इंडिया टुडे और कार्वी इनसाइट्स के साथ किए गए सर्वे देश का मिजाज (मूड ऑफ द नेशन) में यूपी की जनता ने योगी आदित्यनाथ सरकार के कामकाज पर संतोष जाहिर किया. सर्वे के मुताबिक, 57 फीसदी जनता योगी आदित्यनाथ सरकार के कामकाज से बहुत संतुष्ट और संतुष्ट है, जबकि केवल 15 फीसदी वोटरों ने ही योगी सरकार से निराशा अथवा बहुत निराशा जताई है. 27 फीसदी आबादी ऐसी है जो न तो योगी सरकार से संतुष्ट है और न ही निराश.
बता दें, ये सर्वे 28 दिसंबर से 8 जनवरी के बीच 20 लोकसभा क्षेत्रों में 2478 लोगों पर किया गया. सर्वे के मुताबाकि, मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ के कामकाज से प्रदेश की 17 फीसदी आबादी बहुत संतुष्ट है. 40 फीसदी लोग ऐसे हैं जो बहुत तो नहीं, लेकिन सरकार से संतुष्ट जरूर हैं. इस तरह प्रदेश के 57 फीसदी वोटर ऐसे हैं जो कि योगी सरकार के कामकाज से संतुष्ट हैं. इसके अलावा 27 फीसदी लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने न तो सरकार के कामकाज के प्रति संतोष जाहिर किया और न ही उनके अंदर इस सरकार को लेकर कोई असंतोष ही है.
84 फीसदी लोग सीएम योगी और उनके कामकाज से खुश
सर्वे के इन दोनों आंकड़ों को जोड़ दिया जाए तो 84 फीसदी जनता यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी सरकार के कामकाज से निराश या असंतुष्ट नहीं है. बीजेपी के लिए ये बड़ी खबर है. साथ ही विपक्ष के लिए झटका भी, जो कि प्रदेश में लोगों को योगी सरकार से परेशान बताकर लोकसभा चुनाव में अपने जीत के दावे कर रहा है.
सर्वे की परीक्षा में योगी सरकार को 5 में से 3.57 नंबर
सर्वे में ऐसे भी लोग थे जो सरकार से नाखुश या बहुत नाखुश थे. 12 फीसदी लोगों ने योगी सरकार के कामकाज से असंतोष जाहिर किया. तीन फीसदी लोग तो योगी सरकार से बहुत ज्यादा निराश थे जबकि एक फीसदी ऐसे लोग थे जिन्होंने इस सवाल पर अपनी कोई राय नहीं दी. कुल मिलाकर देखा जाए तो योगी सरकार इस सर्वे की परीक्षा में पांच में से 3.57 नंबर लाकर पास हो रही है. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले इस तरह के नतीजे योगी और उनकी पार्टी बीजेपी के लिए वाकई एक अच्छी खबर है.
सपा-बसपा और आरएलडी गठबंधन को मिल सकती हैं 58 सीटें
इंडिया टुडे और कार्वी इनसाइट्स के एक और सर्वे के मुताबिक, बीएसपी-एसपी और आरएलडी गठबंधन 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों में भारी उलटफेर कर सकता है. 2014 लोकसभा चुनाव में सपा को 22.2 फीसदी, बीएसपी को 19.6 फीसदी और आरएलडी को एक फीसदी वोट मिला था. इस बार अगर ये तीनों पार्टियां साथ चुनाव लड़ीं तो इनका वोट शेयर 2014 के कुल वोट शेयर 42.8 फीसदी से बढ़कर 46 फीसदी हो जाएगा जो 2014 की पांच सीटों के मुकाबले 2019 में इन्हें 58 सीटें तक दिला सकता है.