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इंदौर से BJP उम्मीदवार लालवानी, सुमित्रा महाजन बोलीं- मेरी भूमिका बदल गई

मध्य प्रदेश के इंदौर सीट पर बीजेपी ने लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन की जगह पार्टी के वरिष्ठ नेता शंकर लालवानी को टिकट दिया है. रविवार देर शाम इस सीट से नाम की घोषणा होने बाद सुमित्रा महाजन का 30 साल लंबा सफर औपचारिक रूप से खत्म माना जा रहा है.

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लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन (फाइल फोटो)
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन (फाइल फोटो)

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मध्य प्रदेश के इंदौर सीट पर बीजेपी ने लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन की जगह पार्टी के वरिष्ठ नेता शंकर लालवानी को टिकट दिया है. रविवार देर शाम नाम की घोषणा होने बाद इस सीट की चुनावी राजनीति की डगर पर सुमित्रा महाजन का 30 साल लंबा सफर औपचारिक रूप से खत्म माना जा रहा है. हालांकि, महाजन का कहना है कि वे अभी भी चुनावी परिदृश्य में ही हैं, लेकिन उनकी भूमिका बदल गई है.

महाजन ने कहा, "मैं तो पिछले कई दिन से इंदौर क्षेत्र में भाजपा की चुनावी बैठकों में शामिल हो रही हूं. मैं अब भी चुनावी परिदृश्य में ही हूं और आगे भी रहूंगी. हालांकि, अब मेरी भूमिका बदल गई है." इस बीच, अपने नाम की घोषणा के बाद लालवानी सुमित्रा महाजन के घर पहुंचे और इस सीट की निवर्तमान सांसद सुमित्रा महाजन से आशीर्वाद लिया.

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बहरहाल, इंदौर से लालवानी के नाम के ऐलान के साथ ही पूरी तरह साफ हो गया है कि 91 साल के लालकृष्ण आडवाणी और 85 साल के मुरली मनोहर जोशी सरीखे भाजपा के वरिष्ठम नेताओं की तरह 76 साल की महाजन भी मौजूदा चुनावी समर में बतौर उम्मीदवार नहीं दिखेंगी.  

महाजन, इंदौर सीट से साल 1989 से 2014 के बीच लगातार आठ बार चुनाव जीत चुकी हैं, लेकिन 75 साल से ज्यादा उम्र के नेताओं को चुनाव नहीं लड़ाने के बीजेपी के फैसले को लेकर मीडिया में खबरें आने के बाद उन्होंने पांच अप्रैल को घोषणा की थी कि वह बतौर उम्मीदवार चुनावी मैदान में नहीं उतरेंगी.

साल 2014 में 16वीं लोकसभा के चुनावों में सुमित्रा महाजन ने इंदौर क्षेत्र में अपने नजदीकी प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस उम्मीदवार सत्यनारायण पटेल को चार लाख 66 हजार 901 मतों के अंतर से हराया था, तब वह एक ही सीट और एक ही पार्टी से लगातार आठ बार लोकसभा पहुंचने वाली देश की पहली महिला सांसद बन गई थीं.

लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के बारे में-

महाराष्ट्र से ताल्लुक रखने वाली महाजन साल 1965 में शादी के बाद अपने ससुराल इंदौर में बस गई थीं. वह साल 1989 में इंदौर लोकसभा सीट से पहली बार चुनाव लड़ी थीं, तब उन्होंने अपने तत्कालीन मुख्य प्रतिद्वंद्वी और कांग्रेस के कद्दावर नेता प्रकाशचंद्र सेठी को मात देकर सियासी आलोचकों को चौंका दिया था.

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भाजपा संगठन में कई अहम पदों की जिम्मेदारी दिए जाने के बाद उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार के दौरान साल 1999-2004 की अवधि में मानव संसाधन, संचार और सूचना प्रौद्योगिकी और पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस विभागों का मंत्री भी बनाया गया था. वह संसद की कई समितियों की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं.

साल 1989 में इंदौर से अपना पहला लोकसभा चुनाव जीतने से पहले वह साल 1984-85 में इंदौर नगर निगम की उप महापौर भी रही थीं.

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