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बिहार में बाहुबलियों के सहारे चुनावी नैया पार करने की कोशिश में कांग्रेस

बिहार में राजनीतिक जमीन तलाश रही कांग्रेस पार्टी किसी जमाने में अपने वोटबैंक रहे सवर्णों को अपने पाले में लाने की कोशिश में लगी है.

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बाहुबली विधायक अनंत सिंह (फाइल फोटो-Facebook/Reallyanant)
बाहुबली विधायक अनंत सिंह (फाइल फोटो-Facebook/Reallyanant)

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बिहार की राजधानी पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में कांग्रेस की प्रस्तावित जन आकांक्षा रैली के मद्देनजर पार्टी के रोड शो में बाहुबली निर्दलीय विधायक अनंत सिंह के शामिल होने के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान जब आरजेडी-जेडीयू-कांग्रेस गठबंधन में चुनाव लड़े थे, तब अनंत सिंह की दबंगई और हिंसा को मुद्दा बनाकर आरजेडी प्रमुख लालू यादव ने उन्हें जेडीयू छोड़ने पर मजबूर कर दिया था. ऐसे में लोकसभा चुनाव के पहले उनका कांग्रेस के कार्यक्रम में खुलकर शामिल होने से बिहार में प्रस्तावित महागठबंधन की गांठ ढीली पड़ सकती है.

कांग्रेस के रोड शो में शामिल हुए अनंत

बिहार कांग्रेस कमेटी द्वारा पटना में आयोजित रोड शो में अनंत सिंह प्रदेश कांग्रेस चुनाव आभियान समिति के अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य अखिलेश प्रसाद सिंह के साथ उनके वाहन में सवार दिखे. दरअसल मोकामा से निर्दलीय विधायक अनंत सिंह मुगेर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं और वे कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरने का दावा कर रहे हैं. माना जा रहा है कि यहां से बिहार के एक और बाहुबली और पूर्व सांसद सूरजभान सिंह एलजेपी के टिकट पर चुनावी ताल ठोक सकते हैं. बता दें कि सूरजभान और अनंत सिंह एक दूसरे के धुर विरोधी माने जाते हैं.

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हालांकि कांग्रेस के रोड शो में अनंत सिंह से शामिल होने पर बिहार कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा ने कहा कि कोई भी व्यक्ति अगर पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में आस्था व्यक्त करता है तो इसमें कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन जहां तक पार्टी में शामिल होने और टिकट का सवाल है तो इसका निर्णय आलाकमान करेगा. वहीं आरजेडी नेता तेजस्वी यादव पहले ही कह चुके हैं कि महागठबंधन में अनंत सिंह के लिए कोई जगह नहीं है.

अन्य दबंग भी कांग्रेस के संपर्क में

हाल ही में बिहार के दबंग आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद कांग्रेस पार्टी में शामिल हुई हैं. इसके अलावा वैशाली से एलजेपी सांसद और दबंग रामा सिंह भी कांग्रेस के संपर्क में बताए जा रहे हैं. वहीं मधेपुरा से सांसद पप्पू यादव भी लगातार कांग्रेस के संपर्क में बने हुए हैं. जबकि उनकी पत्नी रंजीता रंजन पहले से ही कांग्रेस की सांसद हैं. आरजेडी किसी भी किमत पर पप्पू यादव को गठबंधन में जगह नहीं देना चाहती. वैसे भी गठबंधन की सूरत में आरजेडी चाहेगी की मधेपुरा सीट से शरद यादव को चुनाव लड़ाया जाए, जहां से वे अब तक चुनाव लड़ते आए हैं. पप्पू यादव दबंग छवि के नेता हैं और आरजेडी प्रमुख लालू यादव के विरोधी हैं.

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सवर्ण आरक्षण पर कांग्रेस-आरजेडी का स्टैंड अलग

पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम पर नजर डालें तो आरजेडी और कांग्रेस एक दूसरे के स्टैंड को लेकर चिंतित हैं. संसद में सामान्य जाति के गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण के मुद्दे पर आरजेडी ने खुलकर विरोध किया. लेकिन कांग्रेस ने दोनों सदनों में इस विधेयक का समर्थन किया. वहीं उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन के ऐलान के बाद आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने स्वयं अखिलेश यादव और मायावती से मुलाकात की.

सवर्ण वोट पर कांग्रेस की नजर

सूत्रों के मुताबिक बिहार में कांग्रेस पार्टी सवर्णों के वोट अपने पक्ष में करने के लिए पूरी ताकत झोंके हुए हैं. माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पूर्व कई सवर्ण नेता कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. बिहार के बाहुबली नेताओं के अलावा जिन अन्य नामों की चर्चा है, उनमें पूर्णिया से बीजेपी के पूर्व सांसद उदय सिंह और दरभंगा से सांसद कीर्ति आजाद भी कांग्रेस के संपर्क में हैं. बता दें कि लंबे समय से बीजेपी से नाराज चल रहे पूर्व सांसद उदय सिंह ने हाल ही में पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिया है. माना जा रहा है कि 3 जनवरी को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की पटना में होने वाली रैली में उदय सिंह शामिल हो सकते हैं. तो वहीं कीर्ति आजाद की पत्नी पूनम झा आजाद पहले ही कांग्रेस पार्टी में शामिल हो चुकी हैं.

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सीटों पर अभी नहीं बनी सहमति

गौरतलब है कि बिहार में महागठबंधन के दलों के बीच सीटों का बंटवारा अभी नहीं हो पाया हैं. पिछली बार बिहार की 40 सीटों में से 27 सीट पर आरजेडी, 12 पर कांग्रेस और 1 सीट पर एनसीपी चुनाव लड़ी थी. लेकिन इसबार गठबंधन में आरजेडी और कांग्रेस से अलावा उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी, मुकेश साहनी की पार्टी निषाद विकास संघ, जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तान आवाम मोर्चा, लेफ्ट और शरद यादव की पार्टी भी शामिल है. सूत्रों के मुताबिक आरजेडी 20 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है और बाकी की सीटों पर कांग्रेस और अन्य सहयोगी दलों के छोड़ने को तैयार है. ऐसे में अधिक सहयोगी दलों के शामिल होने से कांग्रेस को मिलने वाली सीटों में ही कटौती की जा सकती है.

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