मध्य तमिलनाडु का करूर जिला मच्छरदानी बनाने के लिए मशहूर है. यहां यह उद्योग कितने बड़े पैमाने पर चल रहा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि देश में बनने वाली कुछ मच्छरदानी का 60 फीसदी हिस्सा यहीं निर्मित होती है. करूर चेरास, चोल, विजयनगर साम्राज्य, मदुरई, मैसूर और बाद में ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा रहा है. पोलाची और डिंडीगुल की तरह करूर को भी एआईएडीएमके का गढ़ माना जाता है.
1957 से अब तक सबसे ज्यादा छह-छह बार यहां से कांग्रेस और एआईएडीएमके ने जीत दर्ज की है. लेकिन 1984 के बाद कांग्रेस को यहां से जीत नसीब नहीं हुई थी. 2009 और 2014 के आम चुनावों में यहां से एआईएडीएमके ने जीत दर्ज की थी. यह सामान्य सीट है. करूर सीट से मौजूदा सांसद एआईएडीएमके के एम. थंबीदुरई हैं. वे 2014 में पांचवीं बार लोकसभा के लिए चुने गए. 16 वीं लोकसभा के डिप्टी स्पीकर और केंद्र में पूर्व मंत्री हैं.
राजनैतिक पृष्ठभूमि
तमिलनाडु की ज्यादातर सीटों की तरह करूर सीट पर भी शुरुआती दौर में कांग्रेस का दबदबा था. 1957 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में यहां से कांग्रेस के उम्मीदवार के. पेरियासामी जीते थे. इसके बाद 62, 71,77, 80, 84 में भी कांग्रेस के पास यह सीट रही. 1967 में पहली बार स्वतंत्र पार्टी ने कांग्रेस से यह सीट छीनी थी. इसके बाद 1989 में एआईएडीएमके ने कांग्रेस से यह सीट छीन ली. 1991 के चुनाव में यह सीट अन्नाद्रमुक के पास बरकरार रही. लेकिन 1996 में तमिल मनीला कांग्रेस (मूपनार) ने एआईएडीएमके से यह सीट छीन ली. 1998 और 1999 में एआईएडीएमके ने फिर से यहां जीत दर्ज की. 2004 में पहली बार डीएमके को यहां से जीत नसीब हुई थी. लेकिन 2009 में एक बार फिर एआईएडीएमके ने यहां से वापसी की और 2014 में यह सीट इसी पार्टी के खाते में गई.
सामाजिक तानाबाना
इस लोकसभा सीट के तहत करीब 12 लाख से ज्यादा मतदाता है. इस सीट की खास बात यह है कि यहां पुरुषों की तुलना में महिलाएं ज्यादा हैं. हर 1000 पुरुष पर 1023 महिलाएं हैं.
विधानसभा सीटों का समीकरण
करूर लोकसभा सीट के तहत छह विधानसभा सीटें आती हैं. ये हैं- अरवाकुरुची, करूर, कृष्णारायनपुरम (सुरक्षित), मनाप्पाराई, वेदासंतूर और वीरालीमलाई. इस इलाके में अन्नाद्रमुक के वर्चस्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ये सभी छह की छह सीटें एआईएडीएमके के पास हैं.
2014 का जनादेश
2014 के लोकसभा चुनाव में एआईएडीएमके के एम. थंबीदुरई ने यहां जीत दर्ज की थी. उन्हें 5,40,772 वोट मिले थे. दूसरे नंबर पर डीएमके के एम. चिन्नास्वामी को 3,45,475 वोट मिले थे. डीएमडीके के एन.एस. कृष्णन को 76,560 मतों से संतोष करना पड़ा था.
सांसद का रिपोर्ट कार्ड
एआईएडीएमके के एम. थंबीदुरई हिंदी विरोधी आंदोलन से निकले हुए नेता हैं. वे 1977 में पहली बार ईरोड सीट से विधायक बने थे. 1947 में जन्मे थंबीदुरई कोंगु वेलालार समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. थंबीदुरई तमिलनाडु के उन चंद नेताओं में शामिल हैं, जिन्हें दिल्ली में रहकर राष्ट्रीय स्तर पर राजनीति रास आती है. जहां तक बात संसद में उनके प्रदर्शन की है तो 6 फरवरी, 2019 तक के उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक थंबीदुरई ने 33 बार चर्चा में हिस्सा लिया और इस दौरान 13 प्रश्न पूछे. लोकसभा का उपसभापति होने के नाते सदन के उपस्थिति रजिस्टर पर वे दस्तखत नहीं करते थे. उनकी सांसद निधि का 89.57 फीसदी हिस्सा विकास पर खर्च किया गया है.