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धारा 370 और 35A का असर, जम्मू-कश्मीर में भाजपा के सामने संयुक्त विपक्ष ढेर

राज्य में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच समझदारी बनने के बावजूद ये उम्मीदवार भाजपा नेताओं को हराने में नाकामयाब रहे. दोनों दलों के बीच हुए समझौते में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने दोनों सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवारों को समर्थन दिया था.

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जीत का जश्न मनाते कार्यकर्ता (फोटो-इंडिया टुडे आर्काइव)
जीत का जश्न मनाते कार्यकर्ता (फोटो-इंडिया टुडे आर्काइव)

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भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनावों में जबरदस्त जीत हासिल की है. उसकी इस जीत का क्रम जम्मू-कश्मीर के जम्मू क्षेत्र में भी देखने को मिला है. जम्मू क्षेत्र की दो लोकसभा सीटों पर भी भाजपा उम्मीदवारों ने जीत का परचम फहराया. ऊधमपुर से पार्टी के उम्मीदवार और केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह और जम्मू लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार जुगल किशोर शर्मा दोनों ने बड़े अंतर से अपनी सीटों पर पराक्रम दिखाया. इन दोनों ने 2014 से ज्यादा अंतर से अपने-अपने प्रतिद्वंद्वियों को पीछे छोड़ा.

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है, कि भले ही जम्मू क्षेत्र से भाजपा के उम्मीदवार के खिलाफ एंटी-इन्कमबेंसी का माहौल था, लेकिन मोदी लहर ने चुनावी तस्वीर बदल दी. एक राजनीतिक विश्लेषक का कहना है, 'लोगों ने जम्मू क्षेत्र में पीएम मोदी के लिए वोट किया है न कि उम्मीदवार के लिए.' राज्य में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के बीच समझदारी बनने के बावजूद ये उम्मीदवार भाजपा नेताओं को हराने में नाकामयाब रहे. दोनों दलों के बीच हुए समझौते में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने दोनों सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवारों को समर्थन दिया था. मजेदार बात यह है कि पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने भी यहां से किसी को नहीं उतारने का फैसला किया था. हालांकि, मोदी लहर में यह सब भी काम नहीं आया और भाजपा विरोधी वोटों को एकजुट कर भगवा पार्टी को हराने की कोशिश नाकाम रही.

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भाजपा ने अपने चुनावी घोषणापत्र में धारा 370 और अनुच्छेद 35A को हटाने का वादा किया है. माना जा रहा है कि जम्मू क्षेत्र में भाजपा के इस चुनावी वादे ने लोगों को लुभाने का काम किया. चुनाव प्रचार के दौरान क्षेत्रीय पार्टियों एनसी और पीडीपी ने धारा 370 और अनुच्छेद 35A पर ब्लैकमेल की रणनीति अपनाई थी. दोनों पार्टियों ने कहा था कि अगर धारा 370 और 35A को हाथ लगाया गया तो जम्मू-कश्मीर भारत का अंग नहीं रहेगा. माना जा रहा है कि जम्मू क्षेत्र के लोग दोनों दलों की इस बात से नाराज हो गए और उन्होंने भाजपा उम्मीदवार को अपना वोट दिया.

गुरुवार को रुझान आने के साथ ही जम्मू क्षेत्र में भाजपा के उम्मीदवारों ने जीत का जश्न मनाना शुरू कर दिया था. कठुआ में पार्टी के एक उम्मीदवार का कहना था कि वह पार्टी की बड़ी जीत से बहुत खुश हैं और उन्होंने उम्मीद भी जताई कि अब पार्टी धारा 370 और 35A को हटा देगी. अभी राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं. इनमें भी भाजपा को धारा 370 और 35A पर अपना रुख स्पष्ट रखना होगा वरना उनको आगामी चुनावों में जम्मू क्षेत्र की जनता की नाराजगी भी झेलनी पड़ सकती है.

भाजपा को केवल जम्मू क्षेत्र में ही नहीं बल्कि लद्दाख क्षेत्र में भी फायदा हुआ है. लद्दाख की एकमात्र लोकसभा सीट से भाजपा के उम्मीदवार जामयांग शेरिंग नामग्याल भी चुनाव जीत चुके हैं. 2014 लोकसभा चुनावों में भाजपा ने यह सीट केवल 36 वोटों के अंतर से जीती थी, जो इस बार बढ़कर 10 हजार से ज्यादा हो चुका है. राज्य में भाजपा का प्रदर्शन 2014 के जैसा ही रहा है. इस बार भी पार्टी को तीन सीटें मिली हैं. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राज्य के गवर्नर ने लद्दाख को डिविजन का दर्जा दिया और लद्दाख के लिए एक विश्वविद्यालय को भी मंजूरी दी थी. राजनीतिक पंडितों का कहना है कि इस फैसले ने भी भाजपा के पक्ष में काम किया. भाजपा ने प्रचार के दौरान लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का भी वादा किया था.

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