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केशव प्रसाद मौर्य: UP में बीजेपी का ओबीसी चेहरा

केशव प्रसाद मौर्य के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए भी बीजेपी उत्तर प्रदेश की सत्ता में 14 साल के बाद लौटी है. योगी के बाद वो दूसरे नंबर के पार्टी में नेता है. ऐसे में 2019 के लोकसभा चुनाव में ओबीसी मतों को साधने की जिम्मेदारी उनके कंधो पर है.

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केशव प्रसाद मौर्य
केशव प्रसाद मौर्य

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उत्तर प्रदेश में बीजेपी के ओबीसी चेहरे के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले केशव प्रसाद मौर्य योगी सरकार में डिप्टी सीएम है. पिछले पांच सालों में केशव प्रसाद मौर्य को सूबे में राजनीतिक पहचान मिली है. केशव मौर्य के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए भी बीजेपी उत्तर प्रदेश की सत्ता में 14 साल के बाद लौटी है. योगी के बाद वो दूसरे नंबर के पार्टी में नेता है. ऐसे में 2019 के लोकसभा चुनाव में ओबीसी मतों को साधने की जिम्मेदारी उनके कंधो पर है.

चाय और अखबार बेचा

केशव प्रसाद का जन्म 7 मई सन 1969 में उत्तर प्रदेश कौशांबी जिले के सिराथू कस्बे के बेहद साधारण किसान परिवार में हुआ. खेती करते हुए उन्होंने चाय की दुकान भी चलाई और अखबार भी बेचे. गरीबी और संघर्ष के बीच केशव प्रसाद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े और श्रीराम जन्म भूमि और गोरक्षा लिए अनेकों आंदोलन करते हुए जेल भी गए.

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VHP के प्रचारक रहे हैं मौर्य

2002 और 2007 में लगातार दो विधानसभा चुनाव हारने के बाद वह 2012 में कौशाम्बी जिले के सिराथू विधानसभा चुनाव से विधायक चुने गए. बाद में 2014 लोकसभा चुनाव में फूलपुर से जीत दर्ज की. दिलचस्प बात ये है कि फुलपुर में आजादी के बाद पहली बार केशव मौर्य ही कमल खिलाने में कामयाब रहे थे.

मौर्य 18 साल तक गंगापार और यमुनापार में विश्व हिंदू परिषद के प्रचारक भी रहे हैं. इसके साथ ये राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी जुड़े रहे. केशव ने अच्छा खासा समय इन दो संस्थाओं में गुज़ारने की वजह से उनकी राजनैतिक जड़ों को मजबूत मिली. जिससे केशव को राजनीति में बहुत गहराई से उतरने में मदद मिली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहने के समय इन्होने राम जन्मभूमि आन्दोलन में बहुत बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया.

UP में बीजेपी की कमान केशव को हाथ

उत्तर प्रदेश में बीजेपी को सत्ता में वापसी के लिए पार्टी आलाकमान के केशव मोर्य को चुना. उन्हें 2016 में बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया और उन्होंने विधानसभा चुनाव में ‘265 प्लस’ का लक्ष्य लेकर काम शुरू किया. अध्यक्ष बनाने के पीछे राज्य में दलित वोट हासिल करना भी बड़ा कारण माना जा रहा है. केशव प्रसाद पिछड़ी जाति मौर्य से आते हैं जिसकी तादाद गैर यादव जातियों में सबसे अधिक है.

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मोदी-शाह के करीबी हैं मौर्य

संघ के सबसे करीबी और विश्व हिन्दू परिषद् के तेज तर्रार नेताओं में शुमार केपी मौर्य ने पार्टी के लिए धुआंधार प्रचार किया. चुनाव में मौर्य अच्छे वक्ता साबित हुए और उन्हें पार्टी के लिए सबसे ज्यादा 155 चुनावी सभाएं की हैं. बीजेपी में पिछड़ी जाति का चेहरा कहे जाने वाले मौर्य को अमित शाह और पीएम नरेंद्र मोदी की खोज माना जाता है और ये दोनों ही बड़े नेताओं के करीबी माने जाते हैं. केशव प्रसाद पर दर्ज कई आपराधिक मामले भी दर्ज हैं.

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