ओडिशा की केंद्रपाड़ा लोकसभा सीट पर 23 मई को मतगणना हुई. रोमांचक मुकाबले में बीजेडी के अनुभव मोहंती ने बीजेपी के बैजयंत पांडा को 1 लाख 52 हजार 584 वोटों से हरा दिया.
ओडिशा की हॉट सीटों में शुमार केंद्रपाड़ा लोकसभा सीट पर चौथे चरण में 29 अप्रैल को मतदान हुआ था. नवीन पटनायक के विश्वस्तों की सूची में शामिल रहे बैजयंत पांडा के बीजेपी में आने पर इस सीट की लड़ाई रोमांचक हो गई थी. बैजयंत पांडा पिछली बार बीजेडी के टिकट पर इस सीट से चुनाव लड़े और जीते थे. अपने पुराने सिपहसालार को टक्कर देने के लिए नवीन पटनायक ने अनुभव मोहंती को मैदान में उतारा था. 1998 से इस सीट पर बीजू जनता दल का प्रभुत्व रहा है.
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कब और कितनी हुई वोटिंग
केंद्रपाड़ा लोकसभा सीट पर चौथे चरण में 29 अप्रैल को मतदान हुआ था. इस निर्वाचन क्षेत्र में कुल 72.23 प्रतिशत वोटिंग हुई है. 2014 के आंकड़ों के मुताबिक यहां पुरुष मतदाताओं की संख्या 8 लाख 28 हजार 491 है. जबकि महिला वोटर्स का आंकड़ा 7 लाख 26 हजार 953 है. पिछले लोकसभा के दौरान यहां कुल 15 लाख 55 हजार 444 वोट थे. तब यहां मतदान का प्रतिशत 73.36 प्रतिशत था.
कौन-कौन हैं प्रमुख उम्मीदवार
इस सीट से दो निर्दलीय समेत कुल 7 उम्मीदवार मैदान में हैं. बैजयंत पांडा बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े तो अपने पुराने सिपहसालार को टक्कर देने के लिए नवीन पटनायक ने अनुभव मोहंती को मैदान में उतारा था. कांग्रेस ने इस सीट पर धरणीधर नायक को टिकट दिया. इस सीट से समाजवादी पार्टी के कैंडिडेट रबींद्र नाथ बेहेरा भी चुनाव मैदान में थे.
2014 का चुनाव
अमेरिका में पढ़े, बैजयंत पांडा को केंद्रपाड़ा की जनता ने बेहद पसंद किया. 2014 में इन्हें बम्पर 6 लाख 01 हजार 574 वोट मिले. कांग्रेस के धरणीधर नायक को यहां पर 3 लाख 92 हजार 466 वोट मिले. इस तरह से विजयंत पांडा 2 लाख 09 हजार 108 वोट से चुनाव जीते. तीसरे स्थान पर रहे बीजेपी के विष्णु प्रसाद दास. उन्हें 1 लाख 18 हजार 707 वोट मिले.
सामाजिक ताना-बाना
केंद्रपाड़ा ओडिशा की पौराणिक नगरी है. धार्मिक कहानियां और ऐतिहासिक साक्ष्य इस प्रदेश में बड़े पैमाने पर मिलते हैं. मान्यता है कि भगवन कृष्ण के अग्रज बलराम ने यहीं केंद्रसुर का वध कर यहीं उसकी उसकी पुत्री से विवाह किया फिर यहीं बस गए. यहां भगवान बलराम की रथयात्रा को पुरी रथयात्रा जैसी ही ख्याति प्राप्त है.
केंद्रपाड़ा लोकसभा क्षेत्र का विस्तार केंद्रपाड़ा और कटक जिले में है. 2011 की जनसंख्या के मुताबिक यहां की जनगणना 20 लाख 39 हजार 740 थी. यहां की 95 फीसदी आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है, जबकि 5 परसेंट जनसंख्या शहरों में निवास करती है. इस क्षेत्र में अनुसूचित जाति की आबादी लगभग 22 फीसदी है जबकि अनुसूचित जनजाति की आबादी 2 फीसदी है.
केंद्रपाड़ा में विधानसभा की 7 सीटें हैं. ये सीटें हैं सलीपुर, महंगा, पटकुरा, केंद्रपाड़ा, औल, राजनगर और महाकलपद. 2014 के विधानसभा चुनाव में सलीपुर, औल और राजनगर में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी, बाकी 4 सीट पर बीजू जनता दल ने जीत हासिल की थी.
सीट का इतिहास
केंद्रपाड़ा लोकसभा का संसदीय इतिहास आजादी के बाद ही शुरू हो जाता है. 1952 में यहां पहली बार चुनाव हुए थे. पहली बार यहां कांग्रेस के नित्यानंद चुनाव जीते. 1957, 62 और 67 में इस सीट पर प्रजा सोशलिस्ट पार्टी का कब्जा हुआ. तीनों ही बार सुरेंद्र नाथ द्विवेदी विजयी रहे. 1971 में उत्कल कांग्रेस के सुरेंद्र मोहंती ने इस सीट से बाजी मारी. ओडिशा के कद्दावर नेता बीजू पटनायक ने कांग्रेस से नाराजगी के बाद उत्कल कांग्रेस की स्थापना की थी.
1977 में इंदिरा के खिलाफ लहर के दौरान बीजू पटनायक इस सीट पर जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते. बीजू पटनायक की लोकप्रियता इस समय उफ़ान पर थी, वह 1980 में तो चुनाव जीते ही, 1984 में इंदिरा की हत्या के बाद कांग्रेस के प्रति जबरदस्त भावनात्मक लगाव के बावजूद वह इस सीट से कामयाबी हासिल करने में सफल रहे. 1985 में इस सीट पर उपचुनाव हुआ और जनता पार्टी चुनाव जीती. 1989 और 1991 में जनता दल के रबी रे का डंका बजा. 1996 में जनता दल के श्री कांत जेना जीते.
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