महाराष्ट्र की जालना लोकसभा सीट बीजेपी का गढ़ है. यहां 1996 से लगातार बीजेपी जीतते आ रही है. इस बार भी बीजेपी अपने गढ़ को बनाए रखने के लिए राव साहेब दानवे पर दांव खेल सकती है. मोदी सरकार में मंत्री राव साहेब दानवे का इस इलाके में अच्छा दबदबा माना जाता है. यही वजह है कि 1999 से 2014 तक वो लगातार जीते हैं.
इस बार जालना लोकसभा सीट का मुकाबला इसलिए भी दिलचस्प होगा क्योंकि यहां महाराष्ट्र बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष राव साहेब दानवे के खिलाफ शिवसेना नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री अर्जुन खोतकर ने चुनाव लड़ने का ऐलान किया है.
क्या रहा है जालना लोकसभा सेट का इतिहास...
जालना लोकसभा सीट पर पहला चुनाव 1952 में हुआ. यहां कांग्रेस के हनुमंतराव वैष्णव जीतकर आए. उनके बाद 1957 में सैफ तैय्यबजी जीते. उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में पीजेंट एंड वर्कर्स पार्टी ऑफ़ इंडिया के ए.वी घरे जीते. यहां दोबारा 1960 में उपचुनाव हुए. कांग्रेस के रामराव नारायण राव जीतकर आए. फिर 1967 में वीएन जाधव जीते. 1971 में बाबुराव काले ने कांग्रेस से जीत दर्ज की. फिर 1977 के चुनाव में जनता पार्टी की एंट्री हुई. पुंडलिक हरी दानवे चुनाव जीते. लेकिन अगले ही चुनाव में कांग्रेस के बालासाहेब पवार ने 1980 और 1984 में लगातार जीत दर्ज की.
बीजेपी ने जीता चुनाव और फिर चल पड़ा जीत का सिलसिला...
जालना सीट पर बीजेपी ने सबसे पहले 1989 के लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की. सांसद चुने गए पुंडलिक हरी दानवे. लेकिन अगले ही लोकसभा चुनाव में उनकी हार हुई. कांग्रेस के अंकुश राव टोपे ने 1991 के चुनाव में जीत दर्ज की. हालांकि, कांग्रेस यहां ज्यादा दिन तक नहीं टिक पाई. 1996 और 1998 में बीजेपी के उत्तम सिंह पवार जीते. उनके बाद 1999, 2004, 2009, 2014 के लोकसभा चुनाव से राव साहब दानवे चुनाव जीतते आ रहे हैं.
क्या है विधानसभा की स्थिति...
जालना की 6 विधानसभा सीटों के अंतर्गत पैठण, जालना में शिवसेना का कब्जा है. जबकि बद्नापुर, भोकरदन, फुलंब्री विधानसभा में बीजेपी और सिल्लोड में कांग्रेस का कब्ज़ा है.