तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने सोमवार शाम द्रविड़ मुनेत्र कणगम (डीएमके) के अध्यक्ष एमके. स्टालिन से मुलाकात की. इस मुलाकात को चुनाव बाद गठबंधन की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. ऐसी खबरें हैं कि केसीआर किसी तीसरे मोर्चे के गठन को लेकर काफी प्रयासरत हैं ताकि एनडीए या यूपीए को सरकार बनाने लायक सीटें न मिलने पर कोई गैर-बीजेपी, गैर-कांग्रेस मोर्चा खड़ा किया जा सके. केसीआर का एनडीए की ओर झुकाव होने के बावजूद वे अक्सर एक 'फेडरल फ्रंट' बनाने की बात करते रहे हैं जो केंद्र में सरकार बनाए या कम से कम बनाने की भूमिका (किंगमेकर) में जरूर रहे.
केसीआर और स्टालिन की मुलाकात से जुड़ी खबर पहली दफा नहीं आई है. इससे पहले भी दोनों के मिलने की बात होती रही है लेकिन किसी न किसी कारणवश मुलाकात टल गई. सूत्रों ने रविवार को बताया कि इस बार भी कुछ ऐसा ही होने वाला था क्योंकि स्टालिन ने मुलाकात लगभग टाल दी थी क्योंकि डीएमके कांग्रेस नीत यूपीए को समर्थन देती रही है. इन दोनों पार्टियों के बीच चुनाव पूर्व गठबंधन (प्री-पोल एलायंस) भी है. चूंकि दूसरी दफे केसीआर ने मुलाकात के लिए स्टालिन को फोन किया, इसलिए वे इसके लिए राजी हो गए हैं. हालांकि डीएमके इसे शिष्टाचार भेंट बता रही है, न कि कोई राजनीतिक बैठक.
केसीआर फिलहाल तेलंगाना के मुख्यमंत्री हैं लेकिन राजनीतिक महत्वाकांक्षा के तहत वे अब अपना सियासी दायरा बढ़ाना चाहते हैं. उनकी नजर केंद्र की राजनीति पर है जिसके लिए वे लंबे समय से प्रयासरत हैं. अभी हाल में चंद्रशेखर राव ने केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन से उनके आवास पर मुलाकात की थी. कयास लगाए गए कि राव लोकसभा चुनाव के बाद दिल्ली में एक गैर-कांग्रेस, गैर-बीजेपी सरकार गठन की संभावना तलाशने यहां पहुंचे थे. राव पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी से पहले ही बात कर चुके हैं. राव अब बाद में डीएमके प्रमुख एम.के. स्टालिन से मुलाकात करेंगे.
गौरतलब है कि कुछ चुनाव सर्वेक्षण इस ओर इशारा कर रहे हैं कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी नेतृत्व वाला एनडीए बहुमत से कुछ सीटें पीछे रह सकता है. ऐसे में केंद्र में किसकी सरकार बनेगी यह तय करने में क्षेत्रीय पार्टियों की बड़ी भूमिका हो सकती है. वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआर कांग्रेस, के. चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली टीआरएस, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की अगुवाई वाला बीजद और बीएसपी-एसपी गठबंधन, जिन्होंने बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए और कांग्रेस की अगुवाई वाले यूपीए दोनों से बराबर की दूरी बना रखी है, इन सभी पर खास नजर रहेगी. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस और चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी भी केंद्र में सरकार बनाने में भूमिका निभा सकते हैं.
बनर्जी और नायडू बीजेपी-विरोधी गठबंधन बनाने की कोशिश करते रहे हैं और यहां तक कि इस कोशिश में उन्होंने कांग्रेस से भी मेलजोल रखा. हालांकि, ममता बीजेपी पर कड़े तौर पर हमलावर होने के साथ ही कांग्रेस को भी निशाना बनाती रही हैं, जिसने भी बराबरी से जवाब दिया है.
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