कर्नाटक में सियासी माहौल बड़ी तेजी से बदल रहा है. प्रदेश की जनता दल (सेक्युलर)-कांग्रेस गठबंधन सरकार पर संकट के बादल छाने की अटकलों के बीच कांग्रेस नेता रमेश जारकीहोली और डॉक्टर सुधाकर ने रविवार को बेंगलुरु में भारतीय जनता पार्टी के नेता एसएम कृष्णा के आवास पर बीजेपी नेता आर अशोक से मुलाकात की है. हालांकि, रमेश जारकीहोली ने इस मुलाकात को शिष्टाचार भेंट बताया है.
बीजेपी नेता आर अशोक से मुलाकात पर कांग्रेस नेता रमेश जारकीहोली ने कहा, ‘यह कोई राजनीतिक बैठक नहीं थी. हम कर्नाटक में 25 सीटें जीतने के बाद एसएम कृष्णाजी को शुभकामना देना चाहते थे. यह एक शिष्टाचार भेंट थी.’
#Bengaluru- BJP leader R Ashok: I came to meet SM Krishna Ji to discuss party matters. I have no friendship with Congress leaders Ramesh Jarkiholi & Dr Sudhakar. pic.twitter.com/tkqjG1Wl31
— ANI (@ANI) May 26, 2019
वहीं बीजेपी नेता आर अशोक ने भी कांग्रेस नेता रमेश जारकीहोली से किसी तरह का संबंध होने से इनकार किया है. उन्होंने कहा, ‘मैं पार्टी के मामलों पर चर्चा करने के लिए एसएम कृष्णा जी से मिलने आया था. कांग्रेस नेताओं रमेश जारकीहोली और डॉ सुधाकर से मेरी कोई मित्रता नहीं है.’
एमएस कृष्णा से मिलीं निर्दलीय सांसद अंबरीश
मांड्या से चुनी गईं निर्दलीय सांसद सुमलता अंबरीश भी रविवार को बीजेपी नेता एसएम कृष्णा से उनके आवास पर मिलीं. इस दौरान प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा भी मौजूद थे. इस मुलाकात पर सुमलता ने कहा, ‘सभी से मिलना और उनका धन्यवाद करना मेरा कर्तव्य है.’
साथ ही उन्होंने ने कहा, ‘मैं 29 मई को मांड्या जाऊंगी. मैं उन सभी को श्रेय देना चाहूंगी, जिन्होंने मेरे लिए कड़ी मेहनत की है. यह एक कठिन चुनाव था. बहुत सारे लोगों ने मुझे बिल्कुल भी मौका नहीं दिया.’
जेडी (एस) का पार्टी नेताओं को सर्कुलर
इससे पहले जनता दल (सेक्युलर) पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष एमएस नारायण राव ने पार्टी के सभी नेताओं, प्रवक्ताओं और विधायकों के लिए सर्कुलर जारी किया था. जिसके तहत जेडी (एस) ने पार्टी नेताओं को इंटरव्यू, टीवी बहस में भाग और मीडिया में कोई भी बयान नहीं देने का आदेश दिया. साथ ही पार्टी ने नियमों का उल्लंघन होने पर कार्रवाई किए जाने की बात भी कही.
तो वहीं लोकसभा चुनावों में जेडी (एस) और कांग्रेस के अच्छा प्रदर्शन नहीं करने पर शुक्रवार को कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री जी परमेश्वर ने कहा था कि लोकसभा चुनाव में राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन के प्रतिकूल परिणाम आए हैं. इसके बावजूद गठबंधन की सरकार सुरक्षित और स्थिर है.
बता दें कि कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन की सरकार है. लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मिले बहुमत और केंद्र में मोदी सरकार की वापसी से कांग्रेस-जेडीएस सरकार पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं. बीजेपी ने राज्य की 28 लोकसभा सीटों में से 25 सीटें पर जीत हासिल की है. जनता दल (सेक्युलर) और कांग्रेस को एक-एक सीट मिली है. बीजेपी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार सुमालता अंबरीश ने भी एक सीट पर जीत दर्ज की है.
दरअसल, साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कर्नाटक की 225 विधानसभा सीटों में बीजेपी को 104, कांग्रेस को 78, जेडीएस को 37, बीएसपी को 1, केपीजेपी को 1 और अन्य को 2 सीटों पर जीत मिली थी. इस तरह से किसी भी पार्टी को बहुमत का आंकड़ा नहीं मिला था. राज्य की सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन कांग्रेस-जेडीएस के एक साथ आने से वह बहुमत साबित नहीं कर पाए.
इसके बाद कांग्रेस ने जेडीएस को समर्थन के साथ राज्य में कुमारस्वामी की सरकार बनाई. कर्नाटक में लगातार कुमारस्वामी की सरकार पर संकट के बादल छाए हुए हैं. उनके खिलाफ बीजेपी ने तीन बार ऑपरेशन लोटस चलाया, लेकिन वह फेल हो गए. अब माना जा रहा है कि केंद्र में सरकार बनने के बाद बीजेपी एक बार फिर कर्नाटक में सरकार बनाने का इरादा कर सकती है.