट से 2009 के चुनाव में मोहम्मद अजहरुद्दीन कांग्रेस के टिकट से जीते थे. इस चुनाव में पूर्व क्रिकेट कप्तान को 3 लाख से ज्यादा वोट मिले थे.
इमरान को कहा जा रहा 2019 का कुमार विश्वास
इमरान को 2019 का कुमार विश्वास भी कहा जा रहा है. इसके पीछे कारण ये है कि कुमार विश्वास राजनीति से आने से पहले कवि के तौर पर खासे लोकप्रिय थे, वही इमरान भी इससे पहले बतौर शायर युवाओं के बीच एक चर्चित चेहरा हैं. हालांकि, कुमार विश्वास अपने सियासी सफर में कुछ कमाल नहीं कर पाए, लेकिन कांग्रेस को इमरान प्रतापगढ़ी से काफी उम्मीदें हैं.
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