scorecardresearch
 

देवगौड़ा के साथ साये की तरह रहने वाले दानिश अली BSP में शामिल, अमरोहा से लड़ सकते हैं चुनाव

बसपा में शामिल होने के बाद दानिश अली ने कहा कि जेडीएस में रहते हुए भी मैंने कभी कुछ नहीं मांगा, जो एचडी देवगौड़ा ने काम सौंपा, मैंने वह किया. मैं देवेगौड़ा जी का आशीर्वाद और अनुमति लेने के बाद यहां आया हूं. बहनजी मुझे जो काम देंगी, वह काम मैं करूंगा.

Advertisement
X
दानिश अली और बसपा सुप्रीमो मायावती
दानिश अली और बसपा सुप्रीमो मायावती

Advertisement

जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) के महासचिव दानिश अली शनिवार को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में शामिल हो गए. उन्हें पार्टी महासचिव सतीश चंद्र मिश्र ने बसपा की प्राथमिक सदस्यता दिलवाई. पूर्व प्रधानमंत्री और जेडीएस के सुप्रीमो एचडी देवगौड़ा के साथ साये की तरह रहने वाले दानिश अली हाल ही में कांग्रेस और जेडीएस के साथ गठबंधन वार्ता में शामिल थे.

कई हफ्तों तक इसे लेकर चली खींचतान के बाद कर्नाटक में आगामी आम चुनावों के लिए कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे को अंतिम रूप दिलाने में दानिश ने अहम भूमिका अदा की थी, लेकिन अब उन्होंने खुद बसपा का दामन थाम लिया है. ऐसी संभावना है कि वह यूपी के अमरोहा से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं.

दानिश अली ने कहा जेडीएस का उत्तर प्रदेश में संगठन नहीं है. अपने सभी प्रयासों के बावजूद मैं UP को अपनी जन्मभूमि, अपनी कर्मभूमि के रूप में नहीं बढ़ा पाया. आज संविधान पर खतरा मंडरा रहा है, ऐसे में हमें मजबूत नेतृत्व की जरूरत है. बसपा में शामिल होने के बाद दानिश अली ने कहा कि जेडीएस में रहते हुए भी मैंने कभी कुछ नहीं मांगा, जो एचडी देवगौड़ा ने काम सौंपा, मैंने वह किया. मैं देवेगौड़ा जी का आशीर्वाद और अनुमति लेने के बाद यहां आया हूं. बहनजी मुझे जो काम देंगी, वह काम मैं करूंगा.

Advertisement

बसपा को मिला नया मुस्लिम चेहरा

दानिश अली के आने से बसपा को एक जाना-पहचाना मुस्लिम चेहरा मिल गया है. नसीमुद्दीन सिद्दीकी के पार्टी छोड़ने के बाद से बसपा के पास कोई कद्दावर मुस्लिम चेहरा नहीं था. कहा जाता है कि सिद्दीकी एक समय बसपा सुप्रीमो मायावती के बहुत करीबी माने जाते थे और पार्टी द्वारा लिए जाने वाले निर्णय लेने में बड़ी भूमिका अदा करते थे. उत्तर प्रदेश में हुए पिछले विधानसभा चुनावों में बसपा ने सबसे अधिक मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट भी दिए थे.

बता दें कि दानिश अली जेडीएस के लिए हिंदी क्षेत्र में प्रतिनिधि चेहरे के तौर पर जाने जाते रहे हैं. मीडिया में जेडीएस का पक्ष रखने वाले दानिश अली जेडीएस के लिए दिल्ली में संपर्क की कड़ी के रूप में काम करते रहे हैं. बसपा के सूत्रों का कहना है कि पार्टी उन्हें अमरोहा से उम्मीदवार बना सकती है.

बहरहाल यूपी में बीजेपी को मात देने के लिए सपा, बसपा और रालोद के शीर्ष नेता अप्रैल के पहले सप्ताह से ताबड़तोड़ संयुक्त रैलियां कर अपने-अपने कार्यकर्ताओं को एकजुटता का संदेश देने की तैयारी में जुट रहे हैं. लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा-रालोद गठबंधन ने अपने उम्मीदवारों की जीत और केंद्र की सत्ता से बीजेपी की बेदखली सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त रैलियां करने का फैसला लिया है.

Advertisement

Advertisement
Advertisement